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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वायुरथः ९५४ वाराही । मा से सहित एवं जो देखने में न आने वाले हों, उसे वायुमण्डल कहा जाता है। वायुरथः (पुं०) विजया पर्वत का राजा, पुण्डरीक नगर का __ शासक। (जयो० २३/५२) वायुरोगः (पुं०) वातरोग। वायुरोषा (स्त्री०) रात्रि, रजनी। वायुरुग्ण (वि०) वात रोग से पीड़ित। वायु वर्त्मन् (पुं०/नपुं०) आकाश, अन्तरिक्ष, आकाश पथ। वायुवाहः (०) Wआ। वायुवाहिनी (स्त्री०) शिरा, धमनी। वायुवृत्तिः (स्त्री०) वाततति, पवन वेग। (जयो०वृ० २१/७०) वायुवेगः (पुं०) वाततति-पवन गति। वायुसंवर्द्धिनी (स्त्री०) थोकनी, भस्त्रा। (जयो० ११/६८) वायुसखः (पुं०) अग्नि, आग। वायुसेवनं (नपुं०) हवा खोरी। (दयो० ८९) वार् -निवारण करना। (जयो० २/२१) वार् (नपुं०) [वृ+णिच्+क्विप्] जल, पानी। वा:किटिः (स्त्री०) संस। वाःदरं (नपुं०) मेघ, बादल, जिमूच। वाःपुष्पं (नपुं०) लवंग, लौंग। वा:सदनं (नपुं०) जलाशय, हौंज, जलकुण्ड। वा:स्थानं (नपुं०) जल में स्थान। वारः (पुं०) [वृ+घञ्] संसचूक ०जयवारय *वारसम्पदा परिषत् सा परिसंचरन्मदा। (जयो० २६/१८) आवरण, आच्छादन, परदा, चादर। (सुद० ४/३६) बालक। (जयो०वृ० ६/६८) समूह, समुच्चय, समुदाय, संग्रह। रेवड़, लंहगा। कुब्ज वृक्ष। (जयो०२१/३४) समय, वारी, दिन। वारं (नपुं०) मदिरा, शराब, मद्य। वारकीरः (पुं०) पत्नी का भाई, साला। कंघी। वारंगः (पुं०) तलवार की मूठ। वारजनी (स्त्री०) वेश्या, गणिका। (वीरो० ६/३३) वारटं (नपुं०) खेत, खेत समूह। वारण (वि०) निवारण, हटाने वाला, विरोध करने वाला। (जयो०वृ० १९/७४) वारणं (नपुं०) रुकावट, विरोध, विघ्न, बाधा, निवारण। लोकोऽयं वृषभावतोऽपि सुतरां दुष्कर्मणां वारणं। (मुनि०३९) आवरण, पर्दा, आच्छादन। ०ढकना, ढक्कन। प्रतिरोधक, प्रतिरक्षा, सुरक्षा। वारणः (पुं०) हस्ति, गज, हाथी। (जयो० २१/२२) 'पथि सादिवरः कृतेक्षणः कृतवानास्तरणं तु वारणे' वारणावतं (पुं०) एक नगर विशेष। वारत्रं (नपुं०) चमड़े की पट्टी। वारंवार (अव्य०) [वृणमुल्] प्रायः बहुधा, बार बार, फिर-फिर __(मुनि० १३) वारयात्रिकः (नपुं०) जन्यजन, बाराती लोग। मृदुलड्डकुचा प्रियेव शस्तैरूपभुक्त्वा बहु वारयात्रिकैस्तैः (जयो० १२/१२३) वारय् (सक०) निवारण करना। (जयो० २/१२१) वारयितुं (वार+तुमुन्) निवारण करने के लिए। (सुद० १२०) वारला (स्त्री०) [वार+ला+क+टाप्] बर्र, भिड़। हसिनी। वारा (स्त्री०) शिविका, पालकी। (जयो० ६/४०) वाराकर-वारः (पुं०) नवोढा का कर निवारण। (जयो० १) वाराणसी (स्त्री०) [वरुणा च असी तयोः नद्योरदूरे भवा इत्यर्थ-अण+ङीप्] वाराणसी नगरी, बनारस, काशी। (जयो० ९/९२) वाराणसीशः (पुं०) वाराणसी का राजा। (जयो० २०/३९) राजा अकम्पन्न। (जयो० २०/३९) वारानिधि (पुं०) [वारिनिधिं चुलकीचकारागस्त्य इति जनश्रुतेः] समुद्र, वारिधि। (जयो० १७/८) वाराशि (पुं०) लवणसमुद्र। (वीरो० २/७) वाराह (वि०) शूकर से सम्बन्धित। वाराहः (पुं०) शूकर, एक वृक्ष विशेष। वाराहकल्पः (पुं०) वर्तमान युग। वाराहपुराणं (नपुं०) पुराण का नाम। वाराही (स्त्री०) [वाराह+ङीप्] शूकरी। ०पृथ्वी। माप विशेष। ०अश्व। (युद्ध अश्व)। वारक (वि०) रुकावट डालने वाला। वारकः (पुं०) अश्व। बालक, लड़का, शिशु। (जयो०१७/११४) कर प्रचार। (जयो०वृ० १७/११४) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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