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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org छमछमाना ६८८ छमछमाना - अ० क्रि० दे० (अनु० ) छम छम शब्द करना, छम छम शब्द कर चलना । क्रमगड -संज्ञा, पु० (दे०) निराधार, निरालंब, अनाथ, बालक | कमना-- श्र० क्रि० दे० सं० क्षमन् ) क्षमा करना. पू० का० छमि - " छमि सब करिहहिं कृपा बसेखी" - रामा० । क्रमा | - संज्ञा स्त्री० (दे० ) क्षमा, छिमा ( ग्रा० ) । , क्रमाक्रम - क्रि० वि० दे० ( अनु० ) लगातार छम छम शब्द के साथ । क्रमासी-संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० ( हि० छः मास + ई-प्रत्य० : छठे महीने का श्राद्ध कृत्य विशेष, छः माही, कमलो (ग्रा० ) । माहो- संज्ञा, स्त्री० ( दे० ) प्रत्येक छः छः मास का, कुमासी । कमिच्छत संज्ञा स्त्री० (सं० ) इशारा, संकेत, चिन्ह, समस्या । मुख संज्ञा, पु० दे० ( हि० छः + मुख ) षड़ानन । क्य - संज्ञा, पु० (दे० ) क्षय, नाश । कयना * - अ० क्रि० दे० ( हि० कय + ना ) जय को प्राप्त होना, छीजना, नष्ट होना । कर - संज्ञा, पु० (दे० ) छल । संज्ञा पु० (दे० ) तर | संज्ञा, पु० (दे० ) जटामासी, फड़दाडा ( प्रान्ती० ) । करकना - ० क्रि० (दे० ) छलकना, छड़कना, बिखरना | छवि-संज्ञा स्त्री० ( दे० ) पाखाना, शौचस्थान | करकर - संज्ञा, पु० दे० ( हि० कर ) कणों या छरों के वेग से निकलने और गिरने का शब्द, पतली लचीली छड़ी के लगने का शब्द | करकराना-प्र० क्रि० दे० (सं० क्षार ) नमक आदि के लगने से शरीर के घाव या छिले हुये स्थान में पीड़ा होना। संज्ञा, स्त्री० करकराहट । छलकना करना ० कि० दे० (सं० तरगा ) चूना, टपकना, चकचकाना, चुचुवाना । + ० क्रि० दे० ( हि० कलना ) छलना, काँडना (दे० ) धोखा देना, ठगना, मोहित करना । करभार - संज्ञा, पु० यौ० दे० (सं० सार + भार ) कार्य - भार, झंझट, बखेड़ा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करस - संज्ञा, पु० (दे० ) छः रस, षटरस | करहरा - वि० दे० (हि० छड़ + हरा प्रत्य० ) atriग, सुबुक, हलका, तेज़ फुरतीला । स्त्री० कम्हरी । " गोरा रंग चौ बदन छरहरा" - कु० वि० । करा संज्ञा, पु० दे० (सं० तर ) छड़ा (दे० ) लर, लड़ी, रस्सी, नारा, इजारबंद, नीबी, चुना हुधा । क्रि० वि० (दे० ) काँडा या छाना हुआ । करिंदा - वि० (दे० ) एकाकी, असहाय, केला, रिक्तहस्त, रीते हाथ । करी* - संज्ञा, स्त्री० वि० (दे० ) छड़ी या छली । " हरी हरी छरी लिए । करीला -- संज्ञा, पु० दे० ( सं० शैलेय) काई की तरह का एक पौधा, पत्थर - फूल, बुड़ना, ( प्रान्ती० ) । वि० अकेला । करे - वि० (दे० ) छटे, चुने या बराये हुये, उत्तम उत्तम अलग किये या बीने हुये । "छरे छबीले छैल सब शूर सुजान नवीन ।" छर्दन - संज्ञा, पु० (सं० ) वमन, क़ करना । छर्दायन - संज्ञा, पु०यौ० दे० (सं० शरद् + श्रयण ) खीरा, ककड़ी | कर्दि - संज्ञा, स्त्री० (सं०) वमन, नै, उलटी । छर्रा - संज्ञा, पु० दे० ( अनु० करकर ) छोटे कंकड़ या कण, लोहे या सीसे के छोटे छोटे टुकड़े जो बंदूक से चलाये जाते हैं । छल - संज्ञा, पु० (सं० ) दूसरे को धोखा देने का व्यवहार, ब्याज, मिस, बहाना, धूर्तता, वंचना, ठगपन, कपट । कलकलकन - संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० छलकना) छलकने की क्रिया का भाव । छलकना - अ० क्रि० दे० ( अनु० ) किसी For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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