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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संस्थः १११६ संहरणं - - ०समाप्त, मृत, नष्ट। स्थिर, अचल। सूख गया। (वीरो० १२/३१) संस्थः (पुं०) निवासी, वास्तव्य पड़ौसी, स्वदेशी। ०गुप्तचर। संस्था (स्त्री०) [सम्+स्था+अङ्कटाप्] सभा, समुदाय, समूह, समिति। ०परिषद्। ०धन्धा, व्यवसाया ०अन्त, पूर्ति, क्षति, नाश। ०प्रलय, राजकीय आज्ञा। संस्थान (नपुं०) [सम्+स्था ल्युट्] संचय, राशि। ०आकार-प्रकार। (सुद० ८३) ०आकृति विशेष। विन्यास, अनुकृति। ०रूप, आकृति, दर्शन, सूरत। संरचना, निर्माण, संस्थिति। निशान, चिह्न। ० नाश। समचतुरस्रनादिलक्षण, औदारिक शरीर का आकार। संस्थानविचयः (पुं०) द्रव्य, क्षेत्र आकारादि का चिंतन। (समु० ८/३९) संस्थापनं (नपुं०) [सम्+स्था+णिच+ल्युट] निर्धारण, जमाना, बिठाना, स्थपित करना। नियंत्रण करना, दमन करना। संचय करना, संग्रह करना। संस्थापना (स्त्री०) नियंत्रण, दमन। संस्थापकार्थ (वि०) मारणानार्थ, उपनिवेश, रोकने के लिए। __ (जयो० ८/५४) . संस्थित (वि०) स्थित, विद्यमान। संचित, स्थापित, रखा हुआ। मृत, उपरत। निष्पन्न समाप्त। संस्थितिः (स्त्री०) [सम्+स्था+क्तिन्] निवासस्थान, आवासस्थल, विश्रामगृह। निकटता, समीपता। संचय, ढेर। ०अवधि, कालावधि। अवस्थान, स्थिति, जीवन की दशा। प्रतिबंधा संस्पर्शः (पुं०) [सम्+स्पृश्+घञ्] ०संपर्क, छूना, सम्मिलन, मिश्रण। ०संवेदन, प्रत्यक्षज्ञान। संस्पर्शी (स्त्री०) [समृ+स्पृश्+अच+ङीष] गंध युक्त पौधा। संस्पृत्यालु (वि०) अभिलाषी। (जयो० २७/२३)। संस्फालः (पुं०) [सम्यक् स्फाल स्फुरणं यस्य] ०मेंढा। मेघ, बादल। संस्पुरं (सक०) प्रकट करना, व्यक्त करना। (जयो० १६/७६) संस्फेटः (पुं०) संग्राम, युद्ध लड़ाई। संस्मरणं (नपुं०) [सम्+स्म् ल्युट्] याद करना, मन में लाना, विचारना, चिन्तन करना। (जयो० २७/५५) संस्मारक (वि०) स्मरण। (जयो० १९/२) संस्मृ (सक०) चिन्तन करना, याद करना, स्मरण करना। (जयो० ४/६२) स्मरण (मुनि० १७) संस्मृत (वि.) [समृ+स्मृ+क्त] याद किया हुआ। स्मरित, स्मरण किया हुआ। (दयो० ३९) संस्मृति (स्त्री०) स्मरण, याद चिंतन, (जयो० ४/६२) विचार। (जयो० ९/४८) 'स्वं यशोऽग्रजननाम संस्मृतिः' (जयो०२/१०५) संस्रवः (पुं०) [सम्+मु+अप्] बहना, टपकना, रिसना, झरना। ०सरिता। संहत (भू०क०कृ०) [सम्+हन्+क्त] ०बन्द, अवरुद्ध। ०समुदित, एकत्रित। (जयो० २/२०) ०सम्पृक्त, संबद्ध, युक्त, जुड़ा हुआ। संघात, संचित। संहतता (स्त्री०) [संहत+तल+टाप्] मेल, मिलन, संहति। ०संपर्क, घनिष्ट मेल। ०संयोजन, सहमति, एकता। संहतिः (स्त्री०) [सम्+हन्+क्तिन्] संपर्क, मेल। ०संचय, समुदाय, ढेर। पिण्ड, समवाय। संहननं (नपुं०) [सम्+हन्+ल्युट्] सघनता, दृढ़ता, सामर्थ्य शक्ति। अस्थि-निबन्धन, हड्डियों की बनावट। ०हड्डियों का संचय। ०देह रचना। संहरणं (नपुं०) [समृ+हल्युट] लेना, ग्रहण करना। मिलाना, संचय करना। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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