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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७०० छेमण्ड छोड़ना मंगल-दायक, कल्याणकारी, चील पक्षी। मथने की मथानी, लड़का, छोरा । स्त्री०-. "छेमकरी कह छेम विशेषी"-- रामा० । छोडि-छोड़ी. छोरी। छेमण्ड--संज्ञा, पु० ( दे०) बिना माँ-बाप छोई- संज्ञा, स्त्री० (दे०) नीरस गँडेरी, का लड़का। निस्सार वस्तु | " श्रीभट अटकि रहे स्वामी छेरना-अ. क्रि० (दे०) अपच रोग या वन धान वृतै मानै सब छोई"।। दस्त होना। छोकड़ा-छोकरा-ज्ञा, पु० (सं० शावक ) छेरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० हेलिका) लड़का, बालक, लौंडा । संज्ञा पु० छोकड़ाबकरी । "छेरी चढ़ी बँबूर पै . " स्फु० । पन । स्त्री. छोकड़ी-छोकरी। छेव-संज्ञा, पु० दे० (सं० छेद ) जखम, छोकला-संज्ञा, पु० ( दे० ) छिलका, घाव । मुहा०-छलछेव-- कपट-व्यवहार। बक्कल, छाल। पाने वाली श्रापत्ति, होनहार दुःख । संज्ञा, छोछो-संज्ञा, स्त्री० (दे०) गोदी, कोला, स्त्री० ( दे.) टेंव। उत्सङ्ग। छेवना-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. छेना) छोटा--वि० दे० (सं० क्षुद्र ) जो बड़ाई ताड़ी। स० क्रि० दे० (सं० छेदन ) काटना, और विस्तार में कम हो। डील-डौल में छिन्न करना, चिन्ह लगाना | *स० कि० कम, नीच । स्त्री० कोटी । यौ०-छोटादे० (सं० क्षेपण ) फेंकना, डालना, ऊपर | मोटा-साधारण अवस्था में कम, तुच्छ, डालना। मुहा०-जी पर छेवना सामान्य, पोछा, तुद्र। जी पर खेलना, सङ्कट में जान डालना। छोटाई--संज्ञा, स्त्री० ( हि० छोटा+ई० छह-संज्ञा, पु० दे० (हि० छेव ) छेव, प्रत्य०) छोटापन, लघुता, नीचता, बचपन । खंडन, नाश, परम्परा-भंग । वि. टुकड़े २ संज्ञा, पु. छोटापन । किया हुश्रा, न्यून, कम । संज्ञा, स्त्री० (दे०) छोटी इलायची-संज्ञा, स्त्री० यौ० (हि. छोटी+ इलायची ) सफ़ेद या गुजराती खेह, धूल। छेहर-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० छाया) छाया। इलायची, एला। छोटी हाज़िरी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (हि. छ-वि० (दे०) छः । संज्ञा, स्त्री० (दे.) छोटी+हाज़िरी) यूरोपियनों का प्रातःकाल क्षय नाश, छय। का कलेवा। छैया *-संज्ञा, पु० दे० (हि. छवना) छोड़ना-स० क्रि० दे० ( सं० छारण ) बच्चा। पकड़ी हुई वस्तु को पकड़ से अलग करना, छैल*-संज्ञा, पु० (दे०) छैला । "छरे छबीले छैल सब"-रामा० । किस लगी या चिपकी हुई वस्तु का अलग हो जाना, बन्धन श्रादि से मुक्त करना, छैलचिकनियाँ-संज्ञा, पु० यौ० (दे० ) छुटकारा देना, अपराध क्षमा करना, न शौकीन, बना-ठना प्रादमी। ग्रहण करना, प्राप्य धन न लेना, देना, छैलछबीला-संज्ञा, पु० (दे०) सजाबजा परित्याग करना, पास न रखना, पड़ा रहने और जवान आदमी, बाँका, छरीला पौधा । देना, न उठाना या लेना, प्रस्थान करना, छैला-संज्ञा पु० दे० (सं० छवि+ इल्ल. चलाना । मुहा०—किसी पर किसी को प्रत्य०) सुन्दर और बना-ठना पुरुष, छोड़ना-किसी को पकड़ने या चोट सजीला, बाँका, शौकीन । पहुँचाने के लिये उसके पीछे किसी को लगा छोड़ा-संज्ञा, पु० दे० (सं० दवे ) दही | देना। चलाना या फेंकना, क्षेपण करना, For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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