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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विघ्नकर ९६६ विचारः विघ्नकर (वि०) विरोध करने वाला, बाधा उत्पन्न करने वाला, अवरोध कारक। विघ्नकरण (वि०) बाधक। ०अवरोधक। विघ्नकारिन (वि०) बाधाकारी, कष्टदायी, व्याकुलता उत्पन्न करने वाला। विघ्नकृत् (वि०) अन्तरायकृत्। (जयो० १७/८२) विघ्नगत (वि०) कष्ट को प्राप्त हुआ। विघ्नजन्य (वि०) बाधा जनक। विघ्नध्वंसः (पुं०) कष्ट दूर करने वाला। विघ्ननायकः (पुं०) गणपति, गणेश। विघ्ननाशक (वि०) बाधा नष्ट करने वाला, कष्ट दूर करने वाला। विघ्नविन (वि०) विघ्न बाधाएं। (जयो० २/३७) विघ्नपाप (वि०) पाप जन्य बाधा। विघ्नप्रतिक्रिया (स्त्री०) बाधाओं को दूर करना। विघ्नप्रसंग (वि०) हारिकारक बान्धव। विघ्नमोह (वि०) मोह की बाधा वाला। विघ्नलोपिन् (वि०) बाधा नाशक। (वीरो० १/६) विघ्नविनायकः (पुं०) गणपति, गणेश। विघ्नसंग्रहः (पुं०) विघ्नामुपडवाणां संग्रहं विध्नतो निवारयः। (जयो० १९/८६) विघ्नसिद्धिः (स्त्री०) कष्ट दूर करना। विघ्नहर (वि०) नष्ट नाशक। (जयो० १२/२४) विनित (वि०) [विघ्न+इतच] कष्ट सहित, बाधा जनित। विङ्खः (पुं०) अश्व खुर। विच् (सक०) विभक्त करना, बांटना, विभाजित करना, पृथक् पृथक् करना। विवेचन करना, विवरण देना, निरूपण करना। ०वञ्चित करना, हटाना। विभाग करना, भेद करना। विचकत्व (वि०) केशलोंच युक्त। (जयो० १८/४६) विचकिलः (पुं०) [विच्+क, किल्क ] चमेली, मदन तरु। विचक्षण (वि०) चतुर, विद्वान्, बुद्धिमान, धीमंत, धीमति। ०मनोहर सुंदर। (जयो०७० ३/३७) स्पष्टदर्शी, दीर्घदर्शी, सावधान, सचेत। विचक्षणं (नपुं०) [वि+चक्ष् ल्युट्] चतुर, निपुण, तेज। (सुद० ११९) विचक्षणा (स्त्री०) बुद्धिमति, प्रवीणा, प्रज्ञावंता। विचक्षणः (पुं०) [वि+चक्ष्+घञ्] ज्ञानी पुरुष, धीमान व्यक्ति, बुद्धिमंत पुरुष। विचक्षस (वि०) [विगतं विनष्टं वा चक्षुर्यस्य] दृष्टि हीन, समदर्शी, अंधा, नेत्रहीन। व्याकुल, खिन्न। विचचार (भू०) विचारा गया, सोचा गया। (जयो० ४/२०) विचयः (पुं०) [वि+च+अप्] ०खोजबीन, अनुसंधान, शोध। विवेक, विचारणा-'विचयनं विचयो विवेको विचारण मित्यर्थः' (स०सि० ९/३६) 'विचितिर्विवेको विचरणं विचयः' (त०वा० ९/३६) ०ध्यानदृष्टि-आज्ञाविचय, अपायविचय और संस्थानविचय। (सम्य० ७९) विचयनं (नपुं०) विवेक, विचार, शोध, अनुसंधान, विचारणा। विचर् (सक०) विचारना, सोचना, विचरण करना। (जयो० ४/४८) (वीरो० १०/५३) विचरण (नपुं०) विहार, घूमना। (सुद०८८) विचर्चिका (स्त्री०) विशेषेण चळते पाणिपादस्य त्वक् विदार्यतेऽनया [वि+चर्च्+ण्वुल+टाप्] खुजली, कर्कन्दु, खाज। विसर्पिका। विचल् (अक०) चलना, इधर, उधर घूमना। (जयो० ५/१५) विचल (वि.) [वि+चल्+अच] इधर-उधर घूमाने वाला, हिलने वाला, चलित। चंचल, चपल। अभिमानी। विचलनं (नपुं०) [वि+चल्+ल्युट्] स्पन्दन, हलन-चलन, स्फुरण, व्यतिक्रम। अस्थिरता, चंचलता, अभिमान। विचारः (पुं०) [वि+च+घञ्] चिन्तन, मनन, सोच। (सम्य० ४५) चन्द्रिका। (सुद० २/४५) एताहगुत्साहिविचारदृब्धिरुदेति, चित्तेऽस्य विशुद्धिलब्धिः । (सम्य० ४५) ०परीक्षा, निर्णय, गवेषणा, खोज। न्यथावस्थित वस्तु की व्यवस्था। विवेचन, निरूपण, विवेक, तर्कना। ०अर्थ, व्यञ्जनं और योग का परिवर्तन। निश्चय, निर्धारणं चयन विवेक (जयो० १/३६) संदेह, संकोच, दूरदर्शिता, सतर्कता। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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