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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir DANCE विरुद्ध रूपक विलक्षण विरुद्धरूपक-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) करना शत्रुना करना, विनाश, नाटक में रूपकातिशयोक्ति नामक रूपकालं कार का विमर्ष का एक अंग, जहाँ कारण-वश कार्यएक भेद (केशव०)। ध्वंस का सामान या उपक्रम हो (नाट्य०) । विरुद्धार्थ दीपक-सज्ञा, पु. यौ० (सं०) वि.-विरोध्य. विरोधित, विरोधनीय, दीपकलंकार का एक भेद जिसमें दो विरुद्ध विरोधी। क्रियायें एक ही बात से एक ही साथ होती विरोधना*-स. क्रि० (सं० विरोधन ) हुई कही जाती हैं। विरोध करना बैर या झगड़ा करना. विरूप-वि० (सं०) । स्त्री० विरूपा ) कुरूप, प्रतिद्वंदी होना, विपरीत करना । “साई बदशकल, भद्दा, शोभा-हीन, परिवर्तित, ये न विरोधिये, गुरु, पंडित, कवि यार''.-- बदला हुआ, उलटा, विरुद्ध, कई रूप-रंग | गि० दा०। का। संज्ञा, स्त्री. विरूपता । 'यद्यपि भगनी विरोधाभास -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) द्रव्य कीन्ह विरूपा" -- रामा० । जाति, गुण. क्रिया का विरोध सा सूचक, विरूपान्त--संज्ञा, पु. चौ० (सं०) महादेवजी, एक अर्थालंकार (अ० पी०)। एक शिव गण, एक दिग्गज, रावण का एक विरोधी-वि० ( सं० विरोधिन् ) प्रतिकूलता सेनापति । " विरूपाक्ष विश्वेशविश्वाधि- या विरोध करने वाला, विपक्षी, रिपु, केशं"-शंकरा। शत्र, प्रतिकूल, वाधक । स्रो० विरोधिनी। विरेक-संज्ञा, पु० (सं.) अतीसार रोग। विरोधीश्लेष-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) विरेचक-वि० (सं०) दस्तावर, दस्त लाने श्लेषालं कार का एक भेद जहाँ श्लिष्ट शब्दों या कराने वाला, मलभेदी।। से दो पदार्थों में भेद, विरोध या न्यूनाधिक्य विरेचन-संज्ञा, पु० (सं.) दस्तावर औषधि, सूचित हो केश०) । जुलाबी दवा । " ज्वरान्ते भेषजंदद्यात बर- विरोधोक्ति--संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) उलटीमुक्ते विरेचनं"... भा० प्र० । पुलटी बातें कहना, अनर्थ वचन, विलोमविरोचन संज्ञा, पु. (सं.) प्रकाशमान, । वाक्य, विरोध-सूचक उक्ति (धलं.)। रवि-रश्मि, सूर्य, अग्नि, चंद्रमा, विष्णु, विरोधोपमा-- संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) राजा वलि का पिता मोर प्रह्लाद के पुत्र । उपमालंकार का एक भेद जहाँ किसी वस्तु "सुता विरोचन की हती, दीरध जिह्वा की उपमा एक साथ दो विरोधी वस्तुनों से नाम"--- राम । दी जावे (केशव०)। विरोध-संज्ञा, पु० (सं०) जो मेल में न हो, विलंब-वि० (सं०) देर, बेर, अतिकाल, प्रतिकूलता, अनैक्य, विपरीत या विरुद्ध अनुमान या आवश्यकता से अधिक समय भाव शत्रुता, अनबन, व्याघात एक साथ बिलम, विलंब (दे०)। "अब विलंब कर दो बातों का न होना, उलटी या विलोम, कारण काहा। ...- रामा ! स्थिति, विनाश, नाटक का एक अंग जहाँ विलंबना---अ.. क्रि० दे० ( विलंबन ) देर किसी प्रसंग-वर्णन में विपत्ति का श्राभाय करना, बेर लगाना, लटकना, चित्त लगने दिखाया जाता है। एक अर्थालंकार जिपमें से रम या बस जाना, सहारा लेना। द्रव्य, जाति, गुण और क्रिया में से किसी विलंवित--- वि० (सं०) लटकता या झूलता एक का दूसरे द्रव्यादि में से किसी एक से हुआ, वह कार्य जिसमें देर हुई हो। विरोध प्रगट हो। वि०-विरोधक, विरोधी। विल-संज्ञा, पु. (सं०) बिल, छेद, माँद । विरोधन-संज्ञा, पु. (सं०) बैर या विरोध विलक्षण ---वि० (सं०) विचित्र, अनोखा, For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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