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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुग्धिनी ६११ दुतीया दुम्धिनी-संज्ञा, स्त्री. (सं०) कटु या कड़वी | दुजोह -- संज्ञा, पु० दे० यौ० ( सं० द्विजिह्व) तुंबी। दो जीभों वाला साँप, आदि विविध कीड़े। दुग्धी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) दुधिया घास, दुद्धी वि० सत्यासत्य कहने वाला। (ग्रा०) । वि. (सं० दुग्धिन् ) दूध वाला, दुजेश-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० द्विजेश ) जिस वस्तु में दूध हो। द्विजेश, द्विजराज, द्विजपति, द्विजनाथ, द्विज. दुघड़िया-दुधरिया--वि० दे० (हि. दो + स्वामी, चन्द्रमा। घड़ी) द्विघटिका (सं०), दो घड़ी का। दुटूक - वि० दे० यौ० ( हि० दो+टूक ) दुघड़िया मुहूर्त-संज्ञा, पु. यौ० दे० (सं० भिन्न भिन्न, दो खंड, समान दो भाग । द्विघटिका --- मुहूत ) द्विधटिका मुहूर्त । मुहा०-दुटूक बात--संक्षिप्त, स्पष्ट या दुघरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. दो + घड़ी ) | खरी बात, सच्ची बात, जिसमें धुमाव और द्विघटिका, दो घड़ी। फेरफार न हो। दुत-अव्य० ( अनु०) अपमान, घृणा, दुचंद-वि० दे० (फ़ा० दोचंद) दूना, दुगुना। | तिरस्कार-सूचक शब्द, चल दूर हो या दूर "चंद सों दुचंद है अमंद मुख-चंद एक " जा, हट। --साल। दुतकार-संज्ञा, स्त्री० दे० (अनु० दुत+कार) दुचित-वि० दे० (हि. दो-चित) अपमान, तिरस्कार, फटकार, धिक्कार।। चिंतित, चिंता-युक्त, जिसका मन एकाग्र दुतकारना-स० कि० दे० (हि. दुतकार ) न हो । किसी को अनादर के साथ दुत दुत कह कर चितई-चिताई -संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. पास से हटाना, अपमान से भगाना, धिक्कादुचित ) दुविधा, चिन्ता. आशंका, फिक। रना, फटकारना । दुचित्ता-वि० दे० यौ० (हि. दो + चित्त) दुतफा | दुतर्फा-वि० दे० यौ० (हि. दो+अ० तरफ) जिसका चित्त एकाग्र न हो, दविधा में दोनो तरफों का, जो दोनों ओर हो । स्त्री० पड़ा, चिन्तित । (स्त्री० दुचित्ती)। दुतर्फी। दुज -संज्ञा, पु० दे० (सं० द्विज ) द्विज, दुतारा-संज्ञा, पु० दे० यौ० (हि० दो + तार) दो तारों का बाजा।। द्विजन्मा, ब्राह्मण, पक्षी, अंडे से उत्पन्न दुति-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० द्युति ) द्युति, जीव, ब्राह्मण, क्षत्री, वैश्य । चमक, दीप्ति, शोभा, छवि, किरण । दुजन्मा --संज्ञा, पु० दे० यो० (सं० द्विजन्मा) दतिमान-वि० दे० (सं० द्युतिमान् ) द्विजन्मा, द्विज, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, द्यतिमान्, दीप्ति या प्रकाश-युक्त, सुन्दर, अंडन जीव, ब्राह्म । “संस्कारात् द्विजोद्भवः" | किरण-युक्त। - स्फु०। दुतिय-वि० दे० (सं० द्वितीय ) दूसरा । दुजपति-संज्ञा, पु० यौ० दे० (सं० द्विजपति) दुतिया-दुतीया-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० द्विजपति, द्विजराज, चन्द्रमा, द्विजेश। दितीया ) द्वितीया, दूज, दुइज। दुजराज -संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० द्विजराज) दुतिवंत --वि० दे० (हि० दुति + वंत-प्रत्य०) द्विजपति, द्विजराज, चन्द्रमा। " एरे मति- दीप्तिमान्, चमकीला, सुन्दर । मंद चंद आवति ना तोहिं लाज नाम दुज- दुताय -- वि० दे० (सं० द्वितीय ) दूसरा, राज काम करत कसाई को -पमा । द्वितीय । दुजानू-क्रि० वि० दे० (हि. दो+फा० जानू) दुतीया -संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० द्वितीया ) दोनों घुटनों के बल बैठना। द्वितीया, दूज तिथि। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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