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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - नोत-शास्त्र १०३२ नीरज नीति-शास्त्र-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) नीति- कल्प, दृद न रहना । नीयत बदलना विद्या, कानून । (खाम होना)-विचार या संकल्प का नींदना -स० कि० दे० (सं० निदन) निंदा | और से और हो जाना, बेईमानी या बुराई करना। की ओर झुकना । नीयत बाँधना- संकल्प नीधन, नीधना -वि० दे० (सं० निर्धन) या इरादा करना। नीयत भरना-जी भर दरिद्र, कंगाल, निर्धन, निर्धनी। संज्ञा, स्त्री० जाना, इच्छा पूर्ण होना। नीयत में फ़र्क नीधनता, निधनता, निधनई। आना-बेईमानी या बुराई की ओर नीबो* --संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० नीवि ) कमर- झुकना । नीयत लगी रहना-जी बन्द, इज़ारबन्द, नारा, धोती, साड़ी। यौ० ललचाता रहना, इस्का बनी रहना। नीबी, बंधन । संज्ञा, स्त्री० (दे०) नीम । नीर-संज्ञा, पु० (सं०) पानी, जल, नीर, नीबू-संज्ञा, पु० दे० (सं० निंबूक अ० लेम) अंबु, तोय, वारि, देवता पर चढ़ाया जल । एक खट्टा या मीठा फल, कागजी, बिजौरा, मुहास-नीर ढलना-मरते समय आँखों अँबीरी, चकोतरा, चार भाँति के खट्टे नीबू, | से आँसू बहना। आँख का नीर ढल निबू , निंबुषा (ग्रा०)। मुहा०-नीबू- जाना-निर्लज्ज या बेशरम हो जाना, निचोड़-बड़ा भारी, कंजूस। फफोले के भीतर का रस या चेप । नीम-संज्ञा, पु० दे० (सं. निंब) एक पेड़, नीरज-संज्ञा, पु. (सं.) जलभव वस्तु, जिसके फल को निंबौरी, निमौरी कहते । कमल, मुक्ता, मोती। "नीरज नयन भावते हैं नीच, नींबी (दे०) । "जाने ऊख जी के"- रामा० । मिठास सो, जो मुख नीम चबाय"-- ० । नीरथ-- वि० ( देश० ) निरर्थक, निष्फल, व्यर्थ, वृथा। वि० (फा० । मि० सं० नीम ) अई, प्राधा। नीरद-संज्ञा, पु. (स०) बादल, मेघ । वि. नीमनां वि० दे० (सं० निमल ) भला, चगा, (सं० निः+रद ) अदन्त, वे दाँत का। नीरोग, तन्दुरुस्त, ठीक, बढ़िया। नीरधि-संज्ञा, पु० (सं०) समुद्र, सागर । नीमरजा-वि० यौ० (फा०) आधा राजी, नीरनिधि-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) समुद्र, अर्द्ध प्रसन्न या स्वीकृति । लौ०--"खामोशी सागर | "बाँधेउ जलनिधि, नीरनिधि, नीमरज़ा" (फा०)-मौनम् स्वीकृति लक्षणम् उदधि, पयोधि नदीश'-रामा० । (सं.)। नोरमय-वि० (सं० ) जलमय, जज-रूप, नीमर-वि० दे० (सं० निर्वल) कमजोर, जल में डूबा । निर्बल, निमस (ग्रा० )। नीरस-वि० (सं०) निरस (दे०) सूखा, नीमा-संज्ञा, पु० (फ़ा०) जामे के तले का रस-हीन, स्वाद रहित, फीका, अरोचक, कपड़ा। अरुचिर । संज्ञा, स्त्री. नीरसता। नीमावत-संज्ञा, पु० दे० (हि. निंव ) एक नीरॉजन-नीराजन-संज्ञा, पु. (सं०) दीपपंथ। दान, आरती उतारना, विसर्जन, हथियारों नीमास्तीन-संज्ञा, स्त्री० यौ० (फा० नीम के साफ करने का कार्य । भास्तीन) आधी बाँहों की कुरती। नीराजना-संज्ञा, स्त्री० (सं०) भारती, दीपनीयत, नियत-संज्ञा, स्त्री० (अ०) हार्दिक दर्शन, हथियार साफ़ करना । "नीराजना लक्ष्य, आशय, उद्देश्य, संकल्प, इच्छा। जनयताँन् निज बन्धुवर्गा"-नैप० ।। मुहा०-नीयत डिगना (डोलना ) या नीरुज-वि० (सं०) स्वस्थ, तन्दुरुस्त, रोगबद होना, बिगड़ना-उचित विचार या रहित, निरोग। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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