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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उतलाना ३१३ उतारा उतलाना--प्र० कि० दे० (हि. आतुर ) | करना, उचाड़ना, उखाड़ना, किसी धारण उतावली या जल्दी करना, आतुरता करना। की हुई वस्तु को अलग करना, पहिने हुये उतवंग-संज्ञा, पु० दे० (सं० उत्तमांग ) वस्त्र को छोड़ना, पृथक् करना, ठहराना, मस्तक, लिर। टिकाना, डेरा देना, आश्रय देना, उतारा उतसाह-संज्ञा, पु० दे० ( सं० उत्साह ) करना, किसी वस्तु को मनुष्य के चारों ओर उत्साह । संज्ञा, स्त्री० दे० उतसह कंटा- घुमा कर भूत-प्रेत की भेंट के रूप में चौराहे उत्कंठा । आदि पर रखना, निछावर करना, वारना, उताइल 8-वि० दे० (हि. उतायल ) वसूल करना, किसी उम्र प्रभाव को दूर आतुर, शीघ्रतायुक्त । संज्ञा, स्त्री० उताइली करना, पीना, घुटना, मशीन, खराद, साँचे (दे०)-आतुरता। श्रादि पर चढ़ाकर बनाई जाने वाली वस्तु उतान-वि० दे० (सं० उत्तान ) पीठ को को तैय्यार करना, बाजे आदि की कसन पृथ्वी पर रख कर ऊपर सीधा लेटना, चित्त, को ढीला करना, भभके से खींच कर तैय्यार सीधा। करना, या खौलते पानी में किसी वस्तु का उतायल-वि० दे० (सं० उत् + त्वरा) सार निकालना, निदित करना, बदनाम या धातुर जल्द बाज़ । संज्ञा, स्त्री० (दे०) लोगों की नज़रों से गिराना, काटना, तोड़ना उतायली (हि. उतावली ) धातुरता। (फूल-फल ), निगलना, वज़न में पूरा करना, उतार-संज्ञा, पु. ( हि० उतरना ) उतरने घी में सेंकना और निकालना (पूरी) उत्पन्न की क्रिया, क्रमशः नीचे की ओर प्रवृत्ति, . करना, हटाना, दूर करना, संसार से मुक्त उतरने योग्य स्थान, किसी वस्तु की मोटाई । करना, तारना । पू० का० कि० उतारि या घेरे का क्रमशः कम होना, घटाव, कमी, " अवनि उतारन भार को, हरि लीन्हों नदी में हिल कर पार करने योग्य स्थान, अवतार"-रघु० “आये इतै हम बंधु हिलान, समुद्र का भाटा (ज्वार का उलटा) समेत उतारै प्रसून जो होइ न वारन "ढाल, ढालू या नीची भूमि, उतारन, निकृष्ट, रघु० । “ मनि मुंदरी मन मुदित त्यक्त, उतरायल, उतारा, न्योछावर, सदक़ा, उतारी"--- रामा० स० क्रि० दे० (सं. वह वस्तु या प्रयोग जिससे नशे या विष उत्तारण ) पार ले जाना, नदी नाले के पार आदि का बल कम हो या दोप दूर हो, परि- पहुँचना-राई नोन इत्यादि चारो ओर हार, नदी के बहाव की ओर (विलोम- घुमाकर आग में डालना-" होत बिलम्ब चढाव ) अवनति, पतन। उतारहि पारू"-रामा० " ताहि प्रेतउतारन-संज्ञा, पु० दे० (हि० उतारना ) बाधा वारन-हित राई-नोन उतारयो"। वह पहनावा, जो पहिनने से पुराना हो गया | उतारा-संज्ञा, पु. (हि० उतरना ) डेरा हो, निछावर, उतारा हुआ, त्यक्त, निकृष्ट डालने या टिकने का कार्य, उतरने का घस्तु । यौ० उतारन-पुतारन-उतारा | स्थान, पड़ाव, नदी का पार करना । संज्ञा, हुआ, त्यक्त । पु० दे० (हि. उतारना ) प्रेत-बाधा या इतारना-स० कि० दे० (सं० अवतरण )। रोग की शांति के लिये किसी व्यक्ति की देह ऊँचे स्थान से नीचे स्थान में लाना, प्रति- के चारो ओर कुछ ( खाने-पीने की) रूप बनाना, (चित्र) खींचना, नक़ल करना, | सामग्री, घुमा-फिरा कर चौराहे श्रादि पर चित्र पर एक पतला कागज़ रख कर नकल रखना, उतार की सामग्री या वस्तु । स. करना, लगी या चिपटी हुई वस्तु को अलग । क्रि० सा० भू०--पार किया। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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