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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - नखक्षत ९७२ नगनिका नखक्षत-नखन इत-संज्ञा, पु० यौ० दे०( सं० नखियाना*-प्र. क्रि० दे० (सं० नख+ नखक्षत ) शरीर का वह चिन्ह या दाग जो इयाना-प्रत्य० ) किसी के शरीर में नाखून नाखून गड़ जाने से बना हो नखछोलिया। गड़ाना। नखत-नखतर -संज्ञा, पु. दे० ( सं० नखी-संज्ञा, पु० (सं० नखिन् ) व्याघ्र, शेर, नक्षत्र ) २७ तारे, जो चन्द्र-मार्ग में है। चीता । संज्ञा, स्त्री. (सं०) नख नामक "वेद, नखत, ग्रह जोरि घरध करि"-सूर० ।। नखतराज-नखतराय- संज्ञा, पु० दे० यौ० नखोटना- स० क्रि० दे० ( सं० नख+ (सं० नक्षत्रराज) चन्द्रमा । मोटना-प्रत्य० ) नाखून से नोचना या खरो. नखतेस--संज्ञा, पु० (सं० नक्षत्रेश) चन्द्रमा। चना, खरोटना, निकोटना (दे०)। " लसत सरस सिंधुर बदन, भालथली नग-संज्ञा, पु० (सं०) पहाड़, पेड़, सात की नखतेस"- रतन । संख्या, साँप, सूर्य, । संज्ञा, पु. ( फ़ा. नखना-अ० क्रि० दे० (हि. नाखना) फाँदा नगीना, सं० नग) नगीना, संख्या। या डाँका जाना, उल्लंघन होना। नगचाई - संज्ञा, स्त्री० (दे०) समीप, निकट, नखरा-संज्ञा, पु० ( फ़ा०) नाज, चोचला, प्रवाई, समीपागमन । चुलबुलपन, चंचलता, दुलारापन । नगचाना-अ० क्रि० (दे०) निकट या समीप नखरातिल्ला--संज्ञा, पु० यौ० ( फा० नखरा आना, नकचाना (ग्रा०) +तिल्ला हि० अनु० ) नाज़, नखरा, | नगचाहट-संज्ञा, स्त्री. (दे०) सामीप्य, चोचला, चंचलता। निकटता, पास पहुँचना। नखरेखा-संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० (सं०) नगज-संज्ञा, पु० (सं० ) हाथी । वि० (सं०) नखक्षत, नाखून का घाव, नखों पर रेखा। जो पहाड़ से उत्पन्न हो। "नगजा नगजा नखरे बाज-वि० ( फा० ) अति नखरा या | दयिता दयिता"--भट्टी । नाज करने वाला । संज्ञा, स्त्री० नखरेबाजी। नगजा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) पार्वती जी। नखरोट-संज्ञा, पु. यौ० दे० (सं० नखरेखा) | नगण-संज्ञा, पु. ( सं० ) ३ लघुवणे का नखक्षत। एक शुभ गण (m)-पि० । नखबिन्दु-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मेंहदी या | नगण्य-वि० (सं०) तुच्छ, गया-बीता। महावर का स्त्रियों के नाखूनों पर बना चिन्ह । नगदंती-संज्ञा, स्त्री. (सं०) विभीषण की नखशिख-संज्ञा, पु. यौ० (सं०, हि० | पत्नी। नखसिख ) नाखून से लेकर चोटी तक के | नगद-संज्ञा, पु० दे० (अ० नकद ) रुपया. सारे अंग । यौ० नख-शिख-वर्णन- पैसा, नकद । सींग वर्णन । मुहा० नखशिख ते-सिर नगदौना-संज्ञा, पु. (सं०) (सं० नागदमन) से पैर तक । “हँ सत देखि नख-सिख रिस- | नागदमन, एक औषधि या जड़ी। व्यापी"-रामा। नगधर--संज्ञा, पु० (सं०) श्री कृष्ण चन्द्र । नखांक-संज्ञा, पु० यौ० दे० (सं०) नाखून गड़ नगधरन® संज्ञा, पु० दे० (सं० नगधर ) जाने का दाग या चिन्ह, नखनामीगंधद्रव्य । श्री कृष्ण, गिरधर, गिरधारी, नगधारी । नखायुध-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) बाघ, नगनंदिनी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) पार्वती। व्याघ्र, शेर, चीता, नृसिंह। नगन -वि० दे० (सं० नग्न ) नंगा, नखास-संज्ञा, पु० (अ० नखख़ास ) पशुओं दिगंबर । संज्ञा, पु. ५० व० (हि. नग)। या घोड़ों का बाज़ार। । नगनिका-संज्ञा, स्त्री० (दे०) क्रीड़ा-वृत्त । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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