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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समयक्रिया ११४७ समर्थनम् शास्त्र। (जयो०वृ० २/५४) समूह। (जयो० १९/८५) ०रुढ़ि, प्रथा संस्थापित नियम। सम्प्रदाय। (जयो० २/२५) संस्कार। संकेत। (जयो० ३/७) ०शास्त्र। (जयो०वृ० १/५) नियम, ०संकेत, इंगित, इशारा। उपहार, भेंट। समयक्रिया (स्त्री०) नियम पालन। नियमबद्धता। समयपरिरक्षणम् (नपुं०) समय पालन। समयरीतिः (स्त्री०) काल नियम। (जयो० २/४७) समयसारः (पुं०) आचार्य कुन्दकुन्द की एक प्रसिद्ध प्राकृत रचना, जो आत्मा के विशुद्ध स्वभाव को कथन करने वाली है। समया (अव्य०) [सम्+इ+आ] अनुकूल, ठीक समय पर, निश्चित समय पर। ०बीच में, अंदर। निकट। समयानुवर्तिनी (स्त्री०) समयानुसार। (जयो० १३/५६) समयानुसारः (पुं०) समयानुकूल। (जयो०वृ० १३/५६) (वीरो० ४/३९) समयी (वि०) स्वामी। (जयो० ४/५१) समयोचित (वि०) समय योग्य। समरः (पुं०) [सम्+ऋ+अप्] युद्ध, संग्राम। समरम (नपुं०) लड़ाई। समरक्षेत्रम् (नपुं०) रणक्षेत्र। समरभूमिः (स्त्री०) युद्धस्थल। समरमूर्धन् (पुं०) संग्राम का अग्रभाग। समरस (वि०) साम्य भाव। (सुद० १२३) ०समत्व शक्ति युक्त। समशिरस् (पुं०) संग्राम का अग्रभाग। समरसङ्ग (वि०) युद्ध कुशल। (सुद० १/३९) समराङ्गणम् (नपुं०) रणभूमि। (१७/११३) समरसङ्गमित (वि०) युद्ध करने वाला। (समु० ७/२९) समरी (वि०) युद्धकुशल, सत् प्रतिज्ञावान्। (जयो० ६/९३) समरूप (वि०) समान दृष्टि वाले। (सुद० ११९) समल (वि०) [मलेन सह] मल सहित। (जयो०० १/३८) समलङ्कृत (वि०) विभूषित। (जयो० १/३८) समर्थनम् (नपुं०) अनुवाद रूप, संकल्प रूप। (जयो० १२/१६) ०कथनस्यानुकथन, हां में हां मिलाना। (जयो० १२/३१) समर्पितभावः (पुं०) अनन्यसेवा भाव। (भक्ति० १२) समवर्ष (अक०) बरसाना, वर्षा करना। (जयो० १०/४६) (जयो० १२/१३३)। समवलोक्य (सं०कृ०) सम्यक् प्रेक्षा। (जयो० २/५३) समवाप् (सक०) [सम् + अ + आप्] उपहार देना। (जयो० ३/९४) समवादसूक्ता (स्त्री०) सदा ही समदर्शिना। सत्तेव नित्यं समवादसूक्ता द्राक्षेव याऽऽसीन्मताप्रयुक्ता। (वीरो० ३/१९) समर्जनं (नपुं०) कमाना। (समु० ३/४) समर्त्यनागः (पुं०) सुदर्शन सेठ, पुरुष शिरोमणि सुदर्शन। (सुद० १०१) समरूपः (पुं०) समान रूप। समान रूपं येषां ते (जयो०० ३/१२) समरोपयत् (वि०) आरोपित किया। समरोपयदेष सम्मतं पुनरैरावणवारणस्य तम्। (वीरो० ७/१६) समर्चनम् (नपुं०) [सम्+अर्च् ल्युट्] बढ़ाई, स्तुति। (दयो० २/९) आराधना, पूजा, अर्चना। समर्चिन् (पुं०) समीचीनौ यो हवमाग्निः (जयो०१२/६९) हवनाग्नि समर्ज (अक०) समर्थन करना। (जयो०८/६५) भ्रमण करना (जयो० २४/३) समर्ज (वि०) सरल, ऋजुता युक्त। (जयो० २४/५०) समर्जनिश्रेणिः (पुं०) सरल खर्जर वृक्षा (जयो० २४/५०) समर्ण (वि.) [सम्+अ+क्त] पीडित, दुःखित, कष्टजन्य। घायल। समर्तुक (वि०) सुंदरकान्ति धारक। (जयो० ९/९२) समर्थ (अक०) समर्थ होना, शक्तिशाली होना, सार्थक करना (जयो० १/११) समर्थताम् (सुद० २/२२) ०सम्पन्न, वैभव युक्त, योग्य। असाधारण, शक्तिमान्, प्रभूतवित्तयुक्त। (जयो०वृ०१/७२) समर्थः (पुं०) सार्थक शब्द, क्रय मूल्य। (सुद० ७१) ईश्वर, प्रभु (जयो०वृ० ५/५) समर्थक (वि०) पक्ष होने वाला। (जयो०वृ० २६/७९) समर्थकम् (नपुं०) [सम्+अर्थ+ण्वुल] अगर लकड़ी। चंदन ___ की लकड़ी। समर्थनम् (नपुं०) [सम्+अर्थ+ल्युट्] पुष्टि (मुनि० १७) व्यर्थ च नार्थाय समर्थनं तु पूर्णी यतः। (जयो० १/१७) चिंतन करना, विचार करना। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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