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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org माँडौ माँड़ौच -- संज्ञा, पु० दे० (सं० मंडप ) मंडप, मँड़वा, माँडव । १३६३ माँदा - संज्ञा, पु० दे० (सं० मंडप ) मंडप, मढ़ा, कोठरी । माँत - वि० दे० (सं० मत) मतवाला, महत, उन्मत्त | वि० दे० ( हि० मात-मंद ) माता (दे० ) उदास, हतप्रभ श्रीहत | माँतना - प्र० क्रि० दे० (सं० मत +नाहि० प्रत्य० ) पागल या उन्मत्त होना । माँता - वि० दे० ( सं० मत्त ) मतवाला | मांत्रिक-संज्ञा, पु० (०) तंत्र-मंत्र करने या जानने वाला | माँ - वि० दे० (सं० मंद ) माँदा, उदास, श्रीहत, मुकाबले में बुरा या हलका, पराजित, मात, हारा हुया | संज्ञा, खो० (दे०) हिंसक जंतुओं के रहने का बिल, गुफा, खोद माँदगी - संज्ञा, स्त्री० ( फा० ) बीमारी, रोग । माँदर - संज्ञा, पु० दे० ( हि० मर्दल ) मृदंग, मर्दल | चुर, } माँदा - वि० ( फा० माँद: ) सुस्त, थका, श्रमित, शिथिल, बचा हुआ, शेष, रोगी, atara | ० कामदा माँध -- संज्ञा, ५० (सं०) मंदता, मंद होने का भाव । मांत्राता संज्ञा, ५० (सं० मांधातृ) मान्धाता. एक सूर्य वंशीय राजा । " मांधाता च महीपतिः " सपनाम भो० प्र० । अ० क्रि० दे० ( हि० मांतना ) नशे में मस्त या चूर होना, उन्मत्त होना । स० क्रि० (दे०) नापना, मापना । माँय - अव्य० दे० ( सं० मध्य ) में, मध्य, बीच, माँहि माँह । " माँस, मास-संज्ञा, पु० (सं०) देह का चर्बी और रेशेदार नर्म लाल पदार्थ, गोश्त, मास । मांसपेशी -- संज्ञा, खो० यौ० (सं०) शरीर के भीतर का माँस-पिंड । मांसभक्षी - संज्ञा, पु० यो० (सं०) माँसाहारी। मामल - वि० (सं०) माँसपूर्ण, माँस से भग भा० श० को ०-१७५ माख हुम्रा, मोटा-ताज़ा, हृष्ट-पुष्ट । संज्ञा, स्त्रो० मांसलता | संज्ञा, पु० -- गौडी रीति का एक गुण (का० ) । माँसाहारी - संज्ञा, पु० यौ० (सं० माँसाहारिन) माँस-भक्षी, माँस खाने वाला । त्रो० मांसाहारिणी । माँसु- संज्ञा, पु० दे० (सं० मांस ) मांस, माह, महीना, मास । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माँ, माँझ अव्य० दे० (सं० मध्य ) में, मध्य, बीच, मँहियाँ, माँहिं | माँहाळा1- अध्य० दे० ( सं० मध्य ) में, बीच, मांहि मध्य । -- माँहि, माँही-- अव्य० दे० ( सं० मध्य ) में, मध्य, बीच | " तेहि छिन माँहि राम धनु तोरा -रामा० । कहु खगेस को जग माहीं - रामा० । 46 "" मा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) श्री, लक्ष्मी, प्रकाश, दीप्ति, माता । अव्य० (सं०) - निषेध, मत, यथा- मा कुरु ! अव्य० (दे० ) में | माइँ, माई-पंज्ञा, दे० (सं० मातृ ) मातृ-पूजनार्थ बनाया गया छोटा पुत्रा । मुहा०-- माइन में थापना -- पितरों के तुल्य सम्मान करना | संज्ञा, स्त्रो० (अनु० ) लड़की, कन्या | संज्ञा, खो० मातुलानी ) मामा की खी । माइ, माई संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० मा ) माता, माँ । यौ० -- भाई का लालउदार चित्त पुरुष, शूरवीर, बली, साहसी । बूदी स्त्री का संबोधन । For Private and Personal Use Only दे० ( ( सं० माइका, मायका -संज्ञा, पु० (दे०) स्त्री या कन्या के पिता का घर, पीहर ( प्रान्ती० ) । माउल्लहम - संज्ञा, पु० (प्र०) माँस का पौष्टिक | माकूल - वि० (अ०) वाजिब, ठीक, उचित, योग्य, अच्छा, मुनासिब, जो विवाद में प्रतिपक्षी की बात मान ले । माख - संज्ञा पु० दे० (सं० भक्ष ) पश्चाताप, नाराजी, अप्रसन्नता, दोष छिपाना, क्रोध, अभिमान, रुष्टता, अपना
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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