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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बनाना बनाना - स० क्रि० ( हि० बनना) निर्माण या तैयार करना, रचना, भावान्तर या सम्बन्धान्तर रखने वाला करना, रूपान्तरित कर उपयोग के योग्य करना, एक वस्तु को बदल कर दूसरा करना | मुहा०-- बना कर — भली-भाँति, अच्छी तरह । कोई बड़ा पद या शक्ति आदि देना उन्नति दशा में पहुँचाना, उपार्जित प्राप्त या उसूल करना, मरम्मत करना मूर्ख ठहराना, उपहास योग्य करना दोष दूर कर ठीक करना, ठीक रूप या दशा में लाना । १२३२ बनाफर - संज्ञा, पु० दे० (सं० बन्यफल ) क्षत्रियों की एक जाति । 'माहिल बोला तब उदया तें यह सुनि लेहु बनाफर राय " -- था० खं० । 46 55 बनायुज - संज्ञा, पु० दे० (सं० वनायुज: बनायु =फारिस + ज उत्पन्न ) फारिस या ईरान देश में उत्पन्न होने वाला घोड़ा, अरबी घोड़ा । 'पारसीका वनायुजाः हलायुध० । बनाबत-बनाबनतळ) -संज्ञा, पु० दे० (हि० बनना + बनना ) विवाह से पूर्व वर-कन्या की जन्मपत्रियों का मिलान, बनता बनना ( ग्रा० ) । बनाम - अव्य० ( फ़ा० ) किसी के प्रति या नाम पर, नाम से। " बनामे जहाँदार जाँ आफरी" -सादी । बनाय - क्रि० वि० दे० ( हि० बनाकर ) निपट, बिलकुल, भली प्रकार । पू० का ० क्रि० ( ० भा० ) बनाकर । बनार संज्ञा, पु० (दे०) वर्तमान बनारस की उत्तर सीमा पर एक प्राचीन राज्य । बनाव- सज्ञा, पु० दे० ( हि० बनना + भावप्रत्य० ) रचना, श्रृंगार, बनावट, सजावट, ढंग, युक्ति । बनावट - संज्ञा, स्त्री० ( हि० बनाना + वटप्रत्य० ) गढ़न, घाडबर, ऊपरो दिखाव, बनने (बनाने का भाव । बनिस्बत बनावटी - वि० दे० ( हि० बनावट + ईप्रत्य० ) कृत्रिम, नकली, बनाया हुआ, दिखा वटी, झूठ 1 बनाषनहारा- संज्ञा, पु० दे० ( हि० बनावना + द्वारा प्रत्य ० ) निर्माता, रचयिता, बनानेवाला. बिगड़े को बनाने वाला | 'बिगरी कौन बनावनहार "1 - श्राल्हा० । बनावरि - संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० बाणावलि ) तीरों की पंक्ति या माला या श्रवली, बानाचली (दे० ) । बनासपती - बनासगती - संज्ञा, खो० दे० (सं० वनस्पति ) जड़ी-बूटी, फल-फूल, सागपात कंदमूल । 'नासपाती खातीं ते बनासपाती खाती हैं' भू० । "" बनि वि० दे० ( हि० बनाना ) सब, समस्त, बिलकुल पू० का ० ( ० ) बन कर | बनिज - संज्ञा, पु० दे० सं० वाणिज्य) सौदागरी. व्यापार, रोजगार सौदा, व्यापार का माल । " और बनिज में नाहीं लाहा होय मूर में हानि "कबी० । बनिजना -- स० कि० दे० (सं० वाणिज्य) वाणिज्य या व्यापार करना, बेचना, खरीदना, अपने वश कर लेना । बनजारिन - वनजारी - संज्ञा, त्रो० दे० ( हि० बनजारा ) बनजारे की स्त्री । बति - संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० बनना ) साज-बाज, बानक, वेष, ठाठबाठ । बनिता - संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० वनिता, पत्नी, भार्या, स्त्री, धौरत । " सनि बन साज समाज सब, बनिता बंधु समेत ' - रामा० । बानयां - सज्ञा, पु० दे० ( सं० वणिक ) वैश्य, वणिक, व्यापारी, सौदागर, मोदी | त्रो० बानिनि, बनियाइन, बनीनी । " बनियाँ अपने बाप को ठगत न लावै बार" - गिर० । बानयाइन - सज्ञा, स्त्री० दे० (सं० बेनियन ) एक प्रकार की बुनावट की चुस्त बंडी या कुरती, गजी ( प्रान्ती० ) । बनिस्बत - अव्य० ( फा० ) अपेक्षा, मुकाबले में । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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