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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बनज्योत्स्ना बनज्योत्स्ना - संज्ञा, स्त्री० यौ० सं० बनजोत्स्ना) माधवी लता, बनजोति (दे० ) । 1 बनत - संज्ञा, त्रो० दे० ( हि० बनना + ताप्रत्य० ) बनावट रचना, मेल, सामंजस, अनुकूलता तैयार या सिद्ध होना, एक बेल, बताई (दे० ) बनतराई - संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० बनतारा ) एक पौधा । बनताई | संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० बन + ताई - प्रत्य० ) बन की भयानकता या सघनता, बनावट, बनत | बनतुलसी-संज्ञा स्त्री० दे० (सं० चनतुलसी) बबई नामक पौधा, बर्बरी । १२३० बनद - संज्ञा, पु० दे० (सं० वनद) बादल, मेघ । बनदाम - संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० (सं० वनदाम) बनमाला, बनमाल । बनदेव - संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० वनदेव ) वन का धिष्ठाता देवता स्त्री० वनदेवी । " बनदेवी बनदेव उदारा' "रामा० । बनधातु - संज्ञा, खो० दे० यौ० (सं० वनधातु) गेरू आदि रंगीन मिट्टी । बनना - अ० क्रि० दे० ( सं० वर्णन ) रचा जाना, प्रस्तुत या तैयार होना, किसी का जान सा प्रगट करना होना ) ( व्यंग्य ) । स० [रूप बनाना, प्रे० रूप-- बनवाना, मुहा० - बन उनके सजधज कर श्रृंगार करके । बना रहना - जीता या उपस्थित रहना, उपयोग होना, रूपान्तरित होना, बदल जाना, भाव या सम्बन्ध में अन्तर हो जाना, विशेष पद यादि प्राप्त करना, उन्नति को पहुँचना, प्राप्त या सम्भव होना, वसूल या दुरुस्त होना, पटना, निभना, मित्रभाव होना, सुयोग ( अवसर ) मिलना, स्वादिष्ट या सुन्दर होना, उन्नति करना, स्वरूप धारण करना. मूर्ख ठहरना अपने को अधिक योग्य या गंभीर सिद्ध करना, दुरुस्त होना, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir arfara बना हुआ चालाक और कुछ करे । बन कर घच्छी तरह सजना | भूप, बन बन २ मंडप निभाना | सुहा व्यक्ति जो कुछ कहे - भली-भाँति, " प्रात भये सब गये "-- रामा० । बननि* +- संज्ञा, स्त्री० ( हि० बनना ) बनावट, बनाव, सिंगार | वननिधि - संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० वननिधि) समुद्र, जल राशि, वनधि | बननी - संज्ञा, त्रो० दे० ( हि० बनीनी ) बनीनी, बनिया की स्त्री चानिन । वनपट - संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० वनपट ) वृक्षों की छाल के वस्त्र, सूती कपड़ा । बन पड़ना (जाना: - स० क्रि० यौ० (हि०) सुधरना, सुश्रवसर मिलना, हो सकना, निभना, सद्गति प्राप्त होना निवहना, यथेष्ठ कार्य होना । " मीरा की बनपड़ी राम गुन गाये ते " - मीरा० । “ बन पड़े तो नेकी करना । " वनपाती* - संज्ञा, स्रो० दे० यौ० ( स० वनस्पति) वनस्पति, जंगल के पेड़ । बनफल - संज्ञा, पु० यौ० (दे०) जंगली फल । बनफ़शा -संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) एक वनस्पति जिसकी जड़ फूल और पत्तियाँ औषधि के काम में आती हैं। बनबास – संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० वनबास ) बन में रहना । तथा न मम्लौ वनवास 66 For Private and Personal Use Only दुःखतः " - वा० रा० । बनवासी - संज्ञा, पु० दे० यौ० सं० वनवासिन् ) वन में रहने वाला, जंगलो । " चौदह बरस राम बनवासी " रामा० । वनवाहन - संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० वनवाहन) नाव । पाहन तें बन बाहन काठ को कोमल है जल खाय रहा है ” – कवि० । वनवाहक - संज्ञा, पु० यो० (सं०) कहार, मेघ, बादल । बनबिलाव - संज्ञा, पु० यौ० (हि०) जंगली बिल्ली, ऊदबिलाव (दे०) ।
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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