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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अस्वीकृत २०६ अहमक अस्वीकृत- वि० (सं०) अस्वीकार या | अहटना ( अहटाना ) अ० कि० दे० (हि. नामंजूर किया हुआ, इन्कार किया हुआ, ! अाहट) श्राहट सुनना, खटकना, पता नामंज़र। चलना। संज्ञा, स्त्री० अस्वीकृति । स० कि० प्राइट लगाना, टोह लेना। अस्सी -वि० दे० (सं० अशीति ) सत्सर श्र० कि० -(सं० आहट ) दुखना, चोट और दस की संख्या, दस का पाठ गुना, पहुँचाना “ भरम गये उर फारि पिछौहैं ८०, संख्या विशेष । ( दे० ) असी। पाछे पै अहटाने "भ्र० । अहं (अहम् ) सर्व० (सं० ) मैं। " चलत न पग पैजनियां मग अहटात"प्रकार-संज्ञा, पु० (सं०) अभिमान, गर्व, रंच किरकिरी के परे, पल पल मैं अहटाय" घमंड, मैं हूँ, या मैं करता हूँ, ऐसी भावना, --रतन०। दम्भ, अहंकृति, हृदय चतुष्टय में से एक। अहथिर -वि० दे० (सं० स्थिर ) स्थिर, ग्राहकारी वि० (सं० अहंकारिन् ) अहंकार “जो पै नाहीं अहथिर दसा" --प० । करने वाला, घमंडी, गुमानी, गर्वीला। अहद-संज्ञा, पु. (अ.) प्रतिज्ञा, वादा, स्त्री० अहंकारिणी। संकल्प। प्राकृति-संज्ञा, स्त्री. (सं.) अहंकार, | अहदनामा- संज्ञा, पु० (फा०) एकरारमद, गर्व । नामा, प्रतिज्ञापत्र, सुलहनामा । वि० न मारने वाला। अहदी-वि० पु० (अ.) श्रालसी, आसअहंता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) अहंकार, | कती, अकर्मण्य, निठल्ला। घमंड, मद। वि० प्रतिज्ञा का दृढ़। अहंपद-संज्ञा, पु० (सं०) घमंड, गर्व, संज्ञा, पु. ( म०) सब दिन बैठे खाने " जिय मांझ अहंपद जो दमिये "- के। किन्तु बड़ी श्रावश्यकता पर काम देने वाले अहंवाद-संज्ञा, पु. ( सं० ) डींग, शेख़ी, एक प्रकार के सैनिक या सिपाही (अकलम्बी लम्बी बात करना, डींग मारना। बर-काल)। अहंभाव-संज्ञा, पु. (सं०) अहंकार, अहन् - संज्ञा, पु० (सं० ) दिन, दिवस। घमंड, गर्व । अहंमन्य-वि० (सं० ) अपने को बड़ा अहना-अ० कि० (सं० अस = होना ) मानने वाला, अस्मानी। ( इसका प्रयोग अब केवल वर्तमान काल स्त्री० अहंमन्या । के ही रूप में होता है यथा अहै,) तुलसीअहंमन्यना-संज्ञा, स्त्री. ( सं० ) अहंकार, दास ने इसके कई रूपों का प्रयोग किया अपने को बड़ा मानना, गर्व, मद, घमंड । है-ग्रहहूँ, अहे, अहई, अहऊ, अहों। अह-संज्ञा, पु. ( सं० अहन् ) दिन, विष्णु, | अहनिसि-प्रव्य० दे० (सं० अहर्निशि ) सूर्य, दिन का देवता, दिनेश। रात-दिन, या दिन-रात । अव्यः (सं० अहह ) आश्चर्य, खेद, या अहनिशि- अव्य० (सं० ) दिन-रात, सदा, क्लेशादि को सूचित करने वाला शब्द। नित्य, सब काल । अहक-संज्ञा, पु० दे० (सं० ईहा ) अहमक-वि० (प्र.) बेवकूफ, मूर्ख, इच्छा, लालसा, गर्व। मूद, उजड्ड। प्रहकना अ. क्रि० दे० (हि. अहक) संज्ञा, पु० अहमकपन, हिमाकत लालसा करना, प्रबल इच्छा करना। (अ.)। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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