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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विहङ्गमः १०१२ विहेठनं * सूर्य। विहारः (पुं०) [वि+ह+घञ्] गमन, पर्यटन। (जयो० १/५८) * चन्द्र। (जयो० १५/२०) * भ्रमण, परिभ्रमण, सैर करना। विहङ्गमः (पुं०) पक्षी। गमन। (सुद०८४) विहङ्गरात (पुं०) पक्षी राज, गृद्ध, गरुड़। क्रीडा, खेल, मनोविनोद, मनोरञ्जन, आमोद-प्रमोद। विहङ्गेन्द्रः (पुं०) पक्षी-गरुड़ पक्षी। * वाटिका, आरामगृह, उद्यान, उपवन। विहत (भू०क०कृ०) [वि+ह्र+क्त] पूर्ण आहत, घायल। * आश्रम। * बध युक्त। विहारिन् (वि०) गमनशीला (जयो० ९/२५) ___ * चोट ग्रस्त। * मनोविनोदी, मनोरंजन युक्त। * अवरुद्ध, विरोध किया गया। विहित (भू०क०कृ०) [वि+धा+क्त] प्रस्तुत, प्रकाशित। विहतिः (स्त्री०) [वि+हन्+क्तिच्] सखा, साथी, मित्र। (जयो०४/१६) विहननं (नपुं०) [वि+हन्+ल्युट्] * हनन्, ०घात, * क्षति, * अनुष्ठित, कृत, बनाया हुआ। ०हानि। * निर्मित, समादिष्ट, आदिष्ट। * हत्या, वधा * संचरित, रक्खा हुआ। * अवरोध, रुकावट, अड़चन। * सुसज्जित। विहरः (पुं०) [वि+ह+अप] * अपहरण करना, छीनना, * वितरित। हटाना। विहितिः (स्त्री०) अनुष्ठान, क्रिया, कार्य। * वियोग, बिछोह। * व्यवस्था। विहरणं (नपुं०) अपहरण करना। विहीन (भू०क०कृ०) [वि+हा+क्त] * रहित, अभाव, परित्यक्त, ___ * टहलना, घूमना। त्यागा गया। विहरन्त [वि+ह्य+शत्] विचरण करता हुआ। * शून्य, वञ्चित। * अपहरण करता हुआ। (विहरत (जयो० ९/६८) विहरन्त। * अधम, निम्न, नीचा। (सम्य० १५३) (सुद० २/१८) विहीनगेह (वि०) घर रहित। विहरन्ती (वि+ह शतृ ङीप्) विचरण करती हुई। (सुद०१३३) विहीनजाति (वि०) हीन जाति वाला। विहरन्तु (विचरण करें (सुद० ७६) विहीनवादी (वि०) यथार्थवादिता रहित। विहर्त (पुं०) [वि+ह तृच] भ्रमणशील, लुटेरा। भो गोमयादाविह वृश्चिकादिविहर्षः (पुं०) [विशिष्टो हर्षः] उल्लास, प्रसन्नता। श्विच्छक्ति रायाति विभो अनादि। विहसम (नपुं०) [वि+हस्+ल्युट्] मुस्कान, मंद हंसी। . जनोऽप्युपादान विहीनवादी, विहस्त (वि०) [विगतः हस्तो यस्य] हस्तरहित। वह्निं च पश्यन्नरणे प्रमादी।। (जयो० २६/९४) * व्याकुल, पराभूत, शक्तिहीन। विहीनशक्ति (वि०) शक्तिशून्य, बल रहित। * छाया रहित। अशक्त, अक्षम। विहृत (भू०क०कृ०) [वि+ह+क्त] खेला हुआ, खिलाया विहा (अव्य०) स्वर्ग। हुआ। विहापित (भू०क०कृ०) [वि+हा+णिच्+क्त-पुकागमः] * विहृतिः (स्त्री०) [वि+ह+क्तिन्] हटाना, दूर रहना। परित्यक्त कराया गया, छुड़ाया गया। * क्रीड़ा, मनोविनोद। विहायस् (नपुं०/पुं०) [वि+ह्य+असुन] आकाश, अंतरिक्ष, मेघ। (सुद० २/१८) * प्रसार। * पक्षी। विहेठक (वि०) [वि+हे+ण्वुल्] क्षति पहुंचाने वाला। विहायसा (वि०) गमनशीला। (जयो०२४/४) * आकाशीय। । विहेठनं (नपुं०) [वि+हे+ल्युट्] * क्षति पहुंचाना, घात विहायसदनं (नपुं०) आकाशगृह। करना। * विहार। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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