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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माखन १३१४ माड़ना बुरा । मुहा०-माख मानना-बुरा या माचा-संज्ञा, पु. द० (सं० मंच ) बड़ी बिलग मानना । " माख मानि बैठो एठि खाट, पलंग, मचान कुरसी बड़ी मचिया । लाड़िलो हमारो ताको" .. रखा। माची-- संज्ञा, खी० द० ( सं० मंच ) छोटा माखन-संज्ञा, पु० दे० (सं० मंथन) पलँग या खाट, खटिया, छोटा माचा, नवनीत, नैनू, कच्चा धी, मक्खन । यौ०- मचिथा, कुरसी। माखनचोर--श्रीकृष्णजी। माजी --संज्ञा, पु० दे. ( सं० मत्म ) मच्छ, माखना*-० क्रि० (हि. माख) बुरा । मछली। मानना, पछताना, नाराज़ या अप्रसन्न माछा--संज्ञा, पु० दे० ( हि० मकड़ ) होना, शोध करना। "माखे तपन कुटिल मच्छड़, मला । संज्ञा, पु० दे० ( मं० मल्स ) भई भौहैं"-रामा० ! " श्रद जनि कोऊ मछली, मच्छ। माखै भटमानी"-राभा०। जादी ---संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० मक्षिका ) माखी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० मक्षिका ) मनिका, मक्खी, मावी (दे०) । मक्षिका. मक्खी, सोनामरावी. भाछी (ग्रा.)। माजरा--संज्ञा, पु० (ग्र०) मामला, हाल, वृत्तांत, घटना. वारदात । "भामिनि भइ उ दूध की माखी''---रामा० । मान--संज्ञा, स्त्री० अ०) मातम (दे०) मागध--संज्ञा, पु० (सं०) विरुदावली कहने मीठा अवलेह (ोष०) वाली एक प्राचीन जति, भाट, जरासंध ! माइकल-संज्ञा, स्नो यौ० ( फा० मान -:“मागध, सूत, बंदि गुण-गायक " रामा० । फल हि. ) माजू काडी का गोंद या एक वि-(सं०) मगध देश का। फल जो श्रौषधि 'पौर रंगाई के काम मागधी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) मगध देश की पाता है। प्राचीन बोली या प्राकृत भाषा, इसका माझी--संज्ञा, पु० (दे०) माँझी, मल्लाइ । एक भेद अर्थ मागधी थी। मार-संज्ञा, पु० दे० (हि. मटका ) बड़ा माव--संज्ञा, पु० (सं०) पूष के बाद और मटका या घड़ा, रंगरेजों के रंग रखने का फाल्गुन से पूर्व का एक चांद्र महीना, बरतन, मार (प्रान्ती०)। संस्कृत के एक विख्पात कवि, इनका रचा मामा, मटा---संज्ञा, गु. (दे०) लाल रंग का हुधा संस्कृत-काव्य-ग्रंथ, वृहत् अयी महा- एक चींटा। काव्यों में से प्रथम है। संज्ञा, पु. द. माटी*-- संज्ञा, खो० द. ( हि० मिट्टी) (सं० माध्य ) कुंद का फूल ।। मी, मिट्टी, मृतिका, शत्र, लाश, भूलि, माधी-संज्ञा, स्त्री० (सं० माघ-1-1-प्रत्य०) रज, शरीर, पृथ्वी-तरम । लहा- माटी माव की पूर्णमासी या अमावस्या । वि.-- होना-नष्ट होना, निस्मार और तुच्छ होना । माव का, जैसे--माधी मिर्च । वि०-- मार--संज्ञा, पु. द. ( हि० मीटा) एक माघीय । तरह की मिठाई, मठरो (दे०)। माच -संज्ञा, पु० दे० (सं० मंच) माइना -अ० कि० द० (सं० मंडन) मचान, पलंग, कुरसी, बड़ी मचिया । माना, करना, ठानना । सं० कि० दे० माचना*-स० कि० दे० (हि. मचना) ( सं० मंडन ) मंडित या भूपित करना, श्रारंभ होना, छिड़ना, होना। पहनना, धारण करना, पूजना, पादर माचल*-वि० दे० (हि० मचलना) करना । स० कि० दे० (सं० मदन) मसलना. मचलने वाला, हठी, मनचला, जिद्दी। मलना, धूमना, फिरना. माडना । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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