SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 145
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अमरूत् अमली अमरूत्-वि० (सं० ) सुस्थिर, शान्त, | "हरिदरसन अमल पर्यो लाजन लजानी" अचंचल, निर्वात । --- सूबे० । संज्ञा, पु. एक फल विशेष । "अमल चलायो आपुनो, मुदली गरजि अमरूद-संज्ञा, पु० (दे० ) सफरी, बिही, गुमान''-ना० दा० । एक फल । अमलता-- संज्ञा, स्त्री० भ० ( सं० ) निर्मलता अमरेश-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) देवराज, स्वच्छता, निष्कलंकता, निर्दोषता, विमलता। अमरेश्वर-संज्ञा, पु० यौ ० (सं० ) देवेश, अमत्ततास-संज्ञा, पु. (सं० अल्म ) एक लम्बी गोल कलियों वाला पेड़, एक प्रकार अमरैय्या-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० आम्रराजि ) की औषधि। अमराई, श्राम का बगीचा । अमलदारी-संज्ञा, स्त्री० (अ.) अधिकार, "कहिबी कि अमरैय्या राम राम कही है"-- दखल. एक ऐसी काश्तकारी जिसमें पैदावार दास। के अनुसार असामी को लगान देना पड़ता अमर्याद-वि० (सं० ) मर्यादा के विरुद्ध, है, कनकूत, शासन । बेकायदा, अप्रतिष्टित, अनीति । अमर्यादा- संज्ञा, स्त्री. ( सं० ) अप्रतिष्ठता, शामल पट्टा-संज्ञा, पु० (अ० अमल - पट्टा हिं० ) दस्ताबेज़ या अधिकार-पत्र जो किसी मान-हानि, असम्मान, मर्यादा-विहीन । कारिदे या प्रतिनिधि को किसी कार्य में अमर्यादित-वि० (सं० ) मर्यादा के बाहर नियुक्त करने के लिये दिया जाता है। अमर्याद। अमर्ष-संज्ञा, पु. ( सं० ) क्रोध, रिस, रोष, अमलबेत—संज्ञा, पु. ( सं० अम्लवेतस ) कोप, अक्षमा, अपना तिरस्कार करने वाले एक प्रकार की लता जिपकी सूखी टहनियाँ का कोई अपकार न कर सकने के कारण खट्टी होती और चूरणों में डाली जाती हैं, तिरस्कृत व्यक्ति में उत्पन्न होने वाला झेप एक पेड़ जिसके फल बड़े खट्टे होते हैं । या दुःख, असहिष्णुता, एक प्रकार का अमला---संज्ञा, स्त्री० (सं०) लक्ष्मी, सालका संचारी भाव ( काव्य शास्त्र) । वृक्ष, पाताल । श्रमर्षण-संज्ञा, पु. (सं०) क्रोध, रिस, / संज्ञा, पु० (सं० आमलक) आँवला, श्रीरा रोष, द्वैष । (दे० )। अमर्षित-वि० (सं० ) अमर्षयुक्त, रोषयुक्त । वि० वी० (सं० ) मल-रहित, स्वच्छ, शुद्ध, अमर्षी-वि० ( सं० अमर्षिन ) क्रोधी, अस- विमला। हनशील, जल्दी बुरा मानने वाला। संज्ञा, पु० ( ० ) कार्याधिकारी, कर्मचारी, स्त्री० अमर्षिणी। कचहरी में काम करने वाला। अमल-वि० ( सं० ) निर्मल, स्वच्छ, निर्दोष यौ० अमला फैला-कचहरी के कर्मचारी। पाप-रहित, निष्कलंक, कालिमा शून्य कलुष- "बड़ा जुलुम मचावें ये अदालत के अमला" विहीन । अमली-वि० (सं० ) अमल या प्रयोग संज्ञा, पु. ( अ० ) व्यवहार, कार्य, श्राचरण । में पाने वाला, व्यावहारिक, अमल या साधन, प्रयोग, अधिकार, शासन, हुकूमत, अभ्यास करने वाला, कर्मण्य नशेवाज़, नशा, श्रादत, बान, टेंव, लत, प्रभाव असर तलबी (दे०)। भोग-काल, समय, वक्त । | संज्ञा, स्त्री० (दे० ) इमली। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy