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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नेमी १०३८ नेमी- वि० दे० (सं० नियम ) नियम-व्रत वि० कृपा करने वाला, दयालु। “वानर सेना का पालन करने वाला, पूजा-पाठ, व्रत आदि सकल नेवाजी"-रामा० । का करने वाला। नेवारना--स. क्रि० दे० (हि. निवारना) नेराना स० क्रि० दे० (हि. निराना) निवारना, दुर या अलग करना, हटाना । निराना । अ० क्रि० दे० (हि. नेरे = समीप) नेवारी, नेवाडी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० समीप पहुँचना, निकट जाना, नियराना। नेपाली) नेवाड़ी के पेड़ या फूल, वन. नेरुघा- संज्ञा, पु० (दे०) पयाल, नोली, । मल्लिका (सं०)। डाँड़ी। नेसुक, नैसुक -वि० दे० (हि. नेकु ) ने -क्रि० वि० दे० (हि. नियर ) नियरे, थोड़ा, तनिक, रंच । क्रि० वि० (३०) तनिक समीप, निकट, पास । “जासु मृत्यु प्राई सा, जरा सा, थोड़ा सा । "वै तौ नेह चाहती अति नेरे -रामा०। न नैसुक 'रसाल' कहै" - नेप*-संज्ञा, पु० दे० (अ० नायब ) नायब, नेस्त-वि० (फा०) नहीं है, जो न हो। मन्त्री, सहायक । संज्ञा, स्त्री० - नींव, निहोरे नास्ति (सं०)। यौ०-नेस्त-जावूद - में, के लिए । “भारत बंदि-गृह सेइहैं, नष्ट-भ्रष्ट । राम-लखन के नेव'-रामा०। नेस्तो-संज्ञा, स्त्री. ( फा०) अनस्तित्व, न नेवग*-संज्ञा, पु० (दे०) नेग, रीति, दस्तूर।। होना नाश । (विलो०-हस्ती)। नेवज-संज्ञा, पु. दे० (सं० नैवेद्य ) नैवेद्य, नाटो भोग। प्रीति, प्रेम, चिकनाई, लेल या घी । “नातो नेवतना-स० कि० दे० (सं० निमंत्रण ) नेह राम सों साँचो'-विन० । “नेहन्यौतना, ने उतना (ग्रा०) नेवता भेजना, चीकने चित्त"-वि० । क्रि० वि० यौ० (सं०) निमंत्रित करना, भोजन करने को बुलाना । न इह, नहीं। नेवता-संज्ञा, पु० दे० (हि० न्योता) ने उता, नेही - वि० दे० (हि० नेह --ई-प्रत्य०) न्यौता (ग्रा०), निमंत्रण । प्रेमी, स्नेही, मित्र। नेवतिहारी, न्यौतिहारी, ने उनिहारी नै-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० नय) नीति, नय । वि० (दे०) निमंत्रित लोग। संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० नदी) नदी । संज्ञा, स्त्री० नेवर-संज्ञा, पु० दे० (सं० नूपुर) नूपुर, पाय (फ़ा०) बाँस की नली, हुक्के की निगाली, जेब, नेवला वि० (प्रान्ती०) बुरा, ख़राब । नेवरना-अ. क्रि० दे० (सं० निवारण) बाँसुरी । अ० क्रि० (दे०) झुकना। "गुमान निवारण, भिन्न, अलग या दूर करना। ताको नै गयो'--1 नेवल, नेवला-संज्ञा, पु० दे० (स० नकुल) नैऋत - वि० संज्ञा, पु० दे० (सं० नैऋत्य) एक जन्तु, जो साँप का शत्रु है. नेउर, । दक्षिण-पश्चिम के बीच की दिशा, राक्षस । नेउरा (ग्रा०) न्यौला । नैक-नैकु-वि. द. (हि. नेक, नेकु ) नेवाज-वि० दे० (फा० निवाज़ ) नेवाजू रंच, थोड़ा, तनिक। (ग्रा.) कृपा या दया करने वाला। "गई. नै कट्य - संज्ञा, पु० (सं०) समीपता, निकटता। बहोरि गरीव-नेवाजू"--रामा० । नैगम-वि० (सं०) निगम या वेद संबंधी। नेवाजिस-संज्ञा, स्त्री० दे० (फ़ा० निवाजिश) संज्ञा, पु० उपनिषद्-भाग, नीति ।। कृपा, दया। निवाजी- स० क्रि० दे० । नैचा–संज्ञा, पु० (फ़ा०) हुक्के की लकड़ी। (फा० निवाज ) शरण में ली, कृपा की। नैज-वि० (सं०) निजी, प्रात्मीय, प्रात्म For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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