SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 700
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छलकाना छवि तरल पदार्थ का बरतन से उछल कर बाहर छलाँग-संज्ञा स्त्री० दे० यौ० (हि० उछल गिरना, उमड़ना, बाहर होना, मर्यादा से +अंग ) कुदान, फैदान, फलाँग, चौकड़ी। बाहर होना। " श्रोछे छलकै नीर घट" बला--संज्ञा, पु. ( दे०) छल्ला। --बूंद : बलाई-संज्ञा स्त्री० दे० (हि. छल+ छलकाना --- स० क्रि० दे० (हि छलकना) | आई प्रत्य० ) छल का भाव, कपट. छल । किसी पात्र में भरे हुये जल यादि को हिला-चलाना--- स० क्रि० दे० ( हि० छलना का डुला कर बाहर उछालना ! प्रे० रूप ) धोखा दिलाना, प्रतारित करना । कानछंद-संज्ञा, पु. यो० (हि. छल+छंद) छलावा-संज्ञा, पु० दे० ( हि० छल ) कपट का जाल, चालबाजी, धूर्तता, ठगी। दिखाई देकर अदृश्य होने वाली भूत-प्रेत "छाई छल-छंद दिकपालनि छलति है"। | आदि की छाया, वह प्रकाश जो दलदलों छलछलाना---० क्रि० दे० ( अनु०) छल | या जंगलों में रह रह कर दीखता और छल शब्द होना, पानी आदि का थोड़ा छिपता है, अगियाबैताल, उल्कामुख प्रेत, थोड़ा करके गिरना, जल से पूर्ण होना। चपल, चञ्चल, शोख, इन्द्रजाल, जादू।। छलछाया-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) वलित-वि० (सं० छल + इत ) वंचित, जो कपट-जाल, माया, प्रपंच, छल । “पालु | ठगा गया हो। बिबुध करि छलछाया"---रामा० । छलिया-छत्ती--वि० दे० (सं. छलिन् ) इलछिद्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) कपट कपटी, धोखेबाज, छल करनेवाला । " किन व्यवहार, धृर्त्तता, धोखेबाजी।। किन की मति माहि छली छलिया तू मरु कूप" --दीन। चलना-स० क्रि० दे० (सं० छलन ) धोखा अल्ला--संज्ञा, पु० दे० (सं० छल्ली - लता) देना, भुलावे में डालना, प्रतारित करना। अंगूठी, मुंदरी, गोलाकार वस्तु, कड़ा (दे०) " चली छैल को छलन यापु छैल सौं छली गई"--सरस० । संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० ) वलय, छला (ग्रा०)। धोका, चाल । बल्लेदार---वि० (हि० छल्ला+दार-फा० ) जिसमें गोलाकार चिन्ह या घेरे हों। बलनो-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० चालना या सं० क्षरण ) बाटा चालने के लिए बरतन, चना-संज्ञा, पु० दे० (सं० शावक) बच्चा, चलनी (ग्रा०) । मुहा०-छलनी हा सूअर या मृग का बच्चा, छाना (ग्रा०)। जाना-किसी वस्तु में बहुत से छेद हो स्त्री० छवनी, छोनी। जाना । कलेजा छलनी हाना--दुख इवा -संज्ञा, पु० दे० (सं० शावक ) सहते सहते हृदय जर्जर हो जाना। किसी पशु का बच्चा, बछवा, ऍड़ी। “छूटे इलबल-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कपट, धोखा, जोखा छवान लौं केस विराजत"-रवि०।। शठता। "छलबल करि हिय हारि"राम। इवाई ---संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. छाना ) छाने इल-विनय --- संज्ञा, पु० यो० (सं० ) कपट | का काम, भाव या मज़दूरी । से बड़ाई, धोखा देने के लिये प्रशंसा । छवाना-स० क्रि० दे० ( हि० छाना का "तू छल-बिनय करसि कर जोरे "-- प्रे० रूप ) छाने का काम दूसरे से कराना । राम । वधि-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) शोभा, सौंदर्य, छलहाई*-वि० स्त्री. ( सं० छल+हा | कान्ति, प्रभा । वि. इवीला । “ कहा कहौं प्रत्य०) छली, कपटी, चालबाज़ । छवि आज की '"--तु० । .... . भा० श० को०-८७ For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy