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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org युक्तपाठक युक्तपाठक (वि०) वाचक । (जयो० १८ / १ ) युक्तमनस् (वि०) सावधान मन वाला। युक्तमनुज (वि०) मनुजता सहित । युक्तरीति (स्त्री०) संयुक्त पद्धति । युक्तार्थधर (वि०) युक्तियुक्त वाणी वाला । युक्तिः (स्त्री० ) [ युज् + क्तिन्] ०उपाय, योजना। (सुद० २/४२) सामंजस्य । (सम्य० १२) संगति, ० व्यवहार, प्रचलन । ० औचित्य, योग्यता, उपयुक्तता । ० क्रमबद्धता, रचना। ० संभावना, परिस्थिति । ० तर्कशक्ति, तर्कना, दलील । 'युक्त्यागमाभ्यामविरुद्धकोष !' (जयो० २६ / ९९ ) ० अनुमान, निगमन, हेतु, कारण । शिरो गुरुत्वान्नतिमापभक्तितुलास्थितं चेत्युचितैक युक्ति: । (वीरो० ५/२५) युक्तिकथनं (नपुं०) हेतुओं का वर्णन । युक्तिकर (वि०) उपयुक्त, योग्य । युक्तिगत ( वि०) तर्क संगत। (दयो० २२ / १३) युक्तिज्ञ (वि०) आविष्कार, कुशल । युक्तिबलं (नपुं०) उपाय की शक्ति । युक्तियुक्त (वि०) उपयुक्त, योग्य, युक्ति गत। (वीरो० २२/१३) युक्तिसंगत (वि०) तर्क संगत, योग्य, उपयुक्ता (वीरो० २२/१३) युग् (वि० ) [ युनक्तीति युग् एतादृगपि लसति] युक्त। (जयो० १/९६) युगं (नपुं०) [युज्+घञ् ] जुआं खच्चर, घोड़ा आदि के कांधे पर रखा जाने वाला। गाड़ी या हल का भाग। युग: (पुं०) जोड़ा, युगल, संयुक्त, युग्म । (जयो०वृ० १ / ३३ ) ० श्लोकार्थ, जिसमें दो चरण होते हैं। ० मिथ, सम्बन्ध। (जयो० ८/४५) भुजयोर्बाहुदण्डयोः युग-युगलं (जयो० ५/४७) वाच्य वाचकयोर्युगं द्वितीयं धरति (जयो० ५/४५) कुचयुगम्। (जयो०वृ० ५/४५) ० कालविशेष, पांच वर्षों का एक युग । पंचेहिं वरिसेहिं जुगं ( ति०प०४ / २९० ) युगत ( वि०) सम संख्या । ८७४ युगतातिरेक (वि०) सम संख्या का अतिरेक । (जयो० १ / १९) युगदोष: (पुं०) युग/जूआ से पीड़ित । कायोत्सर्ग का एक दोष, युग से पीड़ित बैल के समान जो गर्दन को फैलाकर कायोत्सर्ग में स्थित होता है। वह कायोत्सर्ग के युगदोष से दूषित होता है। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir युगनद्ध ( वि० ) [ युगमि नद्धो युगनद्धः ] 'युगं वृषभस्कंध योरारोपितं वर्तते तद्वत्, योगोऽपि यः प्रतिभाति स युगनद्ध इत्युच्यते । (जैन०ल० ९४८ ) युगन्धरः (पुं०) गाड़ी की जोड़ी, जुआं का भाग। युगपद् । (अव्य० ) [ युग्+पद्+क्विप्] एक साथ, एक ही समय | युगलं (नपुं०) [युज् + कलच्] ०मिथुन, जोड़ा, दम्पत्ति । (जयो० १२/७४) युगलकं (नपुं०) जोड़ा, युग्म, दो श्लोक | युगादिभर्तृ (पुं०) ऋषभनाथ तीर्थंकर । • प्रथम तीर्थंकर । 'युगादिभर्तुः श्री ऋषभनाथतीर्थङ्करस्य सदसः सभायाः सदस्यः' (जयो० १/४३ ) युगादिभास्करः (पुं० ) ० आदीश्वरसूर्य ० प्रथम तीर्थंकर * आदिनाथरूपी सूर्य। ० आदीश्वर भगवान । (जयो० २६/५८) ०युग के प्रथम सूर्य । प्रथम सूर्यवंशी । युगान्तस्थायिन् (वि०) अनन्तकाल व्यापी । (जयो० ७/५) युग्म (वि० ) [ युज् + मक्] युगल, मिथुन, जोड़ा। (सुद० ४ / ३१) ध्रियते द्रुतमेव पाणिसत्तलयुग्मे स्म हितैषिणो हि सः । (सुद० ३/२४) ०सम, समान, सदृश, एक सा। 'जुम्मं सममिदि एयट्ठो' ( धव० १० / २२) ० संगम, मिलाप । युज् युग्मधारा ( स्त्री०) संयुक्त प्रवाह, सम प्रवाह । युग्मनिरूपः (नपुं०) युगल विवेचन। युग्मं तस्य निरूपो निरूपणमिव। (जयो०वृ० ५ / ४७) युग्मनीति (स्त्री०) समान नीति, सदृश पद्धति, एक सी नियम पद्धति । युग्मपादः (पुं०) युगल चरण । युग्मभाव: (पुं०) संयुक्त भाव । युग्ममनुजः (पुं०) दम्पत्ति। युग्मश्लोकः (पुं०) दो श्लोक, एक अर्थ के लिए दो श्लोक देना। युग्य ( वि० ) [ युगाय हितः यत्] जोतने के योग्य । युग्यः (पुं०) जुता हुआ। युज् (अक० ) सम्मिलित होना, मिलना, अनुरक्त होना । ० संबद्ध होना, जुड़ना । युज् (सक० ) जोतना, नियुक्त करना । ० रखना, स्थिर करना । ० स्थापित करना (युज्यते० सुद० ४ / ३८ ) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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