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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - नेटा १०३७ नेमि नेटा-संज्ञा, पु० (दे०) नाक का मल, रेंट नेत्रच्छद-संज्ञा, पु. (सं०) आँखें बन्द गूजी (ग्रा०)। करने वाला चमड़ा, पलक । नेठना*-अ० क्रि० दे० (सं० नष्ट ) नाश नेत्रजल-संज्ञा. पु. यौ० (सं०) आँख का करना, नाठना, ध्वस्त या नष्ट करना । पानी, आँसू । नेठमी-वि० (दे०) स्थिर, अटल, एक स्थान नेत्र-पटल - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पलक । पर स्थित । नेत्रबाला-संज्ञा, पु० (सं०) सुगंधवाला । नेडे-क्रि० वि० दे० (सं० निकट ) समीप, नेत्रमंडल-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) आँख का निकट, पास, नेरे। गोला या घेरा। नेत-संज्ञा, पु० दे० (सं० नियति ) निर्धा नेत्रनीत-संज्ञा, पु० (दे०) बंदी, कैदी, अपरण, ठहराव, निश्चय, संकल्प, प्रबन्ध, राधी। व्यवस्था । संज्ञा, पु० दे० (सं० नेत्र) मथानी नेत्रम्राघ- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) अाँख से की रस्सी । संज्ञा, स्त्री० (दे०) एक तरह की पानी का बहना (रोग)। चादर । संज्ञा, पु० (दे०) एक भूषण । संज्ञा, नेत्रांबु संज्ञा, पु० यौ० (सं०) आँखों का स्त्री० दे० ( अ० नीयत) हार्दिक इच्छा या पानी, आँसू । विचार, श्राशय, उद्देश्य, संकल्प । “ पुनि नेत्री-वि० (सं०) नेत्रवाली। गज मत्त चढ़ावा, नेत बिछाई खाट '' नेनुआ-नेनुषा- संज्ञा, पु० (दे०) वियातोरई नाम की तरकारी। पद० । मुहा०-नेत बैठना-डौल लगाना, ठीक होना। नेपचून- संज्ञा, पु. (.) एक ग्रह । नेतक -- संज्ञा, पु० (दे०) नरकुल, नरकट, नेपथ्य-संज्ञा, पु० सं०) वेशभूषा, नाट्यगृह चूनरी। का वह भाग जहाँ स्वरूप साजे जाते हैं। नेता-संज्ञा, पु. ( सं० नेतृ ) अगुया, सर सजावट, शृङ्गार गृह (नाट्य०)। दार, नायक, स्वामी, मालिक, निर्वाहक । नेपाल-नेपाल-संज्ञा, पु० दे० (सं० नेपाल) खो० नेत्री । संज्ञा, पु० दे० (सं० नेत्र) हिमालय का एक पहाड़ी प्रदेश । मथानी की रस्सी। नेपाती-नैपाली-वि० दे० (हि० नेपाल) नेति-क्रि० वि० (सं०न + इति) इतना ही नेपाल सम्बन्धी नैपाल निवासी, वहाँ की नहीं अर्थात् अंत नहीं है. अनन्त है। भाषा "नेति नेति कहि गावहिं वेदा"-रामा० । नेपुर-संज्ञा, पु० दे० (सं० नीपुर ) पायजेब, नेती--संज्ञा, स्त्री. ( हि० नेता ) मथानी की घुघुरू। रस्सी । नेफा --संज्ञा, पु० (फ़ा०) लहँगा या पायजामे नेती-धोती-संज्ञा, स्रो० दे० यौ० (सं० नेत्र में नारा या इजारबंद के रहने का स्थान । +हि० नेता+सं० धौति ) कपड़े की एक नेब-संज्ञा, पु० दे० (फा० नायब) सहायक, पतली धजी को गले से पेट में डाल कर मददगार, मंत्री, नायब । आँतों की शुद्धि करने की एक क्रिया नेम-संज्ञा, पु० दे० (सं० नियम) नियम, ( हठयोग)। कायदा, दस्तूर, रीति, श्राचार । यौ०नेत्र-संज्ञा, पु० (सं०) नयन, आँख एक नेम-धरम--पूजा-पाठ, उपवास, व्रत । तरह का कपड़ा, मथानी की रस्सी, पेड़ की नेमि-संज्ञा, स्त्री० (सं०) चक्र की परिधि, जड़, रथ, दो की संख्या का सूचक शब्द। पहिये का घेरा, कुएँ की जगत, प्रांत, भाग। नेत्र-कनीनिका-पंज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) | संज्ञा, पु. एक तीर्थकर, वज्र । " यानेमिआँख की पुतली। मग्नैः "-माघ । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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