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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दरपेश ७८ दरसाना दरपेश-क्रि० वि० (फा०) संमुख, सामने, दरमियानी-वि० (फ़ा०) बीच का, बिचभागे। वानी, मध्यस्थ । संज्ञा, पु. (दे०) दो मनुष्यों दरब-संज्ञा, पु० दे० (सं० द्रव्य) सम्पति, के झगड़े का निपटाने वाला। धन । 'दरब गरब करिये नहीं'-मझा। दररना --स० क्रि० (दे०) धक्का देना, रगड़ना। "कीन्हेसि दरव गरब जेहि होई"-५०। दरराना-अ० कि० (दे०)निर्विन या बेखटके दरबहरा-संज्ञा, पु. (दे०) चावल की चला पाना, वेग से आ पहुँचना । मदिरा या शराब। दरवाज़ा-संज्ञा, पु. (फ़ा०) द्वार, मुहारा, दरबा- संज्ञा, पु० दे० (फा० दर ) काठ मुहार, दुआर (ग्रा०)। का खानेदार संदूक, कबूतरों या मुर्गियों | दरबिदलित-संज्ञा, पु. (दे०) थोड़ा लिखा। के रखने का घर। दरबी-संज्ञा, स्त्री. (सं० दर्वी ) दवी साँप दरबान-संज्ञा, पु. (फ़ा०) द्वारपाल, ज्योदी- का फन । यो०-दरबीकर -- साँप, करदार, संतरी। छुल, पौना। दरबार-संज्ञा, पु० (फा०) राजपमा, कच. दरवेश-संज्ञा, पु. (फा०) साधु, फकीर। हरी। 'गये भूप-दरबार"-रामा० । वि. दरश-संज्ञा, पु. (सं० दर्श) दर्श, दरस, दरबारी । मुहा०-दरबार खुलना देखना। सभा में पब को पाने की आज्ञा मिलना। दरशन-दरसन-सज्ञा, पु दरशन-दरसन-संज्ञा, पु० दे० (सं० दर्शन) दरबार बरखास्त होना (उठना)-सभा अवलोकन, साक्षात्कार, भेट, दर्शन शास्त्र, का कार्य बंद होना । दरबार बंद होना नेत्र, स्वप्न, ज्ञान, धर्म, दर्पण।। सभा में जाने की रोक होना । संज्ञा, पु. दरशना-दरसना--अ० क्रि० स० दे० ( सं० (दे०) महाराज, राजा, दरवाजा, द्वार । दर्शन ) दिखाई देना या पड़ना, देखने में दरबारदारी-संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) किसी के पाना । स० कि० (दे०) देखना, लखना। यहाँ बार बार जाकर बैठना और उसकी दरशनी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) दर्शन, शीशा, खुशामद करना। दर्पण। दरबार-बिलासी8 - संज्ञा, पु० यौ० (फ़ा. दरशनी हुँडी-संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० (सं० दरबार + विलासी सं० ) दरबान, द्वारपाल । दर्शन + हि० हुँडी ) जिस हुँडो का रुपया उसे दरबारी - संज्ञा, पु० (फा०) सभासद, दर दिखाते ही मिल जावे। बार में बैठने या जाने वाला। वि० (दे०) दरस-दरश-संज्ञा, पु. दे. (सं० दर्श) दरबार का, दरबार के योग्य । दर्शन, भेंट, देखना, शोभा, छवि, दर्शनेच्छा। दग्भ- संज्ञा, पु. ( सं० दर्भ ) कुशा । संज्ञा, | "दरस लागि लोचन ललचाने"- रामा० । पु० (दे०) बंदर। यौ०-दरस-परस ( दर्शस्पर्श)। दरमा-संज्ञा, पु० (दे०) बाँस की चटाई। दरसन-दरशन- संज्ञा, पु० दे० (सं० दर्शन) दरमान-संज्ञा, पु. (फ़ा०) दवा, औषधि । दर्शन, भंट करना, देखना। "इल्म सुरमा है व दोदा दिल का दरमान" दरसना*-अ० कि० दे० (सं० दर्शन) देखने में आना, दिखलाई पड़ना या देना। स० दरमाहा-संज्ञा, पु० (फा०) मासिक वेतन । क्रि० देखना, लखना। दरमियान-दान -संज्ञा, पु. (फा०) बीच, दरसाना-स० कि० दे० (सं० दर्शन) दिखाना, मध्य । क्रि० वि० बीच या मध्य में। दिखलाना, प्रगट या स्पष्ट करना। "अँधरे For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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