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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org भयानक भयानक - वि० (सं०) भीषण, डरावना | संज्ञा, पु० भीषण दृश्य का वर्णन वाला एक रस, छठा रप ( काव्य० ) ! संज्ञा, त्रो०भयानकता । भयाना ० क्रि० दे० (सं० भय ) डरना, भयभीत होना । स० कि० डराना, भयभीत करना । भयापह - संज्ञा, पु० (सं०) भय नाशक । भयावन-भयावना - वि० (सं० भय) भयानक, डरावना, भयकारी | १३१६ भयावह - वि० (सं०) डरावना भयंकर | भयाहू - संज्ञा, स्त्री० (दे० ) छोटे भाई की स्त्री । भरत - संज्ञा, स्रो० दे० ( सं० भ्रांति ) संदेह, शक, भरने का भाव, भरती । भर - वि० दे० ( हि० भरना ) तौल में सब, कुल, पूरा । - क्रि० वि० दे० ( हि० भार ) द्वारा, बल से | संज्ञा, पु० दे० (सं० भार ) मोटाई, बोझ, पुष्टि, भार | संज्ञा, पु० दे० (सं० भरत ) एक नीच अस्पृश्य जाति । भरक- संज्ञा, स्त्री० (दे०) भड़क भरकना - क्रि० प्र० दे० ( हि० भड़कना ) भड़कना । स० रूप भरकाना, प्रे० रूप भरकवाना । " 55 भरण - संज्ञा, पु० (सं०) भग्न (दे०) पालन, पोषण | वि० भरणीय । विश्व भरण पोषण कर जोई ' रामा० । भरणी - संज्ञा, स्त्री० (सं०) तीन तारों से बना त्रिकोणाकार, २७ नक्षत्रों में से दूसरा नक्षत्र भरनी (दे० ) । एक कोड़ा जो साँप को फाड़ डालता है । वि० (दे०) भरणपोषण करने वाला । भरत - संज्ञा, पु० (सं०) कैकेयी से उत्पन्न दशरथ के लड़के रामचन्द्र के छोटे भाई, इनकी स्त्री माँडवी थीं, जड़ भरत, राजा दुष्यंत के शकुन्तला से उत्पन्न पुत्र जिनसे इस देश का नाम भारत हुआ, एक संगीता चार्य, उत्तर भारत का एक प्राचीन देश (वाल्मी० रामा० ), नाटक में अभिनय करने Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भरना वाला नट, नाट्य शास्त्र के रचयिता तथा आचार्य एक मुनि | संज्ञा, पु० दे० ( सं० भरद्वाज ) लवा या बटेर को एक जाति | संज्ञा, पु० (दे०) काँसा या कसकुट धातु ठठेरा । भरतखंड -संज्ञा, पु० यौ० (सं०) राजा भरत कृत पृथ्वी के खंडों में से एक, भारतवर्ष, श्रावर्त, हिन्दुस्थान । भरतपुत्र - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) भरत जी का लड़का । भरता-- संज्ञा, पु० (दे० ) एक सालन जो बैंगन या घालू को याग में भून कर बनाया जाता है, चोखा (प्रान्ती० ) | संज्ञा, पु० दे० ( सं० भर्ता ) पति स्वामी । "अमित दानि भरता बैदेही "-रामा० । भरताग्रज - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) रामचंद्र | भरतार संज्ञा, पु० दे० ( सं० भर्ता ) पत स्वामी, भर्तार, भतार ( ग्रा० ) । भरती संज्ञा स्त्री० ( हि० भरना ) भरने का भाव, भरा जाना प्रविष्ट होने का भाव । मुहा०-- भरती करना- किसी के बीच में रखना, बैठाना । भरती का- बहुत ही तुच्छ या रद्दी । भर -- संज्ञा, पु० दे० (सं० भरत ) भरत " भली कही भरव्य तें उठाय धाग अंग तें " -- राम० भरथरी-संज्ञा, पु० दे० (सं० भर्तृहरि ) एक राजा । भरदूल - संज्ञा, पु० दे० (सं० भरद्वाज ) लवा, बटेर, टिटिहरी । भरद्वाज - संज्ञा, पु० (सं०) राजा दिवोदास के पुरोहित एक ऋषि जो गोत्र प्रवर्तक और सप्त ऋषियों तथा वैदिक मंत्रकारों में गिने जाते हैं. इनके वंशज । भरना - स० क्रि० दे० (सं० भरणा, स० रूप भराना, प्रे० रूप - भरवाना) पूर्ण करना, उडेलना, उलटना, रिक्त स्थान को पूर्ति के लिये 'कुछ डालना, तोपादि में गोली बारुद For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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