SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 486
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुबानी ४७५ कुमारग कुबानी -संज्ञा, पु० दे० (सं० कुवाणी) संज्ञा, स्त्री०-हाथियों के पकड़ने में मदद देने बुरी वाणी, गाली, निंदा । संज्ञा, पु० (सं० | वाली सिखाई हुई हथिनी। कुवाणिज्य, कुवणिक ) बुरा व्यापार, बुरा कुमकुम ~ संज्ञा, पु० (सं० कुंकुम ) केसर, बनिया । कुमकुमा। कुबुद्धि-वि० ( सं० ) दुर्बुद्धि, मूर्ख । संज्ञा, | कुमकुमा-- संज्ञा, पु. (तु. कुमकुम ) लाख स्त्री. ( सं० ) मूर्खता, कुमंत्रणा, बुरी का बना एक पोला गोला जिसमें अबीर या सलाह। गुलाल भर कर होली में लोग मारते हैं कुबेला--संज्ञा, स्त्री. ( सं० कुवेला ) बुरा तंग मँह का छोटा लोटा, काँच के छोटे समय। पोले गोले। कुबोल -- संज्ञा, पु० (दे० ) बुरे बोल। वि० । कुमति - संज्ञा, स्त्री० (सं०) दुर्बुद्धि, दुर्मति । स्त्री० कुबोलनी। कुमद- संज्ञा, पु० दे० (सं० कुमुद ) दुरभिकुब्ज–वि० (सं० ) कुबड़ा, कूवरो (ब०) मान, एक कमल । स्त्री० कुमदनी-कमलनी। टेढ़ा, वक्र । संज्ञा, पु० (सं०) एक वायु रोग | कुमंत्रणा-संज्ञा, स्त्री० (२०) बुरी सलाह । जिससे पीठ टेढ़ी हो जाती है, अप-मार्ग । संज्ञा, पु० (सं० ) कुमंत्री। संज्ञा, भा० स्त्री० (सं० ) कुब्जता --वक्रता। कुमरिया-संज्ञा पु. ( ? ) हाथियों की एक जाति । कुन्जक-संज्ञा, पु० (सं०) मालती लता। कुमरी-संज्ञा, स्त्री० (अ० ) पंडुक जाति कुब्बा-संज्ञा, पु० (दे० ) कूबड़, कूबर।। की एक चिड़िया, कुररी (दे० )। कुब्जा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) कस की एक कुमाच-संज्ञा, पु० दे० (प्र. कुमाश ) एक कुबड़ी दासी जो कृष्ण पर बहुत प्रेम रखती रेशमी कपड़ा । संज्ञा, स्त्री० ( दे० ) कौंच । थी, जिसका कूबड़ उन्होंने दूर किया था, कुमार-संज्ञा, पु० (सं०) १ वर्षीय बालक, कुबरी, कैकेयी की मंथरा दासी। कुबजा पुत्र, युवराज, कार्तिकेय, सिंधुनद, तोता, (व.) "कूर कुबजा पठाये हो" ऊ. श०।। खरा सोना, सनक, सनंदन, सनत् और कुब्जिका–संज्ञा, स्त्री० (सं० ) दुर्गा का सुजात श्रादि सदा बालक रहने वाले ऋषि, नाम, ८ वर्ष की कन्या ।। युवावस्था की पूर्व अवस्था वाला, बालकों कुभा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) पृथ्वी की छाया, पर उपद्रव करने वाला एक ग्रह, मंगल ग्रह, बुरी दीप्ति, काबुल नदी। जैन विशेष, अग्नि, प्रजापति, अग्नि-पुत्र, वृक्ष कुभार्या - संज्ञा, स्त्री० (सं०) कुलटा या विशेष । वि० (सं० ) बिना व्याहा, कुआँरा कर्कशा स्त्री। (दे०) यौ०-कुमार-पाल ( सं० ) नृप कुभाव-संज्ञा, पु० (सं० ) बुरा भाव, द्वेष, । शालिवाहन । "भाव कुभाव, अनख-भालस हूँ"- रामा० । कुमार-तंत्र - संज्ञा, पु. (सं० ) बालतंत्र, कुभृत-संज्ञा, पु० (सं० ) बुरा नौकर, शेष बच्चों के रोगों का निदान और उनकी नाग, पर्वत, ७ की संख्या।। चिकित्सा, बाल वैद्यक-भाग । कुमंठी -संज्ञा स्त्री० दे० (सं० कमठ कुमारिका-संज्ञा स्त्री. (सं० ) कुमारी, बांस ) कमटी (दे०) बाँस की पतली कुआँरी कन्या, राज-पुत्री, पुत्री, भारत के खपाँच, कमची, लचीली टहनी। दक्षिण में एक अंतरीप, भरत राजा की कुमक-संज्ञा, स्त्री० (तु०) सहायता, पक्ष- कन्या । पात, तरफ़दारी, प्रसन्नता। कुमारग-संज्ञा पु० दे० (सं० कुमार्ग) कुपथ, कुमकी-वि० (तु.) कुमक संबन्धी। बुरा मार्ग।। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy