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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मगनी नचनी बेटी, नंगी स्त्री । नगपति - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) हिमालय या सुमेरु पहाड़, शिव जी, चन्द्रमा । नगभिन्नक - संज्ञा, पु० (सं० ) पाषाणभेद, नगनी – संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० नग्न ) लड़की, नगारि - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) इन्द्र जी । नगाधिप, नगाधिपति, नगाधिराजसंज्ञा, पु० यौ० (सं०) हिमालय, सुमेरु । "हिमालयो नाम नगाधिराजः " - कु० । नगी - संज्ञा, स्त्री० (सं० नग + ई-प्रत्य० मणि, नगीना, पार्वती, पहाड़ी स्त्री । नगीचां - क्रि० वि० दे० ( फा० नज़दीक ) निकट, पास नजदीक, समीप वि० (दे० ) नगीची । ) ३७३ एक औषधि, परवानभेद (दे०) । नगर - संज्ञा, पु० (सं०) शहर - वह बस्ती जो कसबे से बड़ी हो, जहाँ अधिक लोग रहते हों । नगर कीर्तन - संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) जो गाना-बजाना नगर की गलियों में घूम फिर कर हो । नगर-नारि, नगर-नारी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० नगर-नारी) वेश्या । नगर-नारिका यार भूलि परतीति न कीजै " - गिर० । नगर-नायिका - संज्ञा, स्त्रो० यौ० (सं०) वेश्या, रंडी । 64 नगरपाल - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कोतवाल, नगर- रक्षक, नगर-पालक । नगरवर्ती - वि० (सं० नगरवर्तिन् ) नगर में स्थित, नगर वासी । नगरवासी - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) नागरिक, शहर का रहने वाला, नगर-निवासी । नगरद्दा - संज्ञा, पु० (दे०) नगर निवासी । नगरहार - संज्ञा, पु० (सं०) जलालाबाद के समीप का एक पुराना शहर । नगराई + - संज्ञा स्त्री० दे० (हि० नगर + श्राई- ई - प्रत्य० ) शहरातीपन, नागरिकता, चतुरता । नगरी - - संज्ञा, स्त्री० (सं०) शहर, नगर । नगरपाँत संज्ञा, पु० यौ० (सं०) नगर का द्वार या पार्श्व, नगर का निकास, नगर के समीप । नगस्वरूपिणी --- संज्ञा, स्त्री० (सं०) प्रमाणिका या प्रमाणी छंद । जरा लगौ प्रमाणिका " - पिं० । .. नगाड़ा – संज्ञा, पु० दे० ( फ़ा० नगारा ) नगारा, धौसा, डंका | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नगीना - संज्ञा, पु० ( फा० ) मणि, नग । ' सिय सोने की अँगूठी राम नीलम नगीना हैं" । नगीनासाज़- संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) नग बनाने या किसी वस्तु में जड़ने वाला, जड़िया । नगेन्द्र. नगेश -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) हिमालय, सुमेरु नगपति, नगराज । नगे मरि | संज्ञा, पु० दे० (सं० नागकेसर ) नागकेशर, नागकेसर, (श्रौष ० ) ।' Gi नग्न - संज्ञा, पु० (सं०) नगन (दे० ) नङ्गा, वस्त्र-रहित, श्रावरण-रहित, खुला, दिगम्बर । कहा निचोरै नग्न जन, न्हान सरोवर कीन" - बृं० । नग्नता -- संज्ञा, स्त्री० (सं०) नंगे होने का भाव, नङ्गई, नङ्गापन । नत्र - संज्ञा, पु० दे० (सं० नगर ) शहर, नगर । नघना, नाँघना - स० क्रि० दे० (सं० लंघन ) फाँदना, लाँघना. नाकना, डाँकना (ग्रा० ) । नघाना -- स० क्रि० दे० (सं० लंघन) फँदाना, घाना, प्रे० रूप-नघवाना | नचना* | - ग्र० क्रि० दे० ( हि० नाचना ) नाचना वि० नाचने वाला, लगातार इधरउधर घूमने वाला । प्रे० रूप-नचवाना । नचनिक- संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० नाचना ) नाच, नृत्य । नवनियाँ | संज्ञा, पु० दे० ( हि० नाचना + इया - प्रत्य० ) नाचने या नृत्य करने वाला । नचनी - वि० स्रो० दे० ( हि० नाचना ) नाचने या नृत्य करने वाली, लगातार इधरउधर घूमने या रहने वाली । 1 For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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