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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शङ्कला १०४७ शण्ड: ०सरौंता। ०बाण का तीक्ष्ण भाग। शची (स्त्री०) पुलोमजा, इन्द्राणी, शक्रिणी। (सुद० १/३०) विष। (जयो०वृ० १२/९९) ०वामी। शचीभतृ (पुं०) इन्द्र। राक्षस। शचीन्द्रिरा (स्त्री०) शचि रूप लक्ष्मी। (वीरो० ७/१४) शङ्कला (स्त्री०) [शङ्क उलच्] ० चाकू। शञ्च् (सक०) जाना, पहुंचना। शट् (अक०) बीमार होना। शङ्कलाशोधननिभ (वि०) शल्योद्धरणकल्प, कांटा निकालने ०बांटना, वियुक्त करना। वाला। (जयो० ४/१३) शट (वि०) [शट्+अच्] खट्टा, अम्ल, कसैला। शङ्कः (पुं०) घोंघा, शंख। ०एक द्वीन्द्रिय जलजीव। शटा (स्त्री०) [शट+टाप्] जटाएं, बाल के झुण्ड। खङ्ख (नपुं०) शंख, घोंघा, कम्बल। (जयो०वृ० २४/५१) शटिः (स्त्री०) [शट्+इन्] कचूर पादप, आमा हल्दी। 'शङ्कस्तु प्रभाते देवालयादौ सहजमेव ध्वन्यते' (जयो०७० शट् (सक०) धोखा देना, ठगना, धूर्तता करना। १८४९) ०हनन करना। मस्तक की हड्डी। ०कष्ट उठाना। काशी का एक राजा। (वीरो० १५/२०) ०समाप्त करना, नाश करना। शङ्खकः (पुं०) शंख, कम्बुक, दो इन्द्रिय जीव। शठ (वि०) [श+अच्] चालाक, धोखेबाज, कपटी, छली, ०कड़ा, कंगन। बेईमान। शङ्खकारः (पुं०) एक नाम विशेष। शठः (पुं०) ठग, धूर्त, मूर्ख। शङ्खचरिन् (पुं०) चन्दन का तिलक। ०मक्कार, झूठा। (जयो०२३/६४) (मुनि० २९) शङ्खचूर्ण (नपुं०) शंख का चूरा, शंखभस्म। मूढ, बुद्ध। शङ्खत्व (वि०) शंखपना। (वीरो० २/४८) ०सुस्त, परिश्रमहीन, उद्यमहीन। शङ्खद्राव: (पुं०) शंख भस्म का घोल। आलसी, प्रमादी, मोही, आसक्तजन। शङ्खध्मः (पुं०) शंख ध्वनि वाला, शंख बजाने वाला। शठं (नपुं०) केसर, जाफरान। शङ्खध्वनिः (स्त्री०) शंख की आवाज। अयस्क, लोहा। शङ्खनकः (पुं०) छोटा शंख, धोंघा। शठकार्यः (पुं०) धूर्ततापूर्ण कार्य। शङ्खनादः (पुं०) शंखध्वनि। (वीरो० ७/२) शठगत (वि०) मूढता युक्त। शङ्खप्रस्थः (पुं०) चन्द्र कलक। शठग्राहिन् (वि०) आलस्य को ग्रहण करने वाला, आलस्य शङ्खभृत् (पुं०) विष्णु। की ओर अग्रसर होने वाला। शङ्खमुखः (पुं०) घड़ियाल, मगर। शठजनः (पुं०) धूर्तजन, मूढव्यक्तिः (मुनि० २९) शङ्खश्वनः (पुं०) शंखध्वनि। शठचारिन् (वि०) झूठ का सहारा लेने वाला, झूठ का शङ्खसद्ध्वनि (स्त्री०) शंखनाद (वीरो० ७/२) आचरण करने वाला। शङ्खिन् (पुं०) सागर, समुद्र। शठभावः (पुं०) ठगभाव, छलभाव। शंखवादक। शठमतिः (पुं०) प्रमाद सहित प्रवृत्ति, प्रमाद का संयोग। शङ्खिनी (स्त्री०) [शजिन्+ङीप्] अप्सरा, परी, सुन्दरी, पदिनी। शठराज (पुं०) शठ शिरोमणि, धूर्तराज। (वीरो० ६/३४) शच् (सक०) बोलना, कहना, समझाना, बतलाना, बोधित शठशिरोमणि (पुं०) धूर्तराज। (वीरो० ६/३४) करना, ज्ञान कराना। शणं (नपुं०) [शण+अच्] सन, पटसन। (समु० १/१७) शचिः (स्त्री०) [शच्+इन्] इन्द्राणी, शक्रिणी। इन्द्रभार्या।। शणसूत्रं (नपुं०) सन से निर्मित बोरी। रस्सियां, डोरिया। शचिपतिः (पुं०) इन्द्र-'निर्माता तु शचीपतेः प्रतिनिधिः श्रीमान् | शण्डः (पुं०) [शण्ड्। अच्] नपुंसक, हिंजड़ा। कुबेरोऽग्रणी (वीरो० १२/५३) ०सांड। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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