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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सारखा १७४६ सारा पालन-पोषण, देख-रेख, पर्यक, पलँग । बनाना. संभालना, सुधारना, रक्षा करना, +-संज्ञा, पु० दे० (सं० श्याल ) साला। आँखों में अंजन और मस्तक में तिलकादि श्याला (सं०), पनी का भाई। संज्ञा, स्त्री. लगाना, शस्त्रास्त्र चलाना। (सं०) सारता। सारभाटा -संज्ञा, पु० दे० (हि. चार का सारखा--वि० दे० (सं० सदृश ) सदृश, अनु० +भाटा ) ज्वारभाटा का विलोम, समान, सरीखा, सारिखा । तट से आगे निकल जाकर कुछ देर में फिर सारगर्भित - वि० यौ० (सं०) जिसमें तस्व लौटने वाली समुद्र के जल की बाढ़। भरा पड़ा हो, तत्व पूर्ण, सारांशयुक्त। सारमेय- संज्ञा, पु. (सं०) सरमा की सारता-संज्ञा, स्त्र' (सं०) सारख, सार संतान, स्वान, कुत्ता, ककुर, (दे०) । स्त्री० का भाव या धर्म । विलो०-असारता, । -सारमेयी। निस्सारता। साग्ल्य -ज्ञा, पु. (सं.) सरलता, सारथ--वि० दे० (० सार्थ) चरितार्थ पूर्ण, सीधापन, सिधाई। अर्थयुक्त । संज्ञा, स्त्री० सारथता (दे०)। सारवती--संज्ञा, स्त्री० (सं०) ३ भगण और "चाहत बिजै को सारथी जो कियो सारथ एक गुरु वर्ग का एक वर्णिक छंद (पिं०)। तौ"--रत्ना० । सारस--संज्ञा, पु० (सं०) एक सुन्दर बड़ा सारथि, सारथी-संज्ञा, पु. (सं०) रथ का पही, हम, कमल, चंद्रमा, छप्पय का हाँकने या चलाने वाला, सूत, अधिरथ, । ३७ वाँ भेद (पिं०)। "सारसैः कल निर्हादैः रथवान, रथ-वाहक, सागर, समुद्र । संज्ञा,पु०- क्वचिदुन्नमिताननौ"-रघु० । स्त्री०-सारसी। सारथ्य। सारसी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) भार्या छंद का मारद-संज्ञा, स्रो० (सं० शारदा ) वाणी, २३ वाँ भेद (पिं०), मादा सारस । सरस्वती। “सनकादिक, नारद, अति, सारद, सारमुता- संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० (सं० शेष ना पावै पार" -स्फु० । वि० (दे०) सुरसुता ) यमुना नदी। शारद (सं०), शरद-संबंधी वि० (सं०) सार ! सारसुती -संज्ञा, स्त्री० दे० (सं. या अभीष्ट देने वाला । संज्ञा, पु० दे० ( सं० सरस्वती ) एक नदी, सरस्वती, वाणी, शरद् ) शरद ऋतु । : सरसुति, सरसुती (दे०)। सारदा--संज्ञा, स्त्री. द. (सं० शारदा) सारस्य-संज्ञा, पु० सं०) सरसता, वाणी गिरा, शारदा, सरस्वती जी। " शेष रसीलापन । वि०-विशेष रसदार । सारदा, व्याप मुनि, कहत न पावें पार"- सारस्वत- पंज्ञा, पु० (सं०) दिल्ली के स्फु० । वि० स्त्री० (सं०) अभीष्ट देने वाली। पश्चिमोत्तर की ओर सरस्वती नदी के समीप सारदि, सारदी-वि० दे० (सं० शारदीय ) का देश (पूर्वीय पंजाब), वहाँ के ब्राह्मण, शारदीय शरदशतु-संबंधी, शरद ऋतु की। व्याकरण का एक प्रसिद्ध ग्रंथ । वि० (सं०)"कहुँ कहुँ वृष्टि सारदी थोरो'-रामा०।। सरस्वती-संबंधी, सारस्वत देश का। " सारसाग्दुल- संज्ञा, पु. ३० ( सं० शार्दूल ) स्वतीम जुम् कुर्वे प्रक्रियांनाति विस्तराम्"सिंह, शार्दल । “ सारदूल-सावक बितुंड सार० । झंड ज्यों ही त्यौं ही"-रत्ना। सारांश-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मूलतत्व, मारना--- स० क्रि० ( हि० सरना का स० रूप ) सार, संक्षेप, खुलापा, तात्पर्य, मतलब, पूरा या समाप्त करना, बनाना, साधना, . परिणाम, नतोजा, फल, निष्कर्ष, निचोड़ । दुरुस्त या ठीक करना, सुशोभित या सुन्दर सारा-संज्ञा, पु० (स.) एक अर्थालंकार For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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