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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२८ नाTER Un mumm HONDRIALISARSWERSuTurma अप्लावित अब हि० दे० अपरैल । अ मर -- संज्ञा, पु. ( सं० ) हाकिम, बड़े अप्लाषित-वि० (सं०) जो जल-सिक्त श्रोहदे का, नायक, सरदार, प्रधान, अधिया भीगा न हो। कारी, मुखिया। अप्सरा--संज्ञा, स्त्री. ( सं० ) अंबुकण, ( स० ) अंबुकण, अफ़सरी-संज्ञा, स्त्री० (हि. अफ़सर ) वाष्पकण, स्वर्ग की नर्तकी, स्वर्ग-वेश्या, अधिकार, प्रधानता, हुकूमत, शासन, जैसे तिलोत्तमा, घृताची, रम्भा, उरवशी, ठकुराई ( दे० )। मेनका श्रादि जो देवराज इंद्र की सभा में अफ़साना- संज्ञा, पु० (फा० ) कहानी, नाचा करती हैं। ये कामदेव की सहायिकायें किस्सा, कथा, दास्तान ( उ०)। भी हैं-देवांगना, परी, हूर, (उ० फा० )। दे० अपकरा-अत्यंत, रूपवती स्त्री।। अफ़सास-संज्ञा, स्त्री० (फा० ) शोक, रंज, दे० अपसरा (हि.) देववधूटी ।......... दुख, पश्चात्ताप, पछतावा, खेद । " करहिं अपसरा गान"-रामा० । अफीडेविट--संज्ञा, पु. (अ.) हलफ़अफ़ग़ान--संज्ञा, पु० (अ०) अफगानिस्तान नामा। का निवासी, काबुली, आगा। ( उ० ) शपथ पूर्व दिया हुया लिखित बयान । संज्ञा, वि० अफ़ग़ानी। अफ़ीम - संज्ञा, स्त्री. ( पु० अोपियन, अ० (दे०), अफ़ीम । अफ़यून अं० अोपियम ) पोस्ता के ढोंढ़ का अफरना-अ० क्रि० ( सं० स्फार ) पेट भर ___ गोंद, यह कड़वा, मादक और विपैला खाना, भोजन से तृप्त होना, पेट फूलना, होता है। ऊबना, और अधिक की इच्छा न रखना। अफ़ीमची-संज्ञा, पु. (हि. अफ़ीम+ची अघाना (दे०)। ---प्रत्य०) अफ़ीम खाने का स्वाभाव वाला, अफरा-संज्ञा, पु० (सं० स्फार) पेट फूलना, अफ़ीमी। अजीर्ण या वायु-विकार से पेट फूलने का | श्राफ़ीमी-वि० (हि० ) अफ़ीमची। रोग-विशेष । श्रफुल्ल-वि० (सं० ) बिना फूला हुश्रा, वि० खूब खाये हुए, सन्तुष्ट । अविकसित, उदास, पुष्प-रहित, जो खिला अफराई-संज्ञा, स्त्री० (दे० अघाना. | न हो। परितृप्ति, अफरना, अफरा । वि० श्रफुल्लित-- अविकसित । अफराना-अ. क्रि० (हि० अफरना ) प्राडा-वि० पु. (दे०) मनमौजी, भोजन से तृप्त करना, अघवाना, संतुष्ट अहंकारी, अपमानी, रंगी। करना। अफेन-वि० (सं०) फेन-रहित, झागअफल--- वि० (सं० ) फल-रहित, निष्फल, विहीन, बिना फेन या झाग का, बर्फ़-रहित, व्यर्थ, निष्प्रयोजन, बन्ध्या, बाँझ।। वि० अफेनिल - जिसमें फेन न हो। (दे०) संज्ञा, पु. झाबू का वृक्ष । अफैलाव-संज्ञा, पु. (दे०) फैलावटअफला-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) आमलकी रहित, संकीर्ण, विस्तार-विहीन । वृत, घृतकुमारी, घीवार (दे० )। अफवाह-संज्ञा, स्त्री० (अ.) उड़ती हुई अब-क्रि० वि० (सं० प्रथ, अद्य) इस ख़बर, बाजारू ख़बर, किंवदंती, गप्प, जन- समय, इस क्षण, अाजकल, इस घड़ी, अभी, श्रुति । अव्य० तदुपरान्त, तत्पश्चात् । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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