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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पलनाना १०१७ पलीद जाना, हृष्ट-पुष्ट होना, तैयार होना। *- रखकर कसना, चढ़ाई की तैयारी करना, बुरा संज्ञा, पु. (दे०) पालना। भला कहना। पलनाना *-स० कि० दे० (हि. पलान | पलाना*-० कि० दे० (सं० पलायन ) ज़ीन +ना प्रत्य०) घोड़े पर ज़ीन कसाना । भागना, भाग जाना। स० कि० (दे०) भगाना पलल-संज्ञा, पु. (सं०) श्रामिष, मांस, पलायन कराना। पशुओं के खाने की खली। पलायक-संज्ञा, पु० (५०) भगोड़ा, भागने पलवा*-संज्ञा, पु० दे० (सं० पल्लव ) वाला। अंजुली, चुल्लू , तराजू का पलड़ा, डलिया। पलायन-संज्ञा, पु० (२०) भगना, भाग पलधाना-स० कि० दे० (हि. पालना का | जाना। प्रे० रूप) किसी से किसी का पालन करना । पलायमान-वि० (सं०) भागता हुथा । पलधार-संज्ञा, पु० (दे०) बढी नाव।। पलायित वि० (सं० ) भागा हुथा। पलवारा-संज्ञा, पु० (दे०) बड़ी नाव। पलाल-संज्ञा, पु० (सं०) पयाल, पुवाल, पलवारी-संज्ञा, पु० (दे०) केवट, "पलाल-जालैः पिहितः स्वयंहि प्रकाशमल्लाह । मासादयतीक्षु डिग्भः'' नैषधः । पलवैया-संज्ञा, पु० दे० (हि. पालना + पलाश - संज्ञा, पु० (सं०) पलास, टेसू , वैया प्रत्य० ) पालक, पोषक, पालन पोषण ढाक, छिउल, पत्ता, राक्षस, कचूर, मगधदेश करने वाला। वि० (सं०) मांसाहारी, निर्दय । पलस्तर-संज्ञा, पु० दे० (अ. प्लास्टर ) पलाशी-वि० (सं० पलाशिन ) मांसाहारी, दीवार पर मिट्टी के गारे या चूने का लेश या पत्ते-युक्त, पत्रयुक्त । संज्ञा, पु० (सं०) राक्षस । पलास-संज्ञा, पु० दे० (सं० पलाश ) टेसू, लेप। मुहा०-पलस्तर ढीला होना, बिगड़ना या बिगड़ जाना-नसे ढीली ढाक, छिउल, एक मांसाहारी पक्षी । "ज्यों पलास-सँग पान के"-०।। होना, बहुत परेशान होना। पलित वि. (सं० ) बूदा, बुड्ढा, वृद्ध, पलहना*-अ० कि० दे० (सं० पल्लव) पका हुश्रा, सफेद बाल ताप, गरमी । पत्ते निकलना, पल्लवित होना, लहलहाना। (स्त्री० पलिता)। पलहा*-संज्ञा, पु० दे० (सं० पल्लव) पली-संज्ञा स्त्री० दे० (सं० पलिघ) बड़े कोमल पत्ते, कोंपल । बरतनों से घी आदि द्रव पदार्थ के निकालने पलांडु-संज्ञा, पु० (सं०) प्याज | का हथियार या उपकरण, परी। मुहा०-. पला--संज्ञा, पु० दे० (सं० पल) निमिष । पली २ या परी २ जोड़ना-थोड़ा करके संज्ञा, पु० दे० (सं० पलट) तराजू का संचय करना। पलड़ा, पल्ला, अंचल, किनारा, पार्श्व, पलोत-संज्ञा, पु० (दे०) भूत या प्रेत, भूतपाला हुआ, डलवा (प्रान्ती)। | योनि, प्रेत योनि । वि० मैला-कुचैला। पलाद-संज्ञा, पु. (सं०) एक राक्षस । पलीता-संज्ञा, पु० दे० (फा० फलीतः) लपेटे पलान-संज्ञा, पु० दे० ( सं० पल्याण मि. हुए कपड़े की बत्ती जिसे पंसाखों में लगाते फ़ा. पालान) जीन, चारजामा । स्त्री० है, तोप या बंदूक की रंजक, जलाने वाली पलानी। बत्ती। वि० बहुत कुछ, आग बबूला। पलानना-२० क्रि० दे० ( हि० पलान+ (स्त्री. अल्पा० पलीती)। ना+प्रत्य० ) घोड़े पर जीन या पलान | पलीद-वि० (फा० ) अशुद्ध, अपवित्र, भा० श. को०-१३८ For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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