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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दरसावना ८७९ दरेती को सब कुछ दरसाई"-सूर० । समझाना। दग्यिाई घोड़ा-संज्ञा, पु० यौ० ( फ़ा० दरि -स० कि० दिखाई पड़ना । याई + घोड़ा हि०) सामुद्रीय घोड़ा (अफ्रीका दरसाधना-स० कि० दे० (सं० दर्शन) दृष्टि- | के पास )। गोचर कराना, दिखलाना, प्रगट या स्पष्ट | दरियाई नारियल-संज्ञा, पु. यौ० (फा० करना, समझाना । *-अ. क्रि० (दे०)। दरियाई + नारियल हि०) एक बड़ा नारियल, दिखलाई पड़ना या देना। जिसका कमंडल बनता है। दरही-संज्ञा, स्त्री० (दे०) एक मछली। दरियादामी-संज्ञा, पु० यौ० (फा०+हि.) दराती-संज्ञा, स्त्री. (दे०) हँसिया, हँसुश्रा, निर्गुण उपासक साधुओं का मत जिसे हँसुवा (ग्रा०)। दरियादात ने चलाया था। दराई-संज्ञा, स्रो० दे० ( हि० दरना ) दरने दरियादिल- वि० यौ० (फ़ा०) उदार, दानी। का काम या मजदूरी। (स्त्री० दरियादिली)। दराज-वि० दे० (फा०) बड़ा भारी, दीर्घ । | दरियाफ़्त-वि० (फ़ा०) ज्ञात, मालूम, कि० वि० (फा०) बहत, अधिक । संज्ञा, स्त्री० जिसका पता लग गया या खोज हो । (हि० दरार ) दरार, दरज । संज्ञा, स्त्री० दरिया बरार-संज्ञा, पु. यो० (फ़ा०) नदी (मं० ड्रामर ) मेज़ का संदूक । की धारा के हट जाने से निकली भूम। दरार-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० दर ) दरज, | न. दरिया बुर्द -संज्ञा, पु० यौ० (फा०) नदी शिगा: । " सजन कुम्भ कुम्हार के, एकै की धारा से कट कर बह गई भूमि। धका दरार"-वृं। दरियाव - सज्ञा, पु० दे० (फ़ा० दरिया) नदी, दरारना-प्र० कि० दे० (हि० दरार+ना समुद्र ।" मोहू पै कीजै दया, कान्ह दया. प्रत्य०) फटना, शिगाफ होना, विदीर्ण होना। दरियाव "-मति। दराग-संज्ञा, पु० दे० ( ६ि० दरना) सूजन दरी-दरि-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं०) गुहा, गुफा, का चकत्ता, दरेरा, धक्का, दरार। खोह, कंदर, पर्वत के मध्य का नोवा स्थान जहाँ कोई नदी गिरे । संज्ञा, स्त्री०. (सं० स्तर) दरिंदा-संज्ञा, पु. (फा०) माँस-भक्षक जंतु, मोटे सूतों का बिस्तर या बिछौना। - फाड़ खाने वाला, वन जंतु । दरीखाना-संज्ञा, पु० यौ० (फा० दर+ दरित- वि० दे० (सं० दलित ) त्रस्त, डरा ख़ाना ) बहुत से द्वार वाला घर, बारादरी। हुमा, दला या कुचला हुआ। दरीचा-सज्ञा, पु० (फा०) छोटाद्वार, खिड़की, दरिद-दरिदर-संज्ञा, पु० दे० (सं० दरिद्र ) ५) झरोखा, खिड़की के समीप बैठने का स्थान । दारिद, दलिद्र, कंगाल, निर्धन, कगाली। स्त्री० दरीची। दरिद्र-वि० (सं०) कंगाल, निर्धन, गरीब । दरीची-संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) छोटी खिड़की, स्रो० दारिद्रा। संज्ञा, स्त्री० दरिद्रता। | छोटा झरोखा । "विज्जु बादर दरीची में।" दरिद्रति-वि• (सं०) दीन, दुखी, कंगाल, दरीबा-संज्ञा, पु० (दे०) पानों की मंडी या निर्धन । बाजार। दरिद्री-वि० (सं०) दीन, दुखी, निर्धन । रेग-संज्ञा, पु. (अ० दरेग) अफ़सोस, दरिया-संज्ञा, पु० (फ़ा०) समुद्र, नदी। कसर, कमी, कोताही। दरियाई-वि.(फा०) समुद्र या नदी सबंधी, दरेती-सज्ञा, स्त्री० दे० (हि. दरना ) दाल समुद्र या नदी के समीप का। सज्ञा, स्त्री० दलने की छोटी चक्की, हँलिया, हेसुवा, (फा० दाराई ) रेशमी वस्त्र, साटन । हँसुभा, दरेतिया (ग्रा०)। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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