SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 844
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तावभाव तिखाई करना, तपाना दुख देना, सताना । “जदपि तिअहा-संज्ञा, पु० दे० (सं० त्रिविवाह ) ज्योति तन तावत"-सूर० । “प्रीतम तीसरा ब्याह, जिस व्यक्ति का तीसरा व्याह तन तावति तरुनि, लाइ लगनि की लाइ” हुआ हो। -मति०। तिउहार- संज्ञा, पु० (दे०) त्यौहार, पर्व, तावभाव--संज्ञा, पु० यौ० (हि. ताव -- भव) उत्सव । संज्ञा,-स्त्री० (दे०) त्यौहारी-त्यौहार मौका, अवसर । वि. ज़रा सा, थोड़ा सा। का इनाम।। तावर-तावरा-संज्ञा, स्त्री० पु० दे० ( सं० तिकड़ी संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० (हि. तीन ताप ) जलन, ताप, धूप, घाम, ज्वर, +कड़ो ) जिसमें तीनि कड़ियाँ हो. तीन गरमी का चक्कर या मूर्छा, ताघरा (व.)। रस्सियों से चारपाई की बुनावट, तीन बैलों ताधरी- संज्ञा, स्त्री० (सं० ताप ) दाह, ताप, की गाड़ी। तिकतिक-संज्ञा, पु. ( अनु० ) गाड़ी आदि धूप, ज्वर, मुर्छ। के बैल हाँकने या चलने का शब्द, टिकतावना--संज्ञा, पु० (फा०) हानि का बदला, दिक ग्रा०)। जुरमाना दंड। तिकोन, तिकोना, तिकोनिया--- वि० दे० ताबीज़- संज्ञा, पु० (अ० तप्रवीज़ ) यंत्र, ( सं० त्रिकोण ) तीन कोनों का, त्रिभुज जंतर, जंतुर (दे०)। ताश-तास- संज्ञा, पु. (अ० तास) जरवत्फ़ ! क्षेत्र । संज्ञा, पु० (दे०) समोसा, पकवान । खेलने का ताश, सीने का डोरा, लपेटने | | सिक्का-संज्ञा, पु० दे० (फा० तिकः ) माँस की बोटी, ताश में ३ बूटियों का पत्ता ।। का कागज का टुकड़ा। ताशा-तासा-संज्ञा, पु० दे० (अ० तास) एक तिकी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तृ) ताश में तीनि बूटियाँ का पत्ता। बाजा। विक्ख - वि० दे० (सं० तीक्ष्ण ) चपरा, तासीर-संज्ञा, स्त्री० (१०) प्रभाव, असर। तीखा, बुद्धिमान, तीचण या तीव्र बुद्धि । "फरजी शाह न है सके, गति टेढी तामीर"। निक्त-वि० (सं०) क दुवा, तीता (दे०), तासु. तासू -सर्व० व० (हि० ता) उसका चिरायता। " तासु बचन सुनि के सब डरौं'- रामा० तिक्तक-संज्ञा, पु० (सं०)चिरायता, (औष०)। तासू,तासों* --सर्व ७० (हि० ता) उससे | तिक्तका-संज्ञा, स्त्री० (सं०) कटुतुम्बी, चिर. वासौं (व्र०) “तासों नाथ बैर नहिं कीजै" पीटा। -रामा। तिक्तता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) कड़ाहट, ताहम-अव्य० (फा०) तो भी, तिस पर भी। तिताई, करुण्याई (ग्रा०)। ताहि-ताही*-सर्व० ० (हि० ता ) उसे, तिक्ता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) कटुकी । “तिक्ताउसको । 'ताहि पियाई बारुणी'-रामा०। कषायो मुख तिक्तताघ्नः "-वै० जी० । ताहिरी-संज्ञा, स्त्री० (अ०) भोजन विशेष । तिक्ष-वि० दे० (सं० तीक्ष्ण) तीक्ष्ण, पैना । ताहीं-अव्य. व. (सं० तावत् या फा० | तिक्षता - संज्ञा, स्त्री० (सं० तीक्ष्णता) तेजी। ता) तक, समीप, लिये, हेतु, निमित्त, तई, तिखटी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० त्रिकाष्ठ ) ताई, तहाँ, वहीं, तहीं (७०)। तिपाई, टिखटी (ग्रा०)। तितिडी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) इमली। तिखरा-वि० (दे०) तिहरा, तीन रस्सियों तिभा, तिया-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० स्त्री), का, तीन वार का। स्त्री, नारी, औरत । "वायस, राहु, भुजंग, हर, तिखाई-संज्ञा. स्त्री० दे० (हि. तीखा ) लिखति तिमा तत्काल"-स्फु०। __ कटुता, तीखापन, तेजी। भा० श० को०-१०५ For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy