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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वृक्षछाया १०१६ वृत्तफलः * लौटना। वृक्षछाया (स्त्री०) तरुतल, वृक्ष के नीचे। (सुद० ११८) * अनुसरण करना। वृक्षधूपः (पुं०) तारपीन। * अनुरंजन करना। वृक्षनाथः (पुं०) वटवृक्षा वृक्षनिवासी (स्त्री०) नगौकस, खग, पक्षी। 'नगौकसी | वृत (भू०क०कृ०) [वृ+क्त] छाटा गया, चुना गया। वृक्षनिवासिनः सन्ति' (जयोवृ० ६/८) ___* समाच्छादित। (जयो०१३/६८) घेरा गया, लपेटा गया। वृक्षपत्रं (नपुं०) अगदल, वृक्षों के पत्ते। (जयो०वृ० १४/४) | वृतिः (स्त्री०) [वृ+क्तिन्] छांटना, चुनना, स्वीकार करना। वृक्षपाकः (पुं०) वटवृक्षा __ * घेरना, लपेटना। वृक्षभिद् (स्त्री०) कुल्हाड़ी। * अनुरोध, प्रार्थना, अनुनय। वृक्षकर्मटिका (स्त्री०) गिलहरी। वृतिका (स्त्री०) वर्तुलाकार। (जयो० १६/६७) वृक्षमूलः (पुं०) वृक्षभाग, वृक्षतल। (दयो० २२) वृत्त (भू०क०कृ०) [वृत्+क्त] * दृढ़, विद्यमान, अनुष्ठित। वृक्षवाटिका (स्त्री०) उद्यान, आराम, उपवन। * कृत, किया गया। वृक्षशः (पुं०) छिपकली। * गोल, गोलाकार। वृक्षशायिका (स्त्री०) गिलहरी। वृत्तं (नपुं०) चारित्र, आचरण, सम्यक्चरित्र। (जयो०२/६९) (भक्ति० ३०) ज्ञानेन वृत्तेन किलेत्यनेनः (सम्य० १२४) वृच् (सक०) चयन करना, छांटना। * बात, घटना। * स्वीकार करना। * समाचार। वृज् (सक०) टालना, कतराना, परित्याग करना। * प्रवर्तन। (सुद० ८६) चुनना, चयन करना। * प्रवृत्ति, पेशा, व्यवसाय, परिचय। (जयो० ५/५३) * नष्ट करना, समाप्त करना। * आचरण, व्यवहार, रीति। (सम्य० १२०) (सम्य० * उड़ेलना, फेंकना। १३७) वृजनः (पुं०) [वृजे+क्युः] धुंघराले बाल। * छन्द-मात्राओं की गणना वाला छन्द। (सुद० २/३०) वृजनं (नपुं०) पाप। * नियम, पद्धति, विधान, गोलाकार। (सुद० २/३०) * संकट। * छन्द-मुदुनीव खेः पद्मे पीठे वृत्ते कवेरिव' (दयो० * आकाश। १०६) * घेरा, बाड़ा। * षडरचक्रात्मवृत्त। (जयो०वृ० ६/१३२) वृजिन (वि०) [वृजे: इनज् कित् च] * वक्र, कुटिल, झुका * पद्यावली। (जयो० २०/३१) * वृतान्त। (सुद० ११६) * अधम, नीच, निम्न, पतित। (जयो०० ८७) वृत्तकर्कटी (स्त्री०) तरबूज, सरदा। वृजिनः (पुं०) धुंघराले बाल। वृत्तकुबल (पुं०) गोल गोल मुक्ता। कुवलं तूप्पले मुक्ताफलेऽपि वृजिनं (नपुं०) पाप। वृजिनं कलुषे क्लीवं केशे वा कुटिले त्रिषु बदरी फले इति वि (जयो० २२/३१) __इति वि (जयो०वृ० २८७) वृत्तगन्धि (नपुं०) छन्दानुबद्धता। * दुःख, कष्ट, पीड़ा। वृत्तचूड (नपुं०) मुंडित। व्रण (सक०) उपभोग करना, खाना, वरण करना। (जयो०४/६) वृत्तजातिः (स्त्री०) छन्द रचना। वृजिनोपमा (स्त्री०) पाप से उपमा। वृत्तपुष्पः (पुं०) बेत, वानीर। ___ * केश से उपमा। (जयो० २८७) - * सिरस तरु, कदम्बवृक्ष। वृणीत्व (वि०) अंगीकृत। (जयो० ६/७) वृत्तप्रेषणं (नपुं०) संदेशपत्र, पत्र। (जयो० १/६७) वृणीष्क (वि०) स्वीकार करने योग्य। (जयो०वृ० ६७) वृत्तफलः (पुं०) बेर। वृत् (सक०) चयन करना, स्वीकार करना, पसंद करना। * उन्नाव तना। * अभ्यास करना, अनुष्ठान करना। हुआ। * अनार। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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