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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org हाँकना गया शब्द, ललकारने का शब्द । मुहा०हाँक देना या हाँक लगाना - जोर से पुकारना | हाँक मारना - हाँक लगाना । हाँक-पुकार कर कहना - सब के सम्मुख बेधड़क और निस्प्रंकोच कहना. ललकार, गर्जन, हुँकार, प्रोत्साहक और उत्तेजक शब्द, बढ़ावा देने का शब्द सहायतार्थ की हुई पुकार, दुहाई. गोहार 1 " सुनि हाँक हनुमान की - स्फुट । हाँकना - स० क्रि० दे० ( हि० हाँक ) चिल्ला कर पुकारना या बुलाना, श्राक्रमण या संग्राम में गर्व से चिल्लाना, हुँकारना, सीटना, बढ़ बढ़ कर बातें करना, बोल कर या मार कर जानवरों को आगे बढ़ाना या चलाना, गाड़ी रथादि के पशुओं को चला कर गाड़ी को चलाना, बोल या मार कर पशुओं को भगाना, पंखे से हवा करना । ジ ܕܕ १८७८ स० रूप- काना । प्रे० रूप- —हँकवाना | 16 53 "हाँक्या बाघ उठ्यो विरभायो" - छत्र० । तुम तौ काल हाँकि जनु लावा रामा० । मुहा०- गप हाँकना- झूठी बातें कहना । दून की हाँकना - बंद बद बात करना । हाँका संज्ञा, पु० दे० ( हि० हाँक ) गर्जन, ललकार, पुकार, ढेर, हॅकवा (दे०) सिंहादि को उत्तेजित कर हाँकने वाला । हाँगी - संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० हाँ ) स्वीकृति, स्वीकार, मंजूरी हामी (दे०) । मुहा०हाँगी भरना स्वीकार करना, मंजूर करना, हामी भरना हाँड़ना+1- स० क्रि० दे० ( सं० भंडन ) व्यर्थ इधर-उधर घूमना-फिरना, थावारा घूमनाफिरना | वि० स्त्री० - हाँड़नी - थावारा घूमने फिरने वाली । हाँडी - संज्ञा, खो० दे० (सं० भाँड ) हँडिया, हंडी, मिट्टी का मझोला बटलोई सा बरतन । मुहा०-छाँड़ी पकना हाँडी की चीन पकना, षड्यंत्र या चक्र रचा जाना, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हा भीतर ही भीतर कोई युक्ति खड़ी होना । ( काठ की ) हाँड़ी दुबारा न चढ़नाछल-कपट का फिर न चलना । हाँडी चढ़ना - कोई वस्तु पकाने को हाँडी श्राग पर चढ़ाया जाना । शोभार्थ कमरे में टाँगने का काँच का हाँडी के आकार का पात्र । " जैसे हाँडी काठ की चढ़े न दूजी बार"वं० । हाँता - वि० दे० (सं० हात ) अलग या दूर किया हुआ, छोड़ा या हटाया हुआ । स्रो० हाँती | हाँपना हाँकना - भ० क्रि० ( धनु० हॅफ २ ) श्रम, रोगादि से सवेग, जल्दी जल्दी साँस लेना. तीव्र गति से साँस लेना, हँकना । संज्ञा स्त्री० (०) हँफी | हाँ - संज्ञा, पु० दे० ( हि० हाँकना ) तीव्र और चित्र श्वास, हाँकने की क्रिया या भाव। हाँसना- :- अ० क्रि० दे० ( हि० हँसना ) हँसना | हाँसल - संज्ञा, पु० दे० ( हि० हाँस ) देह में मेंहदी के से रंग का किन्तु काले पैरों वाला घोड़ा, हिनाई, कुम्मैत । हाँसी - संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं हास ) हँसी, परिहास, उपहास, दिल्लगी, मज़ाक, हँसीठठ्ठा, हंसने की क्रिया या भाव, निन्दा | हाँ हाँ - श्रव्य० दे० यौ० ( हि० ग्रहाँ + नहीं ) रोकने या मना करने का शब्द, निषेध या निवारण-सूचक शब्द, स्वीकार सूचक शब्द. युग्म ! हाँ-हुज़ूर - वि० यौ० ( हि० हाँ + हुज़ूर [फा० ) चापलूस, खुशामदी । संज्ञा, स्त्री०हाँ हुजूरी । हा - अव्य० (सं०) दुःख या शोक-सूचक शब्द, धाश्चर्याह्लाद या भय-सूचक- शब्द | "हा पिता कासि हे सुत्र,” भट्टी० । संज्ञा, पु० - मार डालने वाला, हनन या नाश करने वाला । भगत तुम गदहा काहे न भयो ” -कबी० । 66 For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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