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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारतीय पुरालिपि-शास्त्र सीमा ई. पू. 200 के लगभग ही होगी। अशोक के पोते दशरथ के अभिलेखों और इंडो-ग्रीक राजा पैटालियन और अगाथोक्लीज के सिक्कों के लेखों से इस अंदाज की पुष्टि होती है । 159 दशरथ के लेख उसके अभिषेक के अनन्तर (आनंतलियं अभिषितेन) संभवतः ई. पू. तीसरी शती के अंत के ठीक आसपास खोदे गये थे और पटालियन और अगाथोक्लीज का शासन-काल ई. पू. दूसरी शती का प्रारंभ है । 160 नागार्जुनी गुफालेख (फलक. II, स्त० XVII) के अक्षरों को अशोक के आदेशलेखों के अक्षरों से तत्काल अलग किया जा सकता है । नागार्जुनीकोंडा के लेखों में ज, त, द, ल अक्षर काफी विकसित हैं और इनमें खड़ी लकीरें काफी छोटी हो चुकी हैं। यह विशिष्टता दोनों इंडो-ग्रीक राजाओं के सिक्कों के लेखों में भी मिलती है। इनमें उत्तरी ज (फलक II, 15, III) का और विकास हो चुका है । यद्यपि छोटे अक्षर अशोक के आदेशलेखों में भी मिल जाते हैं (दे. पृ. १५ की तालिका) किंतु अभिलेखों में निरंतर छोटे अक्षर मिलना तो अबतक के ज्ञात प्रमाणों से दूसरी और बाद की शताब्दियों के अभिलेखों की ही विशषता है। मेरा विश्वास है कि लंबी खड़ी लकीरों वाले सभी अभिलेख ई. पू. तीसरी शती के हैं और छोटी खड़ी लकीरों वाले सभी लेख उसके बाद के हैं। आ. स्थानीय विभेद अशोक के आदेशलेख जिन परिस्थितियों में खोदे गये थे उनमें उस काल के सभी स्थानीय विभदों का मिलना संभव नहीं । सभी लेख पहले पाटलिपुत्र में लिखे जाते थे और फिर प्रांतों के राज्यपालों के पास भेजे जाते थे । इससे काफी अड़चनें आई होंगी। इनके व्याकरणिक रूपों में अंतर मिलते हैं और मूल पाठ में भी थोड़ी बहुत रद्दोबदल है। इससे पता चलता है कि पत्थरों पर इन्हें खोदने से पहले इन आदेशों की नकल प्रांतीय क्लर्क तैयार करते थे। स्वाभाविक बात यह थी कि राजुक जिन कारीगरों को इन्हें खोदने के लिए देते थे, वे मूल प्रति को ही आधार बनाकर चलते थे और उसी के अक्षरों की नकल अनिच्छा से या प्रधान कार्यालय के प्रति आदर के भाव से कर देते थे। यह भी. जरूरी नहीं कि ये क्लर्क सदा स्थानीय निवासी ही रहे हों। इससे स्थानीय --- - - - 159. ला., इं. आ. II, 2, 257 तथा आगे। 160. वान सैले नैशकोल्गर अलेक्जा. दि. ग्रेट, 31; गार्डनर, कैट. इंडि. क्वा. वि. म्यू. XXVI. 68 For Private and Personal Use Only
SR No.020122
Book TitleBharatiya Puralipi Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGeorge Buhler, Mangalnath Sinh
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1966
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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