SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 129
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विनिह्नवः ९८२ विपक्षः विनिह्नवः (पुं०) निश्छल भाव। (जयो० १५/१००) विनोदवशः (पुं०) हर्षाधीन। (वीरो० २२१३) विनिहितः (पुं०) अपशकुन, धूमकेतु। विनोदवशंगत (वि०) नर्मवश, विनोदप्रिय हुआ। (जयो०१४/२९) विनीत (भू०क०कृ०) [वि.नी+क्त] * नम्रीभूत, नम्रता युक्त। विनोदशील (वि०) आनन्दप्रिय, हर्षभाव युक्त। * शिष्ट, शालीन, सौम्यतापूर्ण। विनोदिन् (वि०) विनोदरसिक। (जयो० १८/३८) * सुसंस्कृत, संस्कारयुक्त, सदाचरणशील, नम्रव्यवहारी। विन्द् (सक०) विभक्त होना, विभाजित होना। (सम्य० ४१) (सुद०४/४५) विन्दल्लभमान (वि.) संदर, रमणीय, कान्तिमय। * सीधा, सरल, शांतचित्त। (जयो०वृ० ११/१५) * प्रिय, इष्ट, मनोज्ञ, मनोहर। विन्ध्यः (पुं०) [विदधाति करोति भयम] एक पर्वत विशेष, * आत्मसंयमी, जितेन्द्रिय। विन्ध्यगिरि। विनीतः (पुं०) विनीत/सधा हुआ। विन्ध्यकूटः (पुं०) विन्ध्यगिरि का शिखर। विनीतकं (नपुं०) [विनीत+कन्] * यान, वाहन, सवारी, विन्ध्यगिरि (पुं०) विन्ध्याचल पर्वत। (सुद० ४/१७) गाड़ी। विन्ध्याचलः (पुं०) देखो ऊपर। * मृदुलोपेत। (जयो० १/१००) विन्ध्याटवी (स्त्री०) विन्ध्य महावन। विन्न (भू०क०कृ०) [विद्+क्त] * ज्ञात, परिज्ञात, जाना * मृदुलता युक्त। * ले जाने वाला, वाहक। हुआ। * शान्त, श्रान्त। * स्थिर किया हुआ। विनीतत्त्व (वि०) विनम्रापन, नम्रशीलता। (दयो०७०) विन्नकः (पुं०) [विन्न कन्] अगत्स्य ऋषि का नाम। विनून (वि०) नवीनता रहित। (जयो० २७/३०) विन्नरः (पुं०) विद्वान् पुरुष। नहि किन्नर एष विन्नरो भवतां विनेतृ (पुं०) [वि+नी+तृच्] नेता, पथ प्रदर्शक। येन सतामिहादरः (जयो० १०/७९) 'विन्नरोऽयं यतश्च * शिक्षक, अध्यापक। सतां भवतामिहादरः' (जयो०वृ० १०/७९) * नायक। विन्यस्त (भू०क०कृ०) [वि+नि+अस्+क्त] * निक्षिप्त, रखा * शासका हुआ, निवेशित। (दयो० ८७) * प्रशासक। * न्यास युक्त, धरोहर रूप। विनैव (अव्य०) इसके बिना ही। (सुद० ८६) इसके अतिरिक्त * जुड़ा हुआ, सम्बंधित। ही। (जयो० १/३१) * उपस्थित, प्रस्तुत। विनोदः (पुं०) आनन्द, मनोरंजन, खुशी। विन्यासः (पुं०) [वि+न्यस्+घञ्] * धरोहर, अमानत, न्यास। * कौतुक (जयो० २/१३४) उत्सुकता, उत्कण्ठा। * सौंपना, रखना, देना। (जयो०१/४) * संग्रह, समवाय, संकलन। आमोद-प्रमोद, प्रसन्नता, परितृप्ति। * आश्रय, आधार। _ * रतिबन्ध विशेष। * क्रमपूर्वक निक्षेप करना। विनोदकृत् (वि०) हर्ष धारक, प्रसन्नता युक्त। (जयो० १८/१) | विपक्तिम (वि०) [वि+पच्+क्तृि+मप्] * परिपक्व, पका 'श्री युक्त पाठक! शृणूत विनोदकृत्ते' विनोदगत (वि०) प्रसन्नता युक्त। * विकसित, खिला हुआ, पूर्णता को प्राप्त। विनोदगृहं (नपुं०) क्रीड़ा स्थान। विपक्व (वि+पचू+क्त) परिपक्व, पका हुआ। विनोदनं (नपुं०) [वि+नुद्+ल्युट्] * मनोरंजन, आनंद, कौतुहल। ... * विकसित, प्रफुल्लित, खिला हुआ। * हटाना, निवारण करना। विपक्ष (वि०) [विरुद्ध पक्षो यस्य] * प्रतिकूल, विरुद्ध, बैरी। विनोदपात्रं (वि०) आनंद का अधिकारी। ___ * परिवादी। विनोदबन्धः (पुं०) रतिबन्ध। विपक्षः (पुं०) शत्रु, विरोधी, प्रतिद्वन्द्वि। विनोदभावः (पुं०) हर्षभाव, कौतुक। (जयो०वृ० १४८६) * परिवाद। (जयो० २८/३२) हुआ। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy