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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विषय-सूची मेषादि राशियों के स्वामी, ग्रहों की उच्च और नीच राशियाँ, परमोच्च और परमनीच, ग्रहों के मित्र और शत्रु, राहु का क्षेत्र, उच्च और नीच, केतु की स्थिति । १-२२ ग्रहों का स्वरूप; काल- प्रतिनिधित्व; ऊर्ध्वआदि दृष्टि ; प्रकृति रस; धातु, मूल, जीव आदि संज्ञा; द्विपदादि संज्ञा; वर्ण; आकृति; रंग; जाति; धातु निवास स्थान; पुरुष-स्त्री संज्ञा, आयु और शुभाशुभत्व । २३-४५ द्वादश भावों से विचारणीय विषय; इष्ट काल का निर्णय; लग्न एवं चन्द्र विचार; बल निर्णय; कार्य भाव विचार; कार्यसिद्धि के योग; ग्रहों की दृष्टि और दृष्टि द्वारा फल में तारतम्य विनष्ट ग्रह का लक्षण और फल । ४५-७२ चार राज योग; उनके उदाहरण; चन्द्रमा की दृष्टि का महत्त्व अर्ध और पाद योग; लाभ विचार; राज्य; व्यापार एवं नौकरी में उन्नति; लग्नेश की स्थिति का फल, मृत्यु और व्यय योग; धन लाभ के साथ अनर्थ; अफ़वाह का निर्णय । ७३-६० गर्भ की कुशलता; गर्भपात योग; गर्भपात कितनी बार होगा ? क्या सन्तान होते ही मर जायेगी ? जुड़वां बच्चों के जन्म का योग, जन्म विचार | पुत्र / कन्या ε0-εε रखैल और विवाहिता स्त्री की प्राप्ति के योग; स्त्री सुख का विचार; दास्त्यप्रीति और वैर-योग ; विषकन्या का निर्णय । ६६-१०५ भाव के अन्त में स्थित ग्रह का फल; विवाहादि के समय वर्षा का विचार; वर्षा के अन्य योग । १०५-१०६ मुकद्दमा, लड़ाई एवं अन्य विवादों में हार-जीत का निर्णय । For Private and Personal Use Only १०-११२
SR No.020128
Book TitleBhuvan Dipak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaprabhusuri, Shukdev Chaturvedi
PublisherRanjan Publications
Publication Year1976
Total Pages180
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size53 MB
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