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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खाज ५३० खान . खाज-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० खर्जु) खुजली खातिर-संज्ञा, स्त्री. (अ.) आदर । रोग। मुहा०-कोढ़ की खाज-दुःख | अव्य० ( अ० ) वास्ते, लिये । में दुःख बढ़ाने वाली वस्तु । ख़ातिरखाह--ग्रव्य० क्रि० वि० (फा० ) खाजा-संज्ञा, पु० दे० (सं० खाद्य ) भषय | __ यथेच्छ । वस्तु, एक मिठाई। खातिरजमा-संज्ञा, स्त्री. यो० (अ.) खाजो-संज्ञा, स्त्री. ( हि० खाजा ) | सन्तोष, तसल्ली, “ घर में जमा रहै तो खाद्य पदार्थ, भोजन । मुहा०-खाजी | ___ खातिर जमा रहै "-बेनी । खाना - मह की खाना, बुरी तरह खातिरदारी-संज्ञा, स्त्री० [फा० ) सम्मान, हारना। श्राव-भगत, श्रादर-सत्कार । खाट-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० खट्वा ) चार- खातिरी—संज्ञा, स्त्री० दे० (फा० खातिर ) पाई, खटिया। सम्मान, तसल्ली, सन्तोष, श्रादर।। खाड़*-संज्ञा, पु० दे० (सं० खात ) गड्ढा, | खातो-संज्ञा, स्त्री. (दे०) (सं० खात) गर्त, लो. “ खाड़ खनै जो और को ताको खादी भूमि, खन्ती, खतिया, बढ़ई की कूप तयार।" जाति। खाडव * --संज्ञा, पु. (दे० ) पाडव | खाद-संज्ञा, पु. (दे०) खाद्य (सं०) (सं.)। उपज बढ़ाने वाला पदार्थ, पाँस । खाड़ी-संज्ञा, स्त्री. (हि. खाड़) तीन खादक-संज्ञा पु. (सं० ) ऋणी। वि० ओर स्थल से घिरा समुद्र-भाग, भक्षक, खाने वाला। श्राखात। खादन-संज्ञा, पु० (सं० ) भोजन, खाना । खात--संज्ञा, पु० (सं० ) खोदाई, तालाब, | वि० खादित, खाद्य, खादनीय । पुष्करिणी, गड्ढा, कुआँ कूड़ा या खाद का | खादर-संज्ञा. पु० दे० ( हि० खाड़ ) कछार, गड्ढा, शराब के लिये रखी महुए की राशि, नीची भूमि (विलो बाँगर ) गोचर-भूमि । खाद। खादित-वि० (सं० ) खाया हुआ । खातमा—संज्ञा, पु० (फा० ) अंत, समाप्ति, । खादिम--संज्ञा, पु. ( अ०) नौकर, दास । मृत्यु। खादी-वि० (सं० खादित ) भक्षक, शत्रुखाता-संज्ञा, पु० (सं० खात ) अन्न रखने | नाशक, रक्षक, कँटीला । संज्ञा, स्त्री० का गड्ढा, बखार । संज्ञा, पु० (हि. खत ) ( प्रान्ती० ) गजी, गाढ़ा या हाथ का कता. मितीवार और व्यौरेवार हिसाब किताब | बुना कपड़ा, खद्दर । वि. (हि. खादि = की बही। मुहा०-खाता खोलना - दोष ) छिद्रान्वेषी, दूषित । नया व्यवहार ( लेन-देन ) करना । खादुक-वि० (सं०) हिंसालु, हिंसक । खाता बंद करना (होना )-हिसाब- खाद्य-खादु-वि० (सं० ) खाने-योग्य । किताब बंद होना, खाता चलना- संज्ञा, पु. भोजन, खाध, खाधु, खाधुक लेन-देन के व्यवहार का जारी रहना ।। (दे०)। संज्ञा, पु० (हि. ) मद, विभाग । खाधु-खाधू-संज्ञा, पु. ( दे० ) खाद्य " कहै रतनाकर खुल्यो जो पाप-खाता | वस्तु । वि० खाने वाला। मम " ।- स० कि० (सा० भू०) खान-संज्ञा, पु. ( हि० खाना ) खाने की खाना । यौ० खाता-पीता साधारण क्रिया, भोजन, खाने का ढंग । संज्ञा, स्त्री० स्थिति का। | दे. (सं० खानि ) खानि, आकर, खदान, For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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