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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दाँवनी ८८८ दाखिल-खारिज बढ़ना, युक्ति या उपाय लगना। दाँव । दाउदी-संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) एक फूल, गुलबचाना-युक्ति ( चाल या पेंच-पाक्रमण)। दाउदी। बचाना। दाँव चलाना–स० क्रि० (दे०) दाऊ-संज्ञा, पु० दे० (सं० देव ) बड़ा भाई, घात करना, चोट पहुँचाना । दाँव पकड़ना | बलदेव जी। (मारना, चलाना, लगाना)--स० कि० दाऊदखानी-संज्ञा, पु. (फा० ) उमदा (दे०) कुश्ती में दाँव-पेंच करना । दाँव चावल, सफेद गेहूँ। लगाना-जुए में धन लगाना, युक्ति (पेंच) | दाऊदी-संज्ञा, पु० दे० ( अ. दाऊद ) एक करना । दाँव जीतना (मारना)-जुए तरह का उत्तम गेहूँ। में धन जीतना। दाँव बैठना-स. क्रि० दाक्षाय .. संज्ञा, पु० (सं०) गीध पक्षी, गृध्र, (दे०) औसर खोना, हाथ से मौक़ा चला गृद्ध। जाना, मौका ( उपाय ) ठीक होना। दाक्षायण-वि० (सं०) दक्ष का पुत्र, दक्ष दाँवनी--संज्ञा, स्त्री० (सं० दामिनी ) दामिनी | सम्बन्धी, दक्ष का । संज्ञा, पु० (सं०) सोना, बिजली, सिर का एक गहना । सोने के पदार्थ, मोहर श्रादि, दक्ष की यज्ञ । दाँवरी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० दाम ) डोरी, दाक्षायणी-संज्ञा, स्त्री०(सं०) दक्ष की कन्या, रस्सी । सती जी, दन्ती पेड़, जमालगोटे का पेड़ । दा-वि० प्रत्य० (सं०) दाता, दानी, दानकर्ता, दाक्षायणीपति-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शिव । दान देने वाला, जैसे-धनदा । सज्ञा, पु. दाक्षिण संज्ञा, पु. (सं०) उपाय, कथन, (दे०) सितार की मुखताल । | अधिकार, दक्षिणदेशीय, दक्षिण सम्बन्धी, एक होम । दाइ8-- संज्ञा, पु० (दे०) दाँव, घात, मौका, औसर, अनुकूल समय । संज्ञा, स्त्री० (दे०) दाक्षिणात्य-वि० (सं०) दक्षिणी, दक्षिण सम्बन्धी । संज्ञा, पु. (सं०) दक्षिण भारत, बराबरी, तुल्यता । संज्ञा, पु० दे० (सं० दाय) दक्षिण देश-वासी। दहेज, किसी के देने को धन, दायज, दान दाक्षिण्य-संज्ञा, पु. (सं०) उदारता, प्रसमें दिया धन । न्नता, अनुकूलता, सुशीलता। वि० (सं०) दाई-वि० स्त्री० दे० (हि. दायाँ) दाहिनी। दक्षिणा पाने योग्य, दक्षिण का। संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० दाच प्रत्य०, हि० दाँ दाक्षी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) दक्ष प्रजापति की प्रत्य० ) बारी, बार, दमा, दाँय, दारी पुत्री, महर्षि पाणिनि की माता । “शंकरः (ग्रा०)। शांकरी प्रादादाक्षी पुत्राय धीमते"दाई-- संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० धात्री, मि० फा० | सि० को। दायः ) धाय, दाया, बच्चे को रखने या दाक्ष्य-संज्ञा, पु. (सं०) नैपुण्य, निपुणता, बच्चे वाली माँ की सेवा करने वाली, दासी, । दक्षता, चतुरता। दादी, बुढ़िया । मुहा०—दाई से पेट दाख--संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० द्राक्षा ) मुनक्का, किपाना-ज्ञाता से छिपाना । 8 वि० दे० किसमिस । ( सं० दायी ) देने वाला, जैसे सुखदाई। दाखिल-वि. (फा०) पैठा या, घुसा हुआ, दाउँ-दाऊँी--संज्ञा, पु० दे० (हि० दाँव ) | प्रविष्ट, प्रवेश करने वाला । मुहा०मरतबा, बार, दफा, बारी, पारी, मौका, दाखिल करना-भर देना, उपस्थित या औसर, अनुकूल समय, दाँव । ' सूझ जुत्राः | जमा करना । शामिल, मिलित,पहुँचा हुआ। रिहिं पापन दाऊँ "-रामा० । दाखिल-खारिज-संक्षा, पु० यौ० ( फा० ) For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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