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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वैमेयः १०२८ वैरीशः पलायन, प्रत्यावर्तन। वैमुख्यमप्यस्त्वभिमानिनीनामस्तीह' वैरकर (वि.) वैर विरोध करने वाला, शत्र विरोध करने (वीरो० ९/३९) वाला। 'आत्मीयजन शत्रुत्व विधायकः' (जयोवृ० ९/८१) ०अरुचि। 'स्वजनेषु वैरं करोतीति स्वजनवैरकर'। जुगुप्सा। वैरकारः (पुं०) शत्रुता का भाव। वैमेयः (पुं०) [विमेय+अण्] विनिमय, बदला। प्रतिहिंसा। वैयग्रं (नपुं०) [व्यग्र+अण] व्यग्रता, बैचेनी, आकुलता, वैरकृत् (पुं०) शत्रु, द्रोह। व्याकुलता। वैरक्तं (नपुं०) [विरक्त+अण] ०इच्छा का अभाव, सांसारिक ०तल्लीनता, अनन्यभक्ति। आसक्तियों के प्रति उदासीनता। वैयर्थ्य (नपुं०) [व्यर्थ+ष्यञ्] व्यर्थता, अनुत्पादकता। (वीरो० वैरगत (वि०) शत्रुता युक्त, विरोध को प्राप्त हुआ। १३/१३) वैयर्थ्य मावेदयितुं स्वमेष समीपमेति स्म सुद्रुदेशः। वैरजन्य (वि.) विरोध स्वरूप। (वीरो० १३/१३) वैरङ्गिकः (पुं०) [विरङ्ग विरागं नित्यमर्हति ठक] * विरागी। वैयधिकरण्यं (नपुं०) [व्यधिकरण+ष्य] भिन्न स्थानों में | सन्यासी, सद्मार्गी। होने वाला भाव। वैरनिर्यातनं (नपुं०) प्रतिहिंसा, विरोध भाव। वैया (स्त्री०) सेवा। वैयावृत्ति। (सम्य० ९२) वैरभावः (पुं०) विरोध भाव। वैयाकरणं (नपुं०) [व्याकरणमधीते वेत्ति वा अण] व्याकरण वैररक्षणं (नपुं०) विरोध की रक्षा। विषयक, व्याकरण सम्बंधी। (जयो० १/३१) वैरल्यं (नपुं०) [विरल+ष्यञ्] न्यूनता, विरलता, ढीलापन। वैयाकरणमतिः (स्त्री०) व्याकरण सम्बंधी दृष्टि। (दयो० ४) मृदुता। वैयाघ्र (वि०) [व्याघ्र+अज] चीते की तरह। वैरहरणमंत्र (नपुं०) शत्रुहरण मन्त्र। (जयो० १९/६३) वैयात्यं (नपुं०) [वियात+ष्यञ्] साहस। वैराग्यं (नपुं०) [विरागस्य भाव+-ष्यब] विरक्ति, विरागी की निर्लज्जता। अवस्था। अविनय। ० संसार-शरीर-भोगेषु निर्वेदलक्षणम्' 'भवांग-भोग वैयावृत्तिः (स्त्री०) सेवा, मुसुसा। प्रीतिभाव पूर्वक धर्मात्मा विरतिर्वैराग्यम्' की सेवा। गुणानुरागात्तु करोतु वैयावृत्तयप्रणीति रुचयेऽस्तु उदासीनता, अरुचि, असंतोष। वैया' (सम्य० ९२) रंज, शोक। वैयावृत्यकर (वि०) सेवा करने वाला। (जयो० २८/४१) वैराग्यभर्तुः (पुं०) वैराग्य स्वामी। (मुनि०५) वैयावृत्तियक्रिया (स्त्री०) सेवा भाव। (वीरो० ३/६) वैराटः (पुं०) इन्द्रगोप नामक क्रीड़ा। वैयावृत्यतपः (पुं०) वन्दनादि रूप उपकार का भाव। वैरात्रिक (वि०) रात्रि के पश्चात्, आधी रात पश्चात् दो घड़ी वैयावृत्त्ययोगः (पुं०) वैयावृत्त्य में लगना। 'व्यापृते यत्क्रियते बीतने क समय विरात्री, उसका काल वैरात्रिक। तद्वैयावृत्त्यम्' तस्य योगः'। वैरिन् (वि०) [वैर+इनि] विरोधी, शत्रुतापूर्ण। वैयासिकः (पुं०) [व्यासस्य अपत्यं, व्यास इञ्] व्यास का पुत्र। वैरिन् (पुं०) शत्रु, नाशक। (जयो० वृ० ३/१०९) दुश्मन, वैरं (नपुं०) [वीरस्य भावः] विरोध, शत्रुता, कलह, द्वेष। प्रतिपक्षी। प्रताप, शत्रु (जयो०वृ० १/४०) (समु० ४/११) वैरिसंग्रहः (पुं०) शत्रुसमूह। (जयो० ३/६) मनमुटाव, ईर्ष्या। वैरिआननं (नपुं०) वैरिमुख। निन्दा, ग्लानि। (जयो० १/७३() वैरिमुखं देखो ऊपर। द्रोह, वैमनस्य। (सुद० १/१६) वैरिनिवारक (वि०) विरोध शान्त करने वाला। (जयो०२०/१९) घृणा, प्रतिहिंसा। वैरूप्यं (नपुं०) [विरूप+ष्यत्र] विरूपता, कुरूपता। ०रूपों ०पराक्रम। की विभिन्नता। ०शूरवीरता, बहादुरी। | वैरीशः (पुं०) अरिनृप, शुत्रराजा। (जयो०१० ३/२७) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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