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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तामड़ा ८२९ तार (हि. थामना+यान सं० ) एक तरह की | ताम्रकूट-संज्ञा, पु० यौ० ( सं०) तम्बाकू छोटी पालकी। तामझाम (प्रान्ती०)। का पौधा । तामड़ा-वि० दे० (हि. तावा-+डा- ताम्रगर्भ ... संज्ञा, पु. यौ० (सं०) तूतिया, प्रत्य०) ताँबे के रग का, एक मणि चुनी। नीला थोथा। तामरस-संज्ञा, पु. ( सं०) कमल, सोना, ताम्र-चूड़-संज्ञा० पु० यौ० (सं०) मुर्गा धतूरा, ताँबा, सारस पक्षी, एक वर्ण वृत्त । । पक्षी, अरुण शिखा, कुक्कुट । " श्याम तामरस-दाम शरीरं, "परसत | ताम्र-पात्र-संज्ञा, पु० यो ( सं० ) ताँबे का तुहिन तामरस जैसे".-रामा। बना पत्र जिस पर प्राचीन काल में राजाज्ञा तामलकी-संज्ञा, स्रो० (सं० ) भू आँवला। लिखी या खोदी और प्रमाण-रूप में दी तामलिप्ती-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) बंगाल का । जाती थी। एक नगर, तामलूक, तामलूम ।। ताम्रपर्णी-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) बावली, तामलोट-तामलोटा-संज्ञा, पु० दे० यौ० | तालाब, एक नदी (मदरास)। ( अ० टंबलर ) कलईदार टीन या ताँबे का | ताम्र-वर्ण वि० यौ० ( सं० ) ताँबे के रंग बरतन या लोटा। का। संज्ञा, पु० (सं०) शरीर की खाल, तामस-वि. (सं०) तमोगुणी, क्रोध, | सोलोन, या लंका द्वीप । अज्ञान, मोह, अंधकार । स्त्री. तामसी। ताम्र-लिप्त-संज्ञा, पु. यो० (सं०) तामलुक, 'तामस तन कछु साधन नाहीं"-रामा० ।। __तमलूक, नगर ( बंगाल)। तामसिक-वि० (सं०) तमोगुणी, तामसी। तांय-श्रव्य. (दे०) से, "कोऊ पायो तामसी-वि० स्त्री० (सं० ) तमोगुण वाली। उतताँय जितै नँद-सुवन सिधारे"- सूर० । स्त्री । संज्ञा, स्रो० (सं०) काली राति, माया ।। ताय+-संज्ञा, पु. (सं० ताप ) गरम, संज्ञा, पु० (सं० ) क्रोधी, मोही तमोगुणी।। ताप, धूप । सर्व० (हि. तिस ) ताहि, उसे, तामा-संज्ञा, पु० दे०( सं० ताम्र) ताँबा । उसको । पू० का० (दे० ताना) तपाकर । ताम (दे०) तमा, क्रोध । तायदादा-संज्ञा, स्त्री० दे० (आ० तादाद) तामिल- संज्ञा, स्त्री० (दे०) एक देश वहाँ गिनती, संख्या, तादाद । कीभाषा और जाति, तामील (दे०)। तायफा--- संज्ञा, पु०, स्त्री० (अ.) वेश्याओं तामित्र-संज्ञा, पु. (सं० ) एक अँधेरा के समाजी। नरक, क्रोध, मोह द्वेष, अविद्या । स्त्री० तायना*-सं० कि० दे० ( हि० ताव ) तमिस्रा (सं०)-रात्रि। गरम करना या तपाना, ताना । " नाथ तामील-संज्ञा, स्त्री० (अ.) हुक्म बजाना, वियोग ताप तन तायें"--रामा० । आज्ञापालन । संज्ञा, पु० (दे०) तामिल देश।। तायनि--संज्ञा, स्त्री. (सं० ताप) तपन, तामीली-संज्ञा, स्त्री० दे० ( फा०) आज्ञा जलन, गरमी । “सौति के सराप तन तायनि पालनीय, प्राज्ञा पूर्ण करना । वि० (दे०) तपी रहै" ---देव० । तामील का। ताया--संज्ञा, पु० दे० (सं० तात ) पिता का तामेसरी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० ताम्र ) बड़ा भाई, ताऊ, दाऊ । स्त्री० ताई। ताँबे का सा लाल रंग। स० कि० दे० (सं० ताप ) तपाया या गरम तामेश्वर-तानेश्वर-संज्ञा, पु० यौ० (सं० किया । धातु का तार ।। तामेश्वर ) ताँबे की भस्म । तार --संज्ञा, पु० (सं०) चाँदी, रूपा, धातु का ताम्र-संज्ञा पु० (सं० ) ताँबा। तागा, टेलीग्राफ, तार-द्वारा प्राप्त समाचार । ताम्रकर--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) ठठेरा। मुहा०-तार आना, तार देना (भेजना)। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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