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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विषता १००७ विषादः विषता (वि०) विषरूपता। (जयो० २६/६) * देश, राष्ट्र, प्रदेश, मण्डल, साम्राज्य। विषदन्तकः (पुं०) सर्प, सांप। * इन्द्रिय, आनन्द। * सम्बंध (सुद० ८५) विषदर्शनः (पुं०) चकोर पक्षी। विषयइच्छा (स्त्री०) इन्द्रिय अभिलाषा। (जयो०वृ० २५/१७) विषधरः (पुं०) सर्प, सांप, अहि, शेषनाग। (दयो० १०५) विषयतर्षपाशिन् (वि०) तृषारूप रज्जु बद्ध। (जयो० २०७१) विषमसंख्यत्व (वि०) विषम संख्या वाला। (जयो०वृ० १/१९) विषयाणां तर्ष एव पाशोऽस्ति येषाम्। विषमाशुगः (पुं०) पञ्चबाण, तीक्ष्ण वायु। (जयो० २२/२१) | विषयातिशयः (पुं०) [विषयस्य देशस्यातिशय] देश की विशेषता विषमीकृत् (वि०) ऊबड़-खाबड़ किया हुआ। विषम | (जयो० १३/४४) नीचोच्चीकृत। (जयो० १३/२६) विषयाभिलाषा (स्त्री०) सांसारिक भोगों की आकांक्षा। विष निलयः (पुं०) सर्प बिल। विषयाशयः (पुं०) विषयवाञ्छा। (जयो० २५/१५) विषपुष्पं (नपुं०) नीलकमला विषयासक्त (वि०) विषय लोलुपी, विलासी। विषसापः (पुं०) जलवेग। (वीरो० ४/) विषयासक्ति (स्त्री०) कामासक्ति। विषप्रयोगः (पुं०) जहर देना। विषरूपता (वि०) विष युक्ता। (जयो० २६/६) विषभिवन विषलः (पुं०) जहर, हलाहल। विषभक्षक (वि०) विष शान्त करने वाला। (जयो० १/३५) विषलक्ष्मी (स्त्री०) दुर्भाग्य। विषभीत (वि०) विष से परिपूर्ण। (दयो० ४०) विषसार (वि०) अप्रसन्नता (जयो० २६/६) विषशिषज् (पुं०) वैद्य, सर्प चिकित्सक। (समु० ७/१५) विषलः (पुं०) जहर, हलाहल। विषम (वि०) [विगतो विरुद्धो वा सम] असमान, अनिमित। विषविकारः (पुं०) विष की हानि। (जयो०१० २५/६१) * ऊबड़-खाबड़, असम। विषस्थ (वि०) दुर्गम स्थिति। * कठिन, अगम्य, दुर्गम। विषसंहरणार्थ (वि०) विष शान्ति हेत। (जयो० १९/७१) * कुटिल (जयो० १२/८२) विषह्य (वि०) [वि+सह+क्त] सहने करने योग्य। * दृढ़, मजबूत, उत्कट। * संभव, शम्य। * खतरनाक, भ्यानक। विषा (स्त्री०) [विष्+अच्+टाप] गुण पाल राजा गुणश्री रानी * प्रतिकूल, विरुद्ध, विपरीत। (वीरो० १०/१९) की पुत्री। (दयो० ४३) विषम (नपुं०) दुर्गमस्थान, कठिनस्थल। ऊबड़-खाबड़-जगह। * विष्ठा, मल। (सुद० ७८) * प्रतिभा। * विरुद्ध (जयो० वृ० १/३०, कामचेष्टा (जयो० १/३०) * ज्ञान, समझ। * वैरी, शत्रु (जयो० ३/९६) विषाणः (पुं०) सींग। (जयो०१३/५१) * एक अलंकार, जिसमें कार्य कारण के बीच में अनोखा विषरणं (नपुं०) सींग। सम्बंध दर्शाया जाता है। विषाणडम्बरः (पुं०) सींगों का बोझ। (जयो० १३/५१) विषमः (पुं०) विष्णु। ___ विषणानां डम्बरः समूहस्त। विषमत्व (वि०) वक्रत्व, टेढ़ापन। (जयो० २/५४) विषाणिन् (वि०) [विषाण-इनि] सींगों वाला। विषमन्त्रः (पुं०) सपेरा, बाजीगर। * दांतों वाला। विषमय (वि०) विष से परिपूर्ण। (जयो०वृ० १४६) विषाणिन् (पुं०) हस्ति, हाथी। विषलक्ष्मी (स्त्री०) दुर्भाग्य। * बाहर निकले हुए दांत वाला। विषविभागः (पुं०) अभागा, सम्पत्ति में असमान वितरण। * सांड। विषयः (पुं०) पदार्थ, वस्तु, द्रव्य। * प्रयोजन (जयो० १/३) विषान्नभोजनं (नपुं०) विष युक्त भोजन। (दयो० १०३) * व्याख्येय प्रसंग, प्रस्तुतीकरण। विषादः (पुं०) [वि+सद्+घञ्] दु:ख, खेद, भिन्नता, व्याकुलता। * इन्द्रिय विषय। (सुद० १२८) __ (सम्य० १३५) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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