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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बिलम, बेलम १२७६ बिलोलना बिलम, बेलम --संज्ञा, पु. दे० (सं० बिलार-संज्ञा, पु० दे० (सं० विडाल ) विलंब ) देरी, विलंब, देर, बेर। बिल्ली । स्त्री० बिलारी। बिलमना-अ० क्रि० दे० (सं० विलंब ) | बिलारी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० विडाल ) | बिल्ली। देर या विलंब करना, ठहर जाना, रुक रहना, विरमना । स० रूप बिलमाना, प्रे० रूप बिलारीकंद-संज्ञा, पु० (दे०) बिदारीकंद बिलमावना । "बालम बिलमि बिदेश (सं०) बिलाईकंद। बिलावल-- संज्ञा, स्त्री० (दे०) एक रागिनी (संगी०)। बिल्ललाना-अ० कि० दे० (सं० वि- लाप) बिलासना-स० कि० दे० (सं० विलसन) बिलखना, रोना, चिल्लाना, रोना-पीटना। बिलसना, भोगना, उपभोग करना, बरतना। "बिललात परे एक कटे गात"-सुजा। बिलासिनी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० विलासनि) बिलवाना - स० क्रि० दे० (सं० विलय ) भोग करनेवाली। खोना, हेरवा देना, छिपाना, छिपवाना, नष्ट | बिलासी-वि० (सं० विलासिन् ) भोगी ! या बरबाद करना या कराना, लुप्त करना। बिलैया-संक्षा, स्त्री० दे० ( सं० विडाल ) बिलसना - अ० कि० दे० ( सं० विलसन ) बिल्ली । “टि जाय गैया के बिलैया चाटि शोभित होना, अच्छा लगना । स० क्रि० । चाटि जाय"-या. (दे०) बरतना, भोगना, उपभोग करना। बिलोकना*----स० कि० दे० (सं० बिलोकन) स० रूप-बिलसाना, प्रे० रूप-बिलसवाना। देखना, परीक्षा या जाँच करना । 'राम "नित्त कमावै कष्ट करि, बिलसै औरहि । बिलोके लोग सब, चित्र लिखे से देखि"कोय"- । रामा० । बिलहरा-संज्ञा, पु. दे० ( हि बेल ) पान | बिलोकनिः -- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० विलोकन) रखने का बाँस की पतली तालियों का | कटाक्ष, दृष्टिपात, चितवनि । “बंक संपुटाकार छोटा डब्बा, बेलहरा। बिलोकनि वानि"-वि० । " उग्र विलोकनि बिला-अव्य० (१०) बिना, बगैर । प्रभुहि बिलोका"-रामा०। बिलाई-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० बिल्ली) | बिलोचन--संज्ञा, पु० दे० (सं० विलोचन ) बिल्ली, बिलारी, कुयें का काँटा, किवाड़ , नेत्र, आँख । “बरवश रोंकि बिलोचन वारी"--रामा। की सिटकिनी, कद्दू कस । बिलोड़ना*-स० कि० दे० (सं० विलोड़न) बिलाईकंद-संज्ञा, पु० (दे०) बिदारीकंद दही मथना, अस्त-व्यस्त करना । संज्ञा, पु० (सं०) एक जड़ (औष०) । | विलोडन वि०-विलोडनीय,बिलोडित। बिलाना-अ० क्रि० दे० (सं० बिलयन ) | बिलोन-वि० दे० (सं० वि-- लवण ) नाश या नष्ट होना, लोप या अदृश्य होना, लवण-बिना, नीरस, निस्स्वाद. विरस, कुरूप । मिट जाना । स० रूप-बिलावना, प्रे० | बिलोना-स० कि० दे० (सं० विलोड़ना) रूप-बिलवाना । “रावन से बली तेऊ बुल्ला | दूध या दही मथना, बिगाड़ना, गिराना, से बिलायगे”–बेनी। ढालना, अस्त-व्यस्त करना। बिलापना-अ० क्रि० दे० (सं० विलाप) बिलोरना*--स० कि० दे० (सं० विलोड़ना) रोना, विलपना-विलाप करना। विलोड़ना, मथना, छिन्न-भिन्न करना । बिलायत, बिलाइत-संज्ञा, स्त्री० दे० (अ. बिलोलना-स० क्रि० दे० ( सं० विलोलन ) बिलायत) अन्य देश । वि०-बिलायती। हिलना, डोलना । वि०-बिलोल-चंचल । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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