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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विरहः ९९३ विरुदावली - विरहः (पुं०) [वि+रह+अच्] विछोह, वियोग। (जयो०० | विराद्ध (भू०क०कृ०) [वि+राध्+क्त] * विरुद्ध, प्रतिकूल। १५/२९) पाणिग्रहणादि भूत्वा पश्चान्मे विरहो न स्यादिति' * कुपित, क्षतिग्रस्त। (जयो०वृ० ११/५१) * घृणापूर्वक, व्यवहता * छोड़ना। (जयो० १६/७२) त्यागना। विराधः (पुं०) [वि+राध्+घञ्] * विरोध, प्रतिरोध, विवाद। * अभाव। सताना। (समु० २/१३) विरहगत (वि०) वियोग को प्राप्त हुआ। * संतप्त, दु:खी, पीड़ित। विरहज्वरः (पुं०) वियोग वेदना। विराधक (वि०) सताने वाला। 'विराधकः सन्नखिप्रजाया, विरहपीड़ा (स्त्री०) बिछोह का दुःख। अवादि वृद्धैर्नरकं स यायात्' (समु० २/३३) विरहाग्निनान्त (वि०) विरह रूपी अग्नि से जलने वाला। | विराधनं (नपुं०) [वि+राध्+ल्युट] * विरोध करना, चोट (जयो० १६/१६) पहुंचाना, सताना। विरहानलः (पुं०) विरहाग्नि। * कष्ट देना, पीड़ित करना। विरहाविरहाशा (वि०) विरह का खेद। (जयो० १३/७७) । विराधना (स्त्री०) संताप, पीडा, दुःखी। विरहासहा (वि०) वियोगमसहमाना, वियोग को सहने वाला विराधिन् (वि०) विराधना करने वाला। कुर्वन्वृथाज्ञस्स्वधियो (जयो० २१/१४) विराधी, सम्पन्नतामेत्वमधुना समाधिः। (भक्ति० २७) विरहात (वि०) विरह से पीड़ित। विरामः (पुं०) [वि+रम्+घञ्] रोकना, बन्द करना, समाप्त विरहावस्था (स्त्री०) वियोगजन्य दशा। करना। विरहिणी (स्त्री०) वियोगिनी। (वीरो० ६/३६) * विश्राम। (जयो० २२/८१) विरहित (वि०) परित्यक्त, छोड़ा हुआ। * अन्त, समाप्ति, उपसंहार। विरहोत्कण्ठ (वि०) वियोग का कष्ठ भोगने वाला। * यति, रुकावट, ठहराव। विरहोत्सुक (वि०) विछोय युक्त। विरावः (पुं०) [वि+रु+घञ्] ध्वनि, कोलाहल, आवाज। विराग (वि.) [वि+रञ्ज+घञ्] * विरक्ति, सांसरिक कारणों | विराविन् (वि०) [वि+राव+इनि] रोने वाला, चीखने वाला, से निवृत्ति, विषयाभाव। चिल्लाने वाला। * अरुचि। * गृह परिवार भोगादि से निवृत्ति। (जयो०६/१००) विराविणी (स्त्री०) चिल्लाने वाली, रोने वाली। * इच्छा रहित। विरिक्तक (वि०) खाली, रीता हुआ। (जयो० १२/७९) * वृत्तिपरिवर्तन, असंतोष। विरिंचः (पुं०) [वि+रिंच इन्] ब्रह्मा। विरागभृत (वि०) विरक्ति से परिपूर्ण। (सुद० ५/९) विरुग्ण (भू०क०कृ०) [वि+रुज्+क्त] * रोग ग्रस्त। विरागिन् (वि०) विरक्ति युक्त, विषयवासना रहित। (सुद०१२२) * विनष्ट हुआ। इत्येवं प्रत्युत विरागिणं समनुभवन्तं स्वात्मनः किणम्। * झुका हुआ। * ढूंठ। (सुद० १२२) विरुत (भू०क०कृ०) [वि+रु+क्त] * चीखा हुआ, चिल्लाया विराज् (पुं०) [वि+राज्+क्विप्] * कान्ति, आभा, शोभा, हुआ। प्रभा। (जयो० १/९७) (समु० ६/१) * चीत्कारपूर्ण, गुंजायमान। विराजित (भू०क०कृ०) [वि+राज्+क्त] सुशोभित, देदीप्यमान, विरुतं (नपुं०) चिल्लाना, चीखना, दहाड़ना। प्रकाशित। (जयो० १/९७) ___* चिल्लाहट, ध्वनि, घोषणा। * प्रदर्शित, प्रकटीकृत। __* कूजना, गुनगुनाना, भिनभिनाना। विराटः (पुं०) [विशेषो राटो यत्र] विराट नामक राजा, जहां | विरुदः (पुं०) घोषणा करना, चिल्लाना। पांडवों ने छद्मवेश में निवास किया था। विरुदं (नपुं०) ध्वनि करना। विराटकः (०) [विराट कन्] अल्प प्रमाण वाला हीरा। विरुदावली (स्त्री०) यश प्रशस्ति, गुणगान गीतिका। (वीरो० विराणिन् (पुं०) हस्ति, हाथी। ९/१२, जयो० ६/६०) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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