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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org हदीस - बेहद, अत्यंत अत्यधिक । हद या हिसाब नहीं - अत्यंत, बहुत अधिक । हद दर्जे का --सब से अधिक बहुत अधिक। किसी बात की उचित मर्यादा या सीमा । १८६२ हम --रामा० । श्रौर सेवा की (रामा० ), महावीर | "ऐपहि होय कहा हनुमाना हनू काल संज्ञा, पु० दे० (सं० हनु + फाल हि० ) बारह मात्रायें और अंत में गुरु लघु वाला एक मात्रिक छंद ( पिं० ) । हनूमान् - संज्ञा, पु० दे० (सं० हनुमत् ) हनुमान् महावीर । " हनूमान् तब गरजि कै, लीन्हेसि face उपारि "- - रामा० । हनोज़ - अव्य० (फा० ) अभी तक अभी । हप - संज्ञा, पु० (अनु०) जल्दी से किसी वस्तु को मुख में रख कर होंठ बंद करने का शीघ्र शब्द | महा० - हप कर जानाखा जाना । या बंध करना, मार डालना, मारना, हपहपाना - अ० क्रि० (दे०) हाँफना। 1 1 हनवा - स०क्रि० ( हि० हनना का ० रूप० ) हनने का काम किसी दूसरे से कराना । अ० क्रि० (दे०) अन्हाना नहवाना, नहलाना, स्नान कराना, अन्हवाना | हनाना - थ० क्रि० (दे०) स्नान करना, पीटना, प्रहार करना, ठोंकना, लकड़ो से हफ्ता - (संज्ञा, पु० (०) सप्ताह. फा० ) हमा ठोक या पीट कर बजाना ! gani - अ० क्रि० ( अनु० हय ) खाने या काटने को शीघ्र मुख खोलना । स० क्रि० (दे० ) - दाँत से काटना । हवडा वि० (दे०) फूहड़ । हवर-हवर - क्रि० वि० दे० ( धन० हड़बड़ ) उतावली या शीघ्रता, जल्दी जल्दी, हड़बड़ी से, शीघ्रता के कारण उचित रीति से नहीं । हवरानri३ - प्र० क्रि० दे० (हि० हड़बड़ाना) शीघ्रता या उतावली करना, हड़बड़ाना । हबशी - संज्ञा, पु० ( फा० ) हबश देश का अति काला कुरूप निवासी, हबसी (दे० ) । हविला - वि० (दे०) बडदन्ता, जिसके श्रागे दाँत बड़े हों। हदीस - संज्ञा स्त्री० ( ० ) मुसलमानों का स्मृति जैसा धम्मं ग्रंथ जो मुहम्मद साहिब की बातों का संग्रह है । हद्द - संज्ञा स्त्री० (दे०) हद सीमा । हनन - संज्ञा, पु० (सं०) वध करना, मार डालना, घाघात करना, मारना पीटना, गुणा करना, ( प्रान्ती० ) । वि० - हननीय, हनित, हन्य । हना - स० क्रि० दे० (सं० हनन, श्राघात नहाना । " हरिवंत, हनुवंत संज्ञा, पु० दे० (सं० हनुमत् ) हनुमान् महावीर । " जेहि गिरि चढ्यो जाइ हनुवंता - तुल० । हनुवा, हनुवान—पंज्ञा, पु० दे० (सं० हनुमत् ) हनुमान्, महावीर । हनु – संज्ञा, त्रो० (सं०) चिबुक, ठोढ़ी ठुड्डी, जबड़ा, डाढ की हड्डी । -- हनुमंत, हनुवंत संज्ञा, पु० दे० (सं० हनुमत् ) हनुमान्, महावीर । " हनुमंत ये जिन मित्रता रवि पुत्र सों हम सों करी " - रामा० । हनुमान् - वि० (सं० हनुमत् ) बड़े जबड़े या दाढ वाला, ठुड्डी वाला, प्रति बड़ा या भारी शूरवीर | संज्ञा, पु० - पवनात्मज, मारुति, पंपा के एक प्रति वीर बंदर जो सुग्रीव के मंत्री थे जिन्होंने राम की बड़ी सहायता Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 37 संज्ञा, पु० हबूब दे० ( ० हवाब ) पानी का बुलबुला, बुल्ला. झूठ बात । हत्रेली-संज्ञा, स्त्री० दे० (अ० हवेली ) बड़ा महल । हब्बा डब्बा - संज्ञा, पु० दे० ( हि० हांफ + डब्बा अनु० ) बच्चों की डब्बे की बीमारी जिसमें जोर जोर से साँस और पसली चलती है। हब्स - संज्ञा, पु० (०) कैद | For Private and Personal Use Only हम - सर्व० दे० (सं० ग्रहम् ) उत्तम पुरुष एक वचन मैं सर्वनाम का बहुवचन रूप |
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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