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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बलकट झुकाव, कसर, कमी । बल पड़ना - अन्तर रहना, भेद होना, भूल-चूक होना, सिकुड़न पड़ना । बन्नकट:- वि० (दे०) अगाऊ, पेशगी । बलकना - अ० क्रि० दे० अनु० ) खौलना, उबलना, जोश में थाना. उमँगना, उत्तजित हो उभड़ना । स० रूप- बल काना, प्रे० रूप बलकवाना | बलकारक. बलकारी -- वि० (सं०) पुष्टकारक बल-जनक, बल-वर्द्धक, बलकर । १२४१ बलक-सज्ञा, पु० दे० (सं० वल्कल ) छाल के कपड़े । 'भूमि सयन बलकल 4 'रामा० । कफ, श्लेष्मा । बसन, असन कद- फल मूलबलगम -- संज्ञा, पु० ( प्र०) वि० त्रो० बलग़भी । बलद - संज्ञा, पु० दे० ( सं० वर्द ) बरद (दे०) बैल | वि० बल देने वाला । बलदाऊ, चलदेव - संज्ञा, पु० (दे०) बलराम | बना - अ० क्रि० दे० ( सं० वर्हण ) बरना (दे०) जलना, दहकना । स० रूप- चालना, प्रे० रूप- बलवाना। बलबलाना - अ० क्रि० दे० (अनु० ) ऊँट का बोलना, व्यर्थ बकना, जोश में सगर्व बड़ी बड़ी बातें करना | बलबलाह, बलवती संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० बलबलाना ) ऊँट की बोली, व्यर्थ की anas, मिथ्या गर्व या जोश | बलबीर - सज्ञा, पु० ( हि० बल बलराम + वीर = भाई) बलदेव जी के भाई श्रीकृष्ण । "बताओ बलवीर जू के धाम इत कौन हैं ” – नरो० । बलभद्र सज्ञा, पु० (सं०) बलराम जी । बन्भी संज्ञा स्त्री० दे० ( सं० वलभि ) घर में सब से ऊपर वाला कोठा, चौवारा प्रान्ती० ) । बलम बलमा* - संज्ञा पु० दे० (सं० वल्लभ) पति, स्वामी, नायक बालम (दे० ) । बलमीकि संज्ञा, पु० (सं०) बॉबी । भा० श० को ० -१५६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बलात्कार बलय - संज्ञा, पु० दे० (सं० वलय) कंकण | बलराम - संज्ञा, पु० (सं०) बलदेव जी बलवंड - वि० दे० ( सं० वलवतः ) बल्ल - वान् प्रतापी, चरखंड (दे०) । बलवंत - वि० (सं० बलवतः ) बली । बलवा संज्ञा, पु० [फा०, विद्रोह, बग़ावत, हुल्लड़, विप्लव, दगा, बलवा (दे०) बलवाई - सज्ञा, प्रत्य० ) विद्रोही, उपद्रवी विप्लवी । बलवान - वि० (सं० बलवत् ) सामर्थ्यवान्, बली स्त्री० बलवती । पु० ( फ़ा० बलवा + ई वार - वि० (५०) बलवान् । बलशाली - वि० (सं०) बली, बलवान् : बलशील --- वि० (सं०) बलवान. शक्तिशाली । बलहा - संज्ञा, खो० (दे०) बोझा, लम्बी और पतली लकड़ियाँ | बलहीन - वि० यौ० (सं०) कमजोर, निर्बल, -रहित । बला - संज्ञा, खो० (सं०) बरियारी नामक पौधा ( औषधि ), पृथ्वी, लक्ष्मी, भूखप्यास, एक प्रकार की विद्या यौ० - बला ति । "बलातिबलाम् चैव पठतस्तातराघव " - वा० रा० । संज्ञा, त्रो० (प्र०) विपत्ति कष्ट, दुःख, वाफत, बलाय (दे०), बुराई व्याधि भूत-प्रेत की बाधा। मुहा० -- बला का अत्यंत, घोर बलाइ बनाय - सज्ञा, स्त्रो० दे० ( ० बला) बला थाफ़त, विपत्ति । बलाक - संज्ञा, पु० (सं०) बक बगुला, बगला । स्त्री० श्लाका । बन्दाका - सज्ञा, स्त्री० (सं०) बगली, बगलों की पंक्ति । वि० स्रो० बलाकिनी । बलाय - संज्ञा, ५० यौ० (सं०) सेनापति, सेना का अगला भाग वि० - बलवान, बली । बलाढ्य - वि० यौ० (सं०) बलवान | बलात् - क्रि० वि० (सं०) हठात् हठ या बल - पूर्वक, ज़बरदस्ती : बलात्कार -- संज्ञा, पु० (सं०) ज़बरदस्ती 3 For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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