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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संकीर्णपद निर्णय, दीक्षा, राज्याभिषेक एवं प्रतिमा स्थापन; अचानक लाभ का योग; लग्नेश की स्थितिवश कार्यनाश और कार्यसिद्धि का योग; चन्द्रमा की स्थितिवश कष्ट और मृत्यु का योग; शुभ और अशुभ व्यय का निर्णय । ११२-११५ दीप्त प्रश्न विचार-प्रवासी की मृत्यु और बन्धन; मृत्यु योग; प्रवासी को कष्ट-योग। ११६-११८ यानाविचार; विदेश यात्रा; यात्रा में सुख का योग; यात्रा में संकट; यात्रा से निवृत्ति ; आगमन योग; यात्रा-समाप्ति। ११८-१२२ मृत्यु योग---शीघ्रमृत्यु, रोगी की मृत्यु के योग ; रोग-विचार, देवदोष एवं चिकित्सा-विचार । १२२-१२८ दुर्गभङ्ग-किला टूटेगा या नहीं ? शीघ्र किला टूटने का योग; किला न टूटने का योग। १२८-१३१ चोरी का निर्णय ? चोरी का सामान मिलने का योग; १३१-१३८ तेजी-मन्दी का विचार। १३८-१४५ नौका, मृत्यु एवं बन्धन आदि व्यतीत दिन का लाभालाभ; लग्नेश द्वारा मास फल; द्रेष्काण-फल-मृत्युयोग; लाभ योग; पुत्र प्राप्ति; लग्न में शुभ और पापवर्ग का फल; देवदोष विचार एवं शान्ति के उपाय; दिनचर्या-विचार-चन्द्रमा के द्वारा दिन का शुभाशुभत्व, शस्त्र से मृत्यु । पुत्र एवं कन्या का जन्म विचार; पति/पुन की प्रगति; गढ़े धन मिलने का योग; गढ़ा खजाना कब मिलेगा? भावों के कारक; एक समय में अनेक प्रश्नों का विचार। १४५-१६६ परिशिष्ट : १७१-१७६ 1. प्रश्न कुण्डली कैसे बनावें ? 2. इष्टकाल साधन, ग्रहस्पष्टीकरण एवं लग्न साधन । 3. उत्तर भारत के प्रमुख नगरों की अक्षांशादि-तालिका। For Private and Personal Use Only
SR No.020128
Book TitleBhuvan Dipak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaprabhusuri, Shukdev Chaturvedi
PublisherRanjan Publications
Publication Year1976
Total Pages180
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size53 MB
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