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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अहसान २०५ अहिबल्ली अहसान-संज्ञा, पु. (अ.) किसी के अहि - संज्ञा० पु. ( सं० ) साँप, सर्प, राहु, साथ भलाई करना, सलूक, उपकार, कृपा. वृत्तासुर, खल, वंचक, पृथिवी, सूर्य, मात्रिक अनुग्रह, कृतज्ञता। गणों में ठगण, २१ अक्षरों के वृत्तों का एक अहसान मंद-वि० ( अ ) कृतज्ञ, अनुग्रहीत । स्त्री०-अहिनी-सर्पिणी, साँपिन । आहह-अव्य० ( सं० ) आश्चर्य, खेद, अहिगण-संज्ञा० पु० यौ० (सं० ) पांच क्लेश या शोक-सूचक एक शब्द ।। मात्राओं के गण, ठगण का सतवाँ भेद, "अहह प्रलयकारी दुःखदायी नितांत"- सर्प-गण । मैथि०। अहिगति-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( सं० ) सर्पअहा--अव्य० दे० (सं० अहह ) श्राह्लाद ! गति, टेढ़ी चाल । और प्रसन्नता-सूचक एक शब्द । | अहिच्छत्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) प्राचीन संज्ञा, स्त्री० (दे०) प्रशंसा, प्रसन्नता। दक्षिण पांचाल । " भरी यहा सगरी दुनियाई "-प० ।। अहिछर-संज्ञा, पु० ( दे० ) विष, सर्पअ० कि० (दे०) था। विष। स्त्री० अही थी। अहित-वि० (सं० ) शत्रु, बैरी, हानि“खेखत श्रही सहेली सेती-५०। कारक । अहाता—संज्ञा, पु० (अ० ) घेरा, हाता, संज्ञा, पु. ( सं० ) बुराई, अकल्याण, बाड़ा, प्राकार, चहार दीवारी, चारदिवारी। हानि । अहान-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० आह्वान ) अहितगिडक-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) बुलावा, पुकार, चिल्लाहट अावाहन । सपेरा, व्यालग्राही, कंजर। प्रहार -- संज्ञा, पु० दे० (सं० अाहार ) अहिधर-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) शंकर, भोजन, आहार। महादेव । " नर-अहार रजनीचर करहीं''..-रामा० । अहिनाथ-संज्ञा० पु० यौ० ( सं० ) शेषअहारना --सं० कि० दे० ( सं० अाहरण) नाग, वासुकी । (दे० ) अहिनाह-~-- खाना, भक्षण करना, चपकाना, कपड़े में शेषनाग, अहिराज। माँडी देना। (दे० ) अहरना। अहि-नकुलता--संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) प्रहारी-वि० दे० (सं० आहारी) खाने महज बैर, स्वाभाविक शत्रुता । वाला। अहिनकुन्त न्याय....-पारस्परिक-विरोध । अहाहा-अव्य० दे० (सं० ग्रहह ) हर्ष अहिपति---संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) शेष सूचक शब्द। अहिंसक-वि० (सं० ) हिंसा न करने नाग, नागराज ।। वाला ( विलोम ) हिंसक। अहिफेन--संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) सर्प के अहिंसा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) किसी को मुख की लार या फेन, अफ़ीम। दुःख न देना, किसी जीव को न सताना, अहिबेल --संज्ञा, स्री. यो० (सं० अहि. या न मारना। बल्ली ) नाग-बेल, पान की बेल । अहि"अहिंसा परमो धर्मः "--- | बल्ली । अहिंस्र-वि० (सं० ) जो हिंसा न करे. अहिबल्ली-अहिबल्लरी--संज्ञा, स्त्री० यौ० अहिंसक। (सं०) नाग बेल, अहिलता, पान-बेल । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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