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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वाराहीकंदः ९५५ वारिमुक्ता वाराहीकंदः (पुं०) महाकंद। वारि (नपुं०) ०जल, पानी, क्षीर। (सुद० १००) (सुद० ४/१५) अम्बु, पयस्, अम्भ। (वीरो० २/३१) वार्वारिक पयोऽम्भोऽम्बु इति धनञ्जयो (वीरो० २/३१) ०क, वा। वारिः (स्त्री०) गजबन्धनी, शृंखला, सांकल। (जयो० १३/११०) वारी गजबन्धनी येन स स्तम्भं बन्धनस्थूलमुत्खायातितराम्' (जयो० १३/११०) सरस्वती, भारती। ०बंदी, कैदी। जलपात्र। वारिकर्पूरः (पुं०) मछली विशेष। वारिका (स्त्री०) असि, तलवार। (जयो० १६/७६) संस्फुरत्तरल वारिकां हि (जयो० १६/७६) तरलश्चञ्चले खड्गे इति विश्वलोचनः। वारिकायिकः (पुं०) जलकायिक जीव। (वीरो० १०/२९) वारिकुब्जकः (पुं०) सिंघाड़ा, श्रृंगाटक। वारिक्रिमी: (स्त्री०) जोंक। वारिचत्वरः (पुं०) जलाशय, बावड़ी। वारिचर (वि०) जलचर जीव। मीनादयो वारिचरा जन्तवो' (जयो० २०/७) मछली, मगर आदि। वारिचरी (स्त्री०) सरस्वती, बुद्धिमती। (जयो० १२/३४) 'सरस्वत्यां चरतीति वारिचरी' (जयो०१० १२/३४) मछली, मीन। वारिचरी मत्स्यिकेव धीवरतो बुद्धिमतो मीनग्रहिणो' (जयो०वृ १२/३४) वारिज (वि०) जल में उत्पन्न होने वाला। वारिजः (पुं०) पङ्कज, कमला (जयो० ४/५६) वारिजं (नपुं०) कमल, पद्म। नमक। गौरसुवर्ण। लवंग, लौंग। वारिजतुल (वि०) कमल सदृश। (जयो० ३/१३) वारिजराज (वि०) कमल सदृश। (जयो० २४/७४) वारिजातः (पुं०) कमल। 'कुमुदं कैरवे क्लीवं कृपणे ___कुमुदन्यवदिति कोषः। वारित (वि०) निवारित, हटाया। (जयो०वृ० ६/९६) वारितस्करः (पुं०) मेघ, बादल। वारितापक्रमः (पुं०) जल रहित। (जयो० २८/५३) वारित्रा (स्त्री०) छतरी, छाता। वारिदः (पुं०) मेघ, बादल। (वीरो० २/३३) 'वारिं जलं ददातीति वारिदोमेघस्तेन' (जयो०७० १७/२१) सरस्वती। ०वचनोच्चारण। 'वारिं सरस्वती वाचं ददातीति वारिदस्तेन' (जयो०वृ० १७/२१) वारिं सरस्वती देव्यां वारिहीवेदनीरयो इति विश्वलोचनः। (जयो० १७/२१) वारिदः (पुं०) आप्त पुरुष-वारिं धर्मोपदेशं ददातीति वारिदा आप्तपुरुषाः' (जयो०वृ० ३/५) वारिदगणः (पुं०) मेघाडम्बर, मेघ समूह। (जयो० ३/५) वारिदवारिदक्षः (पुं०) मेघ जल देने में प्रवीण। अभिलाषी। वारिदस्य मेघस्य वारिजले वक्षरूपोऽभिलाषी। (जयो० १२/८६) वारिद्रः (पुं०) चातक पक्षी। वारिधरः (पुं०) मेघ, बादल। वारिधारा (स्त्री०) जलप्रवाह, बौछार। (जयो० ६/१०७) वारिधाराधारिणी (वि०) जलप्रवाह युक्ता। (दयो० ११२) जल के प्रवाह में चलने वाली। वारिधाराधारिणी (स्त्री०) नदी, सरिता। वारिधि (पुं०) समुद्र, सागर। वारिनाथः (पुं०) समुद्र, सागर। मेघ, बादल। वारिनिधि (पुं०) समुद्र, सागर, जलोदधि। (समु० ६/२०) 'वारि सैव निधिर्यस्य सः' (जयो०७/५७) वारिनिवर्षा (स्त्री०) जल वर्षा। वचन रूप वर्षा-'वारेर्वाचो निवर्षेः' वर्षाभिः' (जयो० ३/९२) वारिपथः (पुं०) जल यात्रा, नौका विहार, जल क्रीड़ा। वारिपूरः (पुं०) जलपूर, जलप्रवाह। (जयो० ४/३५) वारिप्रवाहः (पुं०) झरना, जलप्रपात। वारिभरिता (स्त्री०) बटलोई, जल भरने का पात्र। (दयो०९३) वारिभवं (नपुं०) कमल। (जयो० १९/५) वारिभवोज्जवलः (पुं०) जल के सद्भाव से उज्ज्वल। 'वारिभवोज्ज्वलेन वारिभवं कमलं तद्वदुज्ज्वलेन। यद्वा वारिणो भवः सद्भावस्तेनोज्ज्वलः' (जयो० १९/५) वारिमुक्ता (स्त्री०) जल बिन्दु, जलस्राविता, वारिमुक्तामथ च वारिणो जलस्य मुक्तां बिन्दुम्। (जयो०वृ० १६/१९) ०वचनमुक्ता-वारिं वाचं मुञ्जतीति तस्य भावस्तां वारिमुक्ताम्' (जयो०वृ० १६/१९) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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