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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुमानिका सुरंग दानों वाली माला, सुमिरनी (दे०)। "लिहे | वाली स्त्री! "सुमुखि मातु-हित राबौं तोही" सुमरनी हैं हाथे मां जिनके राम राम रट -रामा० । ११ वर्णो का एक वर्णिक लागी"-श्रा० सं०। छंद (पिं०), दर्पण। सुमानिका-संज्ञा, स्त्री० (सं०) सात वर्णी सुमृत-मृति* - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० का एक वर्णिक छंद (पि.)। स्मृति ) स्मृति स्मृति, धर्म-शास्त्र, सुधि, सुमारग-संज्ञा, पु० दे० (सं० सुमार्ग) सुमार्ग, सुपथ, अच्छा पंथ, पदाचार। | समेध-वि० दे० (सं० सुमेधस) बुद्धिमान् । सुमार्ग-संज्ञा, पु० (सं०) सत्पथ, उत्तम पंथ, । सुमेधा-वि० दे० (सं० सुमेधस) बुद्धिमान् । अच्छा रास्ता, सदाचार, उत्तम या श्रेष्ठ | समर- संज्ञा, पु० दे० (सं० सुमेरु ) सुमेरु, मार्ग। विलो०-कुमागे । वि.--सुमागी। पहाड़ । “चाहै सुमेर को छार करै अरु छार सुमालिनी-संज्ञा, स्रो० (सं०) छः वर्णों को चाहै सुमेर बनावै "-- देव० । का एक वर्णिक छंद (पिं० । सुमेरु-संज्ञा, पु० (सं०) शिव, समस्त पर्वतों सुमाली- संज्ञा, पु. ( सं० सुमालिन् ) रावण | का राजा, एक खोने का पहाड़ (पुरा०), के नाना एक राक्षस जिसकी कन्या कैकसी माला का सब से ऊपर या बीच की दाना, कुंभकर्ण, रावण, शूर्पणखा और विभीषण | उत्तरीय ध्रुव, १७ मात्राओं का एक मात्रिक की माँ हैं। छद ( पि० ) । वि० -- बहुत ऊँचा, सुन्दर । सुमित्रा-संज्ञा, स्त्री० (सं० राजा दशरथ | मुमेम्वृत्त-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वह की तीसरी रानी और लघमण और शत्रुघ्न कल्पित रेखा जो उत्तरीय ध्रुव से २३३ जी की माता । " समुभिः सुमित्रा राम- अक्षांश पर है (भूगो०)। सिय, रूप-सनेह सुभाव "--रामा० । सुयम् ---अव्य० दे० ( सं० स्वयम् ) श्राप से सुमित्रानंद-सुमित्रानंदन - संज्ञा, पु० यौ० श्राप, श्राप, खुद. खुद ब खुद । (सं०) लक्ष्मण और शन्नन्न जी। सुयश-संज्ञा, पु० (सं०) सुकीति, सुख्याति, सुमिरण-सुमिरन*- संज्ञा, पु० दे० (सं० अच्छी कीर्ति, सुनाम, सुजस (दे०) । स्मरण) स्मरण, जप, भजन, ध्यान । 'सुमिरन "श्रवण सुयश सुनि श्रायेऊँ प्रभु भंजन भवकरिकै रामचंद्र का लै बजरंग बली का भीर"-रामा० । वि० (सं० सुयशस्) यशस्वी। नाम"-प्रा. खं०। वि० --सुयशी। सुमिरना-स० क्रि० दे० (सं० स्मरण ) सुयोग--संज्ञा, पु. (सं०) अच्छा संग, सुन्दर याद करना, स्मरण या ध्यान करना । प्रे. योग, अच्छा मेल, संयोग, सुअवसर, अच्छा रूप-सुमिराना, सुमिरावना । " ऐसो मौका, सुजोग (दे०) । " ग्रह, भेषत्र, राम-नाम निसि-बासरजे सुमिरत सुमिरावत" जल, पवन, पट, पाय सुयोग, कुयोग'-रामा०। रामा०। सुमिरनी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० सुमिरना) । सयोग्य-वि० (सं.) अत्यंत योग्य या स्मरणी, जप करने की छोटी माला। "राह । बाट में जमैं सुमिरनी, घर में कहैं न राम"! सुयोधन .. संज्ञा, पु. (सं०) कौरवों का सब -कबी०। से बड़ा भाई, दुर्योधन, सुजाधन (दे०)। सुमुख-संज्ञा, पु. (सं०) "विष्णु, शिव, “ भयो सुयोधन तें पलटि, दुर्योधन तब गणेश, प्राचार्य, पंडित । वि०- सुन्दर | नाम'- कुं० वि० मुख वाला, मनोहर, सुन्दर, प्रसन्न, दयालु । सुरंग-वि० (सं०) सुन्दर या अच्छे रंग का, सुमुखी-संज्ञा, स्त्री. (सं०) सुन्दर मुख , सुन्दर, मनोरम, सुडौल, रस-मय, रक्त वर्ण लायक। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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